
हाइलाइट्स :
- बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी से मुस्लिम संगठनों ने दूरी बनाई
- वक्फ संशोधन बिल पर जेडीयू के समर्थन से मुस्लिम संगठन नाराज
- इफ्तार पार्टी का बहिष्कार करने वाले संगठनों में इमारत-ए-शरिया, जमीयत उलेमा-ए-हिंद सहित कई संगठन शामिल
- AIMPLB और असदुद्दीन ओवैसी भी कर चुके हैं विधेयक का विरोध
- केंद्र सरकार द्वारा वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को फरवरी में मंजूरी दी जा चुकी है
चुनावी साल में नीतीश कुमार को अल्पसंख्यक समुदाय से झटका
बिहार में चुनावी माहौल के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। पटना में रविवार को आयोजित होने वाली इफ्तार पार्टी से प्रमुख मुस्लिम धार्मिक संगठनों ने दूरी बना ली है। इसके पीछे वजह है केंद्र सरकार द्वारा लाया गया वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024, जिसका समर्थन जेडीयू ने भी किया है।
क्यों नाराज हैं मुस्लिम संगठन?
वक्फ संशोधन बिल को लेकर मुस्लिम समाज में गहरी नाराजगी देखी जा रही है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी पहले ही इस विधेयक का विरोध जता चुके हैं। विपक्ष का कहना है कि इस विधेयक के प्रावधान वक्फ संपत्तियों के अधिकारों और मुस्लिम समुदाय के हितों पर असर डाल सकते हैं।
फरवरी 2025 में मोदी कैबिनेट ने संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) द्वारा प्रस्तावित 14 संशोधनों को मंजूरी दी थी, जो वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण, विवाद निपटान और वक्फ बोर्ड की संरचना से जुड़े हैं।
किन संगठनों ने किया इफ्तार पार्टी का बहिष्कार?
जमीयत उलेमा-ए-हिंद और इमारत ए शरिया समेत कई बड़े मुस्लिम संगठनों ने इस बार नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। बहिष्कार करने वाले प्रमुख संगठनों में शामिल हैं:
- इमारत-ए-शरिया
- जमात इस्लामी
- जमात अहले हदीस
- खान्काह मोजीबिया
- मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
- जमीयत उलेमा-ए-हिंद
- खान्काह रहमानी
इन संगठनों ने न केवल इफ्तार पार्टी बल्कि ईद मिलन और अन्य कार्यक्रमों से भी दूरी बनाने का ऐलान किया है। साथ ही, अन्य मुस्लिम संगठनों से भी इस बहिष्कार में शामिल होने की अपील की गई है।
‘न्यूज़ देखो’ की नजर — क्या अल्पसंख्यक नाराजगी बदल देगी बिहार की सियासी तस्वीर?
चुनावी साल में मुस्लिम संगठनों का इस तरह से खुला विरोध नीतीश कुमार के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है। क्या यह नाराजगी आगे जाकर एनडीए के समीकरणों को प्रभावित करेगी? ‘न्यूज़ देखो’ आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर उठ रहे राजनीतिक हलचलों और अल्पसंख्यक समुदाय की प्रतिक्रियाओं पर आपकी नजर बनाए रखेगा।