
#चुंगरू #शिक्षानीरीक्षण : नक्सल प्रभावित पंचायत में मुखिया की सख्ती, शिक्षा व्यवस्था सुधारने का अल्टीमेटम
- मुखिया बलदेव परहिया ने कई स्कूलों का औचक निरीक्षण किया।
- प्रधानाध्यापकों को लापरवाही पर लगाई फटकार।
- नवाडीह उत्क्रमित हाई स्कूल में शौचालय और पौधरोपण की स्थिति खराब पाई गई।
- होशीर मध्य विद्यालय में मध्यान भोजन और पढ़ाई पर मिली शिकायतें।
- चेतावनी: शिक्षा में सुधार नहीं हुआ तो उपायुक्त को भेजा जाएगा पत्र।
छिपादोहर थाना क्षेत्र के सुदूरवर्ती और नक्सल प्रभावित पंचायत चुंगरू में गुरुवार को मुखिया बलदेव परहिया ने शिक्षा व्यवस्था का जायजा लेने के लिए औचक निरीक्षण अभियान चलाया। निरीक्षण के दौरान कई स्कूलों में लापरवाही सामने आई, जिस पर उन्होंने प्रधानाध्यापकों को फटकार लगाई और सुधार के लिए सख्त निर्देश दिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि बच्चों की शिक्षा के साथ किसी भी तरह का समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा
नवाडीह उत्क्रमित हाई स्कूल की स्थिति
निरीक्षण के दौरान नवाडीह उत्क्रमित हाई स्कूल में शौचालय की हालत ठीक नहीं पाई गई। साथ ही, परिसर में पौधरोपण का अभाव भी देखने को मिला। मुखिया ने इसे गंभीर लापरवाही मानते हुए प्रधानाध्यापक को तुरंत सुधारात्मक कदम उठाने को कहा।
होशीर मध्य विद्यालय में खामियां
इसके बाद होशीर मध्य विद्यालय का निरीक्षण किया गया, जहां मध्यान भोजन की गुणवत्ता और छात्रों की पढ़ाई में लापरवाही की शिकायत मिली। इस पर मुखिया बलदेव परहिया ने प्रधानाध्यापक उमेश राम को कड़ी चेतावनी दी कि बच्चों की पढ़ाई और भोजन की व्यवस्था में लापरवाही बिल्कुल बर्दाश्त नहीं होगी। उन्होंने कहा कि यदि सुधार नहीं हुआ, तो प्रशासन को इसकी औपचारिक सूचना दी जाएगी।
ओपाग प्राथमिक विद्यालय का निरीक्षण
मुखिया ने ओपाग प्राथमिक विद्यालय का भी निरीक्षण किया, जहां प्रधानाध्यापक प्रमदेव सिंह से मध्यान भोजन और शौचालय की स्थिति को लेकर पूछताछ की गई। उन्होंने चेतावनी दी कि बच्चों की सुविधा और शिक्षा को लेकर किसी तरह की कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
ग्रामीणों की मौजूदगी
निरीक्षण के दौरान दर्जनों ग्रामीण भी मौजूद रहे। उन्होंने मुखिया की इस पहल की सराहना की और उम्मीद जताई कि इससे क्षेत्र के स्कूलों की स्थिति में जल्द सुधार होगा।
न्यूज़ देखो: शिक्षा सुधार के लिए मुखिया की पहल
चुंगरू पंचायत के स्कूलों में मिली लापरवाहियों पर मुखिया की सख्ती यह दर्शाती है कि यदि जनप्रतिनिधि इच्छाशक्ति के साथ काम करें, तो शिक्षा व्यवस्था में बदलाव संभव है। यह कदम अन्य पंचायतों के लिए भी प्रेरणादायक बन सकता है।
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शिक्षा में सुधार, समाज का उत्थान
बच्चों की पढ़ाई और उनके विकास के लिए विद्यालयों में अनुशासन और गुणवत्ता अनिवार्य है। समाज को चाहिए कि शिक्षा से जुड़े मुद्दों पर जागरूक रहे और जिम्मेदारों को जवाबदेह बनाए। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाएं ताकि शिक्षा के प्रति सजगता फैले।