
#गढ़वा #दीपोत्सव : स्थानीय कुम्हारों को मिला मंच, परंपरा और पर्यावरण संरक्षण का संदेश
- गोविंद हाई स्कूल मैदान में शनिवार को मृदा शिल्प दीपोत्सव का हुआ शुभारंभ।
- कार्यक्रम का उद्घाटन उप विकास आयुक्त पशुपतिनाथ मिश्र, एसडीएम संजय कुमार और अन्य अधिकारियों ने किया।
- मिट्टी के दीयों, खिलौनों और सजावटी वस्तुओं के लिए लगाए गए अनेक स्टॉल।
- पहल का उद्देश्य स्थानीय कुम्हारों को प्रोत्साहित करना और स्वदेशी हस्तशिल्प को बढ़ावा देना।
- अधिकारियों ने लोगों से मिट्टी के दीये जलाने और प्लास्टिक लाइटों से बचने की अपील की।
गढ़वा के गोविंद हाई स्कूल मैदान में शनिवार को मृदा शिल्प दीपोत्सव का विधिवत शुभारंभ हुआ। दीप प्रज्वलन के साथ शुरू हुए इस आयोजन में जिले के प्रमुख प्रशासनिक अधिकारी और स्थानीय जनप्रतिनिधि मौजूद रहे। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य पारंपरिक मृदा कला को पुनर्जीवित करना और स्थानीय कुम्हारों को सम्मानित मंच देना है। आयोजन स्थल पर मिट्टी से बने दीयों, खिलौनों और घरेलू सजावटी वस्तुओं की बिक्री के लिए दर्जनों स्टॉल लगाए गए हैं।
पारंपरिक कला और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मिला प्रोत्साहन
उद्घाटन समारोह का शुभारंभ उप विकास आयुक्त पशुपतिनाथ मिश्र, अनुमंडल पदाधिकारी संजय कुमार, जिला कल्याण पदाधिकारी धीरज प्रकाश और माटी कला बोर्ड के सदस्य अविनाश देव ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया।
उप विकास आयुक्त पशुपतिनाथ मिश्र ने कहा: “सदर एसडीएम की यह पहल स्थानीय कुम्हारों और कारीगरों के लिए आर्थिक सशक्तिकरण का अवसर बनेगी। सभी लोग इस दीपावली पर मिट्टी के दीये जलाकर पर्यावरण और परंपरा दोनों की रक्षा करें।”
इस कार्यक्रम में जेएमडी हीरो एजेंसी ने प्रायोजक की भूमिका निभाई, जिसकी सराहना अधिकारियों और उपस्थित नागरिकों ने की।
अब सड़क किनारे नहीं बैठेंगे दीया बेचने वाले
अनुमंडल पदाधिकारी संजय कुमार ने बताया कि अब दीया बेचने वालों को सड़क किनारे धूल-मिट्टी में बैठने की जरूरत नहीं है।
संजय कुमार ने कहा: “टाउन हॉल मैदान में साफ-सुथरे पंडाल बनाकर उन्हें बैठने की व्यवस्था दी गई है। सभी विक्रेता रविवार और सोमवार को इसी मैदान में अपने स्टॉल लगाएंगे।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सड़क किनारे बैठना न केवल असुरक्षित है बल्कि शहर की यातायात व्यवस्था को भी प्रभावित करता है। प्रशासन ने नगर परिषद और ट्रैफिक कर्मियों को निर्देश दिया है कि वे छोटे-छोटे शिल्पकारों को टाउन हॉल मैदान में जाने के लिए प्रेरित करें।
मिट्टी के दीयों से जगमगाएंगे घर
जिला कल्याण पदाधिकारी धीरज प्रकाश ने कहा कि इस दीपोत्सव का उद्देश्य कुम्हारों के हुनर को पहचान दिलाना है।
धीरज प्रकाश ने कहा: “हर घर में मिट्टी के दीये जलाने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और युवाओं में हस्तकला के प्रति रुचि बढ़ेगी।”
माटी कला बोर्ड सदस्य अविनाश देव ने कहा कि मिट्टी के दीये और खिलौने भारतीय संस्कृति की पहचान हैं।
अविनाश देव ने कहा: “लोगों को चाहिए कि इस दीपावली प्लास्टिक या इलेक्ट्रॉनिक लाइटों की जगह मिट्टी के दीयों का प्रयोग करें, ताकि परंपरा जीवित रहे और कारीगरों के घरों में भी रोशनी फैले।”
कार्यक्रम में जिला परिषद सदस्य दिनेश कुमार, डीपीएम विमलेश कुमार शुक्ला, सीएमएम कौशल कुमार ठाकुर, पूर्व पार्षद जितेंद्र कुमार सिंहा, अजय उपाध्याय, पंकज चौबे, दयाशंकर गुप्ता, देवेंद्र कुमार प्रजापति, ललन प्रजापति, प्रियम सिंह और अणिमा मिश्रा समेत कई लोग उपस्थित थे।
अधिकारियों ने दीये खरीदकर बढ़ाया उत्साह
उद्घाटन समारोह के बाद उप विकास आयुक्त, एसडीएम और अन्य अधिकारियों ने दुकानदारों से दीये खरीदकर कुम्हारों को प्रोत्साहित किया। वहीं, डीटीओ धीरज प्रकाश ने उपस्थित कुम्हार परिवारों को मिठाई के डिब्बे भेंट किए। उद्घाटन के पहले दिन 14 शिल्पकार परिवारों ने अपने स्टॉल लगाए, जबकि रविवार से संख्या बढ़ने की उम्मीद है।



न्यूज़ देखो: परंपरा और पर्यावरण का संगम
गढ़वा का मृदा शिल्प दीपोत्सव यह संदेश देता है कि यदि प्रशासनिक इच्छाशक्ति और स्थानीय सहयोग मिले, तो परंपरा और आधुनिकता एक साथ आगे बढ़ सकते हैं। यह पहल न केवल कुम्हारों को सम्मान देती है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और स्वदेशी उत्पादों के उपयोग का भी प्रतीक है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
दीपावली में मिट्टी के दीयों से जगमगाए हर घर
यह दीपोत्सव हमें याद दिलाता है कि असली रोशनी वही है जो किसी और के घर में उजाला करे। आइए, इस दीपावली मिट्टी के दीयों से अपने घर रोशन करें और स्थानीय कारीगरों के जीवन में भी खुशियां जलाएं।
सजग रहें, स्वदेशी अपनाएं।
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