कॉफी विद एसडीएम: कॉचिंग संस्थानों ने रखी शहर में शिक्षा, सुरक्षा और विकास को लेकर अहम बातें

#गढ़वा #कॉफीविदएसडीएम — कोचिंग संस्थानों के प्रतिनिधियों ने पंजीकरण, सुरक्षा, मास्टर प्लान और शिक्षकों के सम्मान को लेकर रखे सुझाव

शिक्षकों ने रखी शिक्षा व्यवस्था सुधारने की कई अहम बातें

गढ़वा के सदर अनुमंडल पदाधिकारी संजय कुमार के संवाद कार्यक्रम “कॉफी विद एसडीएम” में इस बार शहर के कोचिंग संस्थानों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम में निजी और संस्थागत समस्याओं के साथ-साथ शहर और शैक्षणिक माहौल को बेहतर बनाने के लिए कई अहम सुझाव सामने आए।
नीरज कुमार ने कोचिंग संस्थानों के पंजीकरण को अनिवार्य करने की बात रखी, ताकि बिना अनुमति के चल रहे संस्थानों पर रोक लगे और गंभीर संस्थाओं की साख बनी रहे। इस पर एसडीएम ने पंजीकरण को लेकर नगर परिषद के स्तर पर पहल करने की बात कही।

मेहनती शिक्षकों को मिले प्रोत्साहन, प्रशासन करे सम्मान

लखन कश्यप जैसे अनुभवी शिक्षक ने कहा कि पैसा ही उद्देश्य नहीं, बल्कि विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य के लिए शिक्षक दिन-रात मेहनत करते हैं। यदि प्रशासन बेहतर परिणाम देने वाले कोचिंग संस्थानों को सम्मानित करे, तो यह सकारात्मक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देगा।
एसडीएम संजय कुमार ने इस सुझाव को स्वीकारते हुए कहा कि वे इस दिशा में जरूर पहल करेंगे।

कोरोना के बाद बदली परिस्थितियों ने संस्थानों की कमर तोड़ी

अमित कश्यप, रंजन कुमार और चंदू चंद्रवंशी ने बताया कि कोविड के बाद से कोचिंग संस्थानों की हालत खराब हो गई है। ऑनलाइन कोचिंग का ट्रेंड बढ़ने से छात्रों की संख्या कम हो गई है, जिससे अस्तित्व का संकट पैदा हो गया है।

कोचिंग संस्थानों का बने संगठन, “कॉफी विद एसडीएम” बना साझा मंच

कोचिंग प्रतिनिधियों ने बताया कि आपसी प्रतिस्पर्धा के कारण अब तक संगठन बनाने की कोशिशें विफल रही थीं। लेकिन आज का कार्यक्रम सभी संस्थानों को एक मंच पर लाने में सफल रहा। सभी ने मिलकर अब संघ बनाने की पहल करने का निर्णय लिया।

बड़े अधिकारी खुद लें क्लास, बच्चों को मिले प्रेरणा

कुछ शिक्षकों ने सुझाव दिया कि यदि प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी कभी-कभार क्लास लें, तो छात्र प्रेरित होंगे। एसडीएम ने इसे अच्छा सुझाव बताते हुए कहा कि वे समय निकालकर निश्चित ही कुछ कोचिंग कक्षाओं में पढ़ाने जाएंगे।

मास्टर प्लान की जरूरत, बेतरतीब विकास से मिल रही परेशानियां

कोचिंग प्रतिनिधियों ने कहा कि शहर के विकास के लिए एक सुनियोजित मास्टर प्लान जरूरी है। आज विभागों के बीच समन्वय की कमी के कारण अधूरी योजनाएं सामने आती हैं। एसडीएम ने इसे भी संज्ञान में लेने का आश्वासन दिया।

छात्राओं को चाहिए सुरक्षित माहौल, पुलिस गश्ती की मांग

प्रशिक्षकों ने बताया कि सुबह 7 से 9 और शाम 4 से 6 बजे कोचिंग का पीक टाइम होता है। इन समयों में छात्राओं के साथ छेड़छाड़ और फब्तियां कसने जैसी घटनाएं सामने आती हैं। उन्होंने स्थानीय पुलिस गश्ती की मांग की। एसडीएम ने इस पर गंभीर पहल करने का भरोसा दिया।

निजी समस्याएं और प्रशासन की प्रतिक्रिया

लखन कश्यप, देववंश यादव, अनिल देव सहित कई लोगों ने भूमि विवाद से जुड़ी व्यक्तिगत समस्याएं रखीं। एसडीएम ने कहा कि अर्धन्यायिक प्रकृति के मामलों को प्रक्रिया के तहत निपटाया जाएगा, लेकिन वे संवेदनशीलता से मदद करने का प्रयास करेंगे।

सराहना और भागीदारी

सभी प्रतिनिधियों ने एसडीएम संजय कुमार की पहल की तारीफ करते हुए कहा कि यह पहला मौका है जब किसी अधिकारी ने कोचिंग संस्थानों से सीधा संवाद किया है।
भाग लेने वालों में कश्यप कॉमर्स कोचिंग, सेकंड स्कूल, इंजीनियर्स अकैडमी, ज्ञान गंगा कोचिंग सेंटर, श्योर सक्सेस सेंटर, भारत कंप्यूटर सेंटर, इंटेंस कंप्यूटर सेंटर, शिक्षा हब, लक्ष्य कोचिंग, आइंस्टीन स्टडी सर्किल सहित एक दर्जन से अधिक संस्थान शामिल थे।
विचार रखने वालों में आदित्य चौधरी, रवि रंजन, चंदन महतो, प्रभात कुमार, दीपा कुमारी, राज नारायण मिश्रा, प्रवीण मिश्रा, मिथिलेश कुमार आदि शामिल रहे।

न्यूज़ देखो: शिक्षकों और प्रशासन के संवाद से खुले विकास के नए रास्ते

“कॉफी विद एसडीएम” जैसे संवाद कार्यक्रम गढ़वा में शिक्षा और प्रशासन के बीच सेतु का काम कर रहे हैं। इस बार कोचिंग संस्थानों की समस्याओं, सुझावों और चिंताओं पर जिस संवेदनशीलता और गंभीरता से विचार हुआ, वह वास्तव में सराहनीय है।
पंजीकरण, सुरक्षा, सम्मान और संगठन जैसे मुद्दों को प्राथमिकता मिलने से शिक्षा व्यवस्था को नई दिशा मिल सकती है।
न्यूज़ देखो हमेशा ऐसे संवादों का समर्थन करता है जो समस्या से समाधान की ओर रास्ता दिखाएं।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

भविष्य की शिक्षा के लिए जागरूक बनें, सुझाव दें

गढ़वा जैसे जिले में यदि शिक्षक, प्रशासन और समाज मिलकर काम करें तो हर छात्र का भविष्य उज्जवल हो सकता है। आइए, हम सब मिलकर शिक्षा और व्यवस्था में सकारात्मक बदलाव के लिए जागरूक बनें।
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