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गुमला में कॉलेज छात्रा ने फांसी लगाकर दी जान, प्रेम प्रसंग से जुड़ा माना जा रहा मामला

#गुमला #आत्महत्या : फोन पर बातचीत के बाद कमरे में बंद हुई छात्रा, दरवाजा खोलते ही मिली लाश

गुमला जिले के पालकोट थाना क्षेत्र के बांध टोली गुड़मा गांव में शुक्रवार रात एक दर्दनाक घटना सामने आई। कार्तिक उरांव कॉलेज, गुमला की बीए की छात्रा प्रिया बिलुंग (19 वर्ष) ने अपने घर में फांसी लगाकर जान दे दी। इस घटना से पूरे गांव और कॉलेज में शोक का माहौल है।

फोन पर बातचीत के बाद हुई आत्महत्या

परिजनों के मुताबिक, घटना से कुछ देर पहले प्रिया किसी युवक से मोबाइल पर बात कर रही थी। बातचीत खत्म होते ही वह अचानक अपने कमरे में चली गई और दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। देर तक बाहर नहीं आने पर परिवार ने दरवाजा खटखटाया, लेकिन अंदर से कोई जवाब नहीं मिला। जब दरवाजा तोड़ा गया तो प्रिया फंदे से लटकी हुई मिली।

अस्पताल पहुंचने से पहले ही थम गई सांसें

घबराए परिजनों ने रस्सी काटकर उसे नीचे उतारा और तुरंत अस्पताल ले जाने का प्रयास किया। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। परिवार में कोहराम मच गया और गमगीन माहौल बन गया।

पुलिस को प्रेम प्रसंग की आशंका

घटना की सूचना पर पालकोट थाना प्रभारी राम प्रवेश कुमार अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। पुलिस ने घटनास्थल का निरीक्षण किया और परिजनों से पूछताछ की। शव को कब्जे में लेकर कानूनी प्रक्रिया पूरी की गई और पोस्टमॉर्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया गया।
पुलिस को प्रथम दृष्टया यह मामला प्रेम प्रसंग से जुड़ा हुआ लग रहा है। जांच के लिए प्रिया का मोबाइल जब्त कर लिया गया है और कॉल डिटेल्स खंगाली जा रही हैं। उस युवक की भी तलाश की जा रही है जिससे प्रिया ने आखिरी बार बात की थी।

परिवार और कॉलेज में मातम

प्रिया अपने माता-पिता की तीन बेटियों में सबसे बड़ी थी। पढ़ाई में वह काफी अच्छी थी और अपने शिक्षकों की प्रिय छात्रा मानी जाती थी। अचानक हुई इस घटना से न सिर्फ परिवार बल्कि उसके दोस्त और कॉलेज के शिक्षक भी सदमे में हैं। शनिवार को पोस्टमॉर्टम के बाद परिजनों ने गमगीन माहौल में अंतिम संस्कार किया।

न्यूज़ देखो: युवाओं का मानसिक दबाव और सामाजिक जिम्मेदारी

इस घटना ने फिर एक बार यह सवाल खड़ा कर दिया है कि युवाओं की मानसिक परेशानियों और रिश्तों के तनाव को समाज कितनी गंभीरता से ले रहा है। आत्महत्या कोई समाधान नहीं, बल्कि यह परिवार और समाज दोनों को गहरे घाव देती है। अब जरूरत है कि परिवार, समाज और प्रशासन मिलकर युवाओं को समझने और संभालने की कोशिश करें।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

अब समय है संवेदनशील बनने का

प्रिया की आत्महत्या हमें यह सिखाती है कि युवाओं की समस्याओं को अनदेखा करना खतरनाक हो सकता है। हमें चाहिए कि हम अपने आसपास के युवाओं की तकलीफों को सुनें और उन्हें संभालें। अब समय है कि हम सब मिलकर मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूक हों। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को शेयर करें ताकि संवेदनशीलता और जागरूकता दोनों बढ़ सके।

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