#पलामू #अवैधखनन – पलामू में अवैध खनन के बढ़ते संकट पर कांग्रेस सेवादल यंग ब्रिगेड के अध्यक्ष अरविंद कुमार ने चेताया
- अवैध खनन से वनों की कटाई, भूमि क्षरण और जल स्तर में गिरावट
- प्राकृतिक आपदाओं की संभावना बढ़ी, जैसे भूस्खलन और बाढ़
- सरकारी राजस्व को करोड़ों की हानि, अर्थव्यवस्था पर सीधा असर
- खेती-बाड़ी और आमजन का जीवन संकट में, पानी की किल्लत बढ़ी
- जनजागरूकता और जनसहयोग जरूरी, सिर्फ प्रशासनिक कार्रवाई पर्याप्त नहीं
प्रकृति को निगलता अवैध खनन
झारखंड के पलामू जैसे खनिज-समृद्ध जिलों में अवैध खनन अब बेकाबू होता जा रहा है।
नदी मार्गों का बदला जाना, वनों की बेरहम कटाई, और भूमि का क्षरण आज गंभीर समस्या बन गई है।
जल स्रोत सूखते जा रहे हैं और भूजल स्तर गिरता जा रहा है। यह प्राकृतिक असंतुलन भविष्य में और भयावह रूप ले सकता है।
अरविंद कुमार, अध्यक्ष – पलामू जिला कांग्रेस सेवादल यंग ब्रिगेड ने कहा:
“अवैध खनन सिर्फ पर्यावरण नहीं, हमारे समाज और भावी पीढ़ियों के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ है। यह एक धीमा ज़हर है जो हमारी धरती को निगल रहा है।”
प्राकृतिक आपदाओं को न्योता
इन खनन गतिविधियों के कारण भूस्खलन, बाढ़ और सूखा जैसी प्राकृतिक आपदाओं की घटनाएं बढ़ रही हैं।
धरती की सतह कमजोर हो रही है और मौसमी असंतुलन गांवों और कस्बों में संकट का कारण बन रहा है।
आर्थिक नुकसान भी भारी
सरकार को इन अवैध गतिविधियों से करोड़ों रुपये का राजस्व नुकसान हो रहा है।
खनन माफियाओं की मिलीभगत से प्रशासनिक और कानूनी ढांचे की साख पर भी सवाल उठते हैं।
जनता पर सीधा असर
पलामू जिले के कई गांवों में खेती योग्य भूमि बर्बाद हो चुकी है।
पानी की किल्लत, गर्मी में नदियों का सूख जाना और स्थानीय लोगों की आजीविका पर संकट जैसे परिणाम सामने आ रहे हैं।
न्यूज़ देखो: जागरूकता से ही रुकेगा विनाश
पलामू में उठी आवाज़ यह साफ़ दर्शाती है कि अब सिर्फ कानून से नहीं, समाज की चेतना से भी लड़ाई लड़नी होगी।
अरविंद कुमार जैसे नेताओं की अपील जनता को यह सोचने पर मजबूर करती है कि हम प्राकृतिक संसाधनों के मालिक नहीं, सिर्फ संरक्षक हैं।
अवैध खनन को रोकने की दिशा में हर नागरिक की भूमिका अहम है — बोलिए, विरोध कीजिए, और जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह बनाइए।
न्यूज़ देखो पर्यावरण और समाज दोनों के प्रति अपनी जवाबदेही निभाते हुए ऐसी खबरों को सतह पर लाता रहेगा।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
आइए, मिलकर आवाज़ उठाएं
अवैध खनन के खिलाफ खामोश रहना मतलब अपने भविष्य के खिलाफ चुप रहना।
अब वक्त आ गया है कि हम अपनी धरती, अपनी नदियों और अपने बच्चों की विरासत को बचाने के लिए जागरूक और संगठित हों।
इस खबर पर अपनी राय कमेंट करें, इसे शेयर करें, और बदलाव की मुहिम का हिस्सा बनें।