
#केतुंगाधाम #संविधान_दिवस : सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में 76वां संविधान दिवस छात्रों ने प्रस्तावना वाचन और शपथ के साथ मनाया
- श्री हरि वनवासी विकास समिति, रांची द्वारा संचालित विद्यालय में संविधान दिवस का आयोजन।
- मां शारदे, ओम और भारत माता की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम शुरू।
- विद्यालय के प्रधानाचार्य सुकरा केरकेट्टा ने संविधान निर्माण और उसके महत्व पर जानकारी दी।
- बच्चों ने संविधान की प्रस्तावना पढ़ी और संविधान सम्मान की शपथ ली।
- कार्यक्रम में मौलिक अधिकार, कर्तव्य और लोकतांत्रिक मूल्यों की विस्तृत चर्चा।
- रेनू गोस्वामी, अंजली कुमारी, प्रेमलता केरकेट्टा, रेखा कुमारी, शकुंतला सिंह समेत सभी विद्यार्थी और शिक्षक उपस्थित।
76वां संविधान दिवस केतुंगाधाम स्थित सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया, जिसमें छात्रों और शिक्षकों ने भारतीय संविधान के प्रति सम्मान और जागरूकता का संकल्प लिया। कार्यक्रम की शुरुआत परंपरा अनुसार दीप प्रज्ज्वलन से हुई, जिसके बाद प्रधानाचार्य ने संविधान निर्माण की ऐतिहासिक प्रक्रिया, उसके निर्माता और भारतीय नागरिकों के लिए इसके महत्व को विस्तार से समझाया। विद्यार्थियों ने संविधान की प्रस्तावना का वाचन करते हुए कर्तव्यों और अधिकारों की रक्षा करने का वचन लिया। कार्यक्रम का उद्देश्य नैतिक मूल्यों के साथ लोकतांत्रिक चेतना को मजबूत करना रहा।
विद्यालय में परंपरा संग आधुनिक लोकतंत्र का पाठ
विद्यालय परिसर में मां शारदे, ओम, और भारत माता की प्रतिमाओं के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन के साथ संविधान दिवस की शुरुआत हुई। इस आदर्शात्मक वातावरण में छात्रों को संविधान का सम्मान करने और उसमें निहित लोकतांत्रिक संदेश को अपनाने की प्रेरणा दी गई। विद्यालय परिवार ने इसे संवैधानिक जिम्मेदारी और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में प्रस्तुत किया।
संविधान की ऐतिहासिक यात्रा: बच्चों को बताई महत्वपूर्ण बातें
प्रधानाचार्य सुकरा केरकेट्टा ने विद्यार्थियों को संविधान निर्माण की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा:
सुकरा केरकेट्टा ने कहा: “संविधान निर्माण समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव आंबेडकर ने 2 वर्ष 11 महीने 18 दिन के कठिन परिश्रम के बाद 26 नवंबर 1949 को संविधान तैयार किया और 26 जनवरी 1950 को इसे लागू किया गया।”
उन्होंने यह भी बताया कि संविधान में दिए गए अधिकार और कर्तव्य आम नागरिकों के उत्थान और सुविधा को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं।
विद्यार्थी बने जागरूक नागरिक
छात्र-छात्राओं ने संविधान की प्रस्तावना का वाचन किया और संकल्प लिया कि वे सदैव संविधान का सम्मान करेंगे और अपने कर्तव्यों का पालन करेंगे। संविधान दिवस का यह आयोजन केवल एक रस्म नहीं बल्कि नागरिकता के प्रति जागरूकता का उद्घोष बन गया।
कार्यक्रम में सभी की सक्रिय भागीदारी
इस अवसर पर रेनू गोस्वामी, अंजली कुमारी, प्रेमलता केरकेट्टा, रेखा कुमारी, शकुंतला सिंह और विद्यालय के सभी छात्र-छात्राओं ने सक्रिय रूप से भाग लिया। शिक्षकों ने बच्चों को लोकतंत्र की संस्कृति और संवैधानिक मूल्यों को अपनाने का संदेश दिया।
न्यूज़ देखो: शिक्षा से मजबूत होती लोकतांत्रिक नींव
यह आयोजन दिखाता है कि संविधान दिवस केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि नागरिक चेतना विकसित करने का माध्यम है। ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्र में इस तरह की गतिविधियों से युवा पीढ़ी को अपने अधिकार और कर्तव्य दोनों समझ में आते हैं। विद्यालय द्वारा किया गया यह प्रयास भविष्य में जिम्मेदार नागरिक बनाने की दिशा में सराहनीय कदम है।
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संविधान से चरित्र निर्माण, शिक्षा से राष्ट्र निर्माण
एक जागरूक नागरिक वही है जो अधिकारों के साथ अपने कर्तव्यों का सम्मान भी करे। संविधान हमें केवल स्वतंत्रता नहीं देता, बल्कि समाज और राष्ट्र के प्रति नैतिक जिम्मेदारी भी सौंपता है। स्कूलों में ऐसे आयोजनों के माध्यम से आने वाली पीढ़ी को अपने लोकतांत्रिक स्वरूप की सच्ची पहचान मिलती है। आइए, हम सभी संविधान के आदर्शों को जीवन में उतारने का संकल्प लें।
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