
#लातेहार #आंगनबाड़ीचयनविवाद : जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने उपायुक्त को सौंपा ज्ञापन — चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी का लगाया आरोप
- उकामाड पंचायत के ग्राम पैरा में सेविका चयन को लेकर गहराया विवाद
- जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने लगाए अनियमितता के आरोप
- हस्ताक्षर व मुहरयुक्त ज्ञापन लाकर उपायुक्त से जांच और पुनः चयन की मांग
- चयन प्रक्रिया में नियमों की अनदेखी और पारदर्शिता की कमी की चर्चा
- ग्रामीणों ने कहा — “निष्पक्ष चयन नहीं हुआ, ग्रामीणों के साथ छल हुआ है”
चयन प्रक्रिया पर उठे सवाल, पारदर्शिता पर संदेह
लातेहार। बरवाडीह प्रखंड अंतर्गत उकामाड पंचायत के ग्राम पैरा में आंगनबाड़ी सेविका चयन को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों में भारी नाराजगी देखी जा रही है। ग्रामीणों ने हस्ताक्षर व मुहरयुक्त आवेदन पत्र लातेहार उपायुक्त को सौंपा, जिसमें चयन प्रक्रिया में अनियमितता और अपारदर्शिता की शिकायत दर्ज की गई।
ग्रामीणों का कहना है कि सेविका चयन की प्रक्रिया में नियमों की घोर अनदेखी की गई, जिससे योग्य उम्मीदवारों के साथ अन्याय हुआ है। नियुक्ति की पारदर्शिता को लेकर गांव में कई तरह की चर्चाएं चल रही हैं, जिससे माहौल अशांत होता जा रहा है।
ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों की संयुक्त अपील
ज्ञापन सौंपने पहुंचे प्रतिनिधिमंडल में पंचायत स्तर के कई जनप्रतिनिधि भी शामिल थे। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि यदि निष्पक्ष जांच कर पुनः चयन नहीं कराया गया, तो वे जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन करेंगे। उनका कहना है कि सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को यदि इसी तरह से अपारदर्शिता के साथ लागू किया गया, तो गांव की गरीब महिलाओं को कभी भी अवसर नहीं मिलेगा।
स्थानीय ग्रामीणों ने कहा: “हम चाहते हैं कि नियमानुसार चयन हो, ताकि जो वास्तव में इसके योग्य हैं, उन्हें ही मौका मिले।”
उपायुक्त से की निष्पक्ष जांच की मांग
ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने उपायुक्त से आग्रह किया कि इस पूरे चयन प्रक्रिया की निष्पक्ष जांच कराई जाए और दोषियों पर कार्रवाई हो। साथ ही मांग की गई कि नये सिरे से सभी नियमों के तहत आंगनबाड़ी सेविका का चयन किया जाए, जिससे भविष्य में ऐसी स्थितियां दोबारा उत्पन्न न हों।

न्यूज़ देखो: ग्रामीणों की आवाज़ में छुपा न्याय का सवाल
इस खबर के माध्यम से न्यूज़ देखो प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से अपील करता है कि स्थानीय स्तर पर चल रही योजनाओं में पारदर्शिता सर्वोपरि होनी चाहिए। आंगनबाड़ी जैसी महत्वपूर्ण योजना का आधार ही न्याय, योग्यता और निष्पक्षता पर टिका होना चाहिए। यदि चयन प्रक्रिया में ही गड़बड़ी हो तो बच्चों और माताओं के पोषण, शिक्षा और सुरक्षा पर गहरा असर पड़ता है।
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न्याय की उम्मीद में जागरूकता की जरूरत
हर ग्रामीण नागरिक का यह हक है कि वो पारदर्शी चयन की मांग करे। यह लोकतंत्र की बुनियाद है कि जनप्रतिनिधि और आम जनता मिलकर व्यवस्था में सुधार लाएं। अब समय आ गया है कि लोग सिर्फ शिकायत न करें, बल्कि प्रक्रिया को जानें और समझें।
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