
#रांची #शराबनीति – नई नीति से 3000 करोड़ के राजस्व की उम्मीद, लेकिन विपक्ष ने खड़े किए गंभीर सवाल
- झारखंड सरकार ने नई उत्पाद नीति को कैबिनेट से दी मंजूरी
- खुदरा शराब बिक्री अब निजी हाथों में, होलसेल रहेगा JSBCL के पास
- नई नीति में दुकानदारों का मुनाफा 10% से बढ़ाकर 12 प्रतिशत किया गया
- पिछली शराब नीति रही असफल, छत्तीसगढ़ मॉडल पर उठे थे सवाल
- आजसू और बीजेपी ने सरकार की आलोचना करते हुए बताया “नीति का नैतिक दिवालियापन”
- एक महीने के भीतर नई व्यवस्था लागू करने की सरकार की तैयारी
राजस्व की बढ़त या नैतिक गिरावट? सरकार की दोहरी चुनौती
राज्य सरकार ने उम्मीद जताई है कि नई उत्पाद नीति से लगभग 3000 करोड़ रुपये का राजस्व मिलेगा। इस बार खुदरा दुकानों को निजी एजेंसियों को सौंपने का फैसला किया गया है, जबकि JSBCL होलसेल बिक्री को नियंत्रित करता रहेगा। इससे दुकानदारों को 12 प्रतिशत का मुनाफा मिलेगा जो पहले 10 प्रतिशत था।
पूर्ववर्ती कार्यकाल में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दो बार शराब नीति लाई थी लेकिन दोनों ही बार परिणाम राजस्व के लिहाज से असंतोषजनक रहे। पिछली नीति को छत्तीसगढ़ मॉडल पर आधारित बताया गया था, जिसमें राज्य सरकार को उम्मीद से काफी कम आमदनी हुई।
विपक्ष का हमला: “शराब के सहारे चल रही है सरकार की अर्थव्यवस्था”
नई नीति की घोषणा के साथ ही राजनीतिक बयानबाज़ी तेज हो गई है। विपक्षी दलों ने सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करते हुए इसे नैतिक गिरावट करार दिया है।
“गुरुजी शिबू सोरेन की विचारधारा के खिलाफ जाकर वर्तमान सरकार ने शराब नीति बनाई है। पिछली नीति की विफलता को छिपाने के लिए ये नया पर्दा डाला गया है।” — सुदेश महतो, प्रमुख, आजसू पार्टी
“जब पहले छत्तीसगढ़ मॉडल में खामियां थी तो उन्हें सुधारा क्यों नहीं गया? नई नीति भी सिर्फ दिखावा है, असल में भ्रष्टाचार का रास्ता खोल रही है।” — प्रदीप सिन्हा, प्रवक्ता, भारतीय जनता पार्टी
नई नीति का ढांचा और कार्यान्वयन की तैयारी
सरकार के अनुसार नई नीति को कैबिनेट से मंजूरी मिल चुकी है और इसे अगले एक महीने में लागू कर दिया जाएगा। इसके अंतर्गत राज्य में खुदरा शराब बिक्री के लाइसेंस निजी हाथों को दिए जाएंगे जबकि आपूर्ति व नियंत्रण अब भी सरकारी कंपनी JSBCL के जिम्मे होगा।
उत्पाद मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने इस कदम को राजस्व वृद्धि की दिशा में एक ठोस कदम बताते हुए कहा कि इससे शराब व्यवसाय में पारदर्शिता आएगी और अवैध बिक्री पर भी नियंत्रण हो सकेगा।
पिछले मॉडल से सबक या नई चाल?
पिछली शराब नीति मई 2022 में लागू की गई थी जिसमें छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड के MD एपी त्रिपाठी को झारखंड सरकार का सलाहकार बनाया गया था। उस नीति के अंतर्गत शराब की सरकारी दुकानें खोली गई थीं, लेकिन राजस्व में गिरावट, कर्मचारियों की मनमानी, और बिजनेस में पारदर्शिता की कमी जैसी समस्याएं सामने आई थीं।
नई नीति में सरकार ने पिछली खामियों को स्वीकार न करते हुए संरचना में बदलाव किया है, जिससे अब यह देखना बाकी है कि वास्तव में यह नीति राज्य के हित में साबित होती है या सिर्फ एक और प्रयोग बनकर रह जाएगी।
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