
#गुमला #सांस्कृतिक_मेला : बंगरू पंचायत में देव चट्टान जतरा पूजा सह मेला का दो दिवसीय आयोजन लोकसंस्कृति और परंपरा का बना उत्सव
- 12 और 13 दिसंबर 2025 को दो दिवसीय आयोजन।
- बंगरू राजस्व ग्राम में देव चट्टान जतरा पूजा सह मेला।
- नागपुरी लोकगीतों और आधुनिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने बांधा समां।
- जिला विधायक प्रतिनिधि मनीष कुमार हिंदुस्तान मुख्य अतिथि रहे।
- चट्टान पूजा समिति की अगुवाई में सफल आयोजन।
गुमला जिले के पालकोट प्रखंड अंतर्गत बंगरू पंचायत के राजस्व ग्राम बंगरू में 12 एवं 13 दिसंबर 2025 को देव चट्टान जतरा पूजा सह मेला का भव्य आयोजन किया गया। यह आयोजन चट्टान पूजा समिति के तत्वावधान में संपन्न हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में ग्रामीणों के साथ-साथ आसपास के क्षेत्रों से आए श्रद्धालु और दर्शक शामिल हुए। दो दिनों तक चले इस आयोजन में धार्मिक आस्था, लोकसंस्कृति और आधुनिक नागपुरी संगीत का अद्भुत संगम देखने को मिला।
मेले के दौरान गांव और क्षेत्र का माहौल पूरी तरह उत्सवमय हो गया। पारंपरिक पूजा-अर्चना के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने लोगों को देर रात तक बांधे रखा। नागपुरी लोकगीतों की धुन पर युवा, बुजुर्ग और महिलाएं झूमते नजर आए, जिससे पूरा परिसर सांस्कृतिक रंगों से सराबोर हो गया।
अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति
कार्यक्रम में सिमडेगा विधायक भूषण बाड़ा के जिला विधायक प्रतिनिधि मनीष कुमार हिंदुस्तान मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उनके साथ प्रखंड प्रमुख श्रीमती सोनी लकड़ा, प्रखंड 20 सूत्री अध्यक्ष रोहित एक्का, बंगरू पंचायत की मुखिया श्रीमती पूनम एक्का, गुडु गुप्ता सहित कई जनप्रतिनिधि और गणमान्य व्यक्ति विशिष्ट अतिथि के रूप में मंचासीन रहे।
अतिथियों का ग्रामीणों और आयोजन समिति की ओर से पारंपरिक तरीके से स्वागत किया गया। उनकी उपस्थिति से कार्यक्रम की गरिमा और उत्साह दोनों में वृद्धि हुई।
नागपुरी संस्कृति ने बांधा समां
मेले के दौरान प्रसिद्ध नागपुरी कलाकारों द्वारा प्रस्तुत लोकगीतों और आधुनिक नागपुरी गीतों ने श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। मांदर और ढोल की थाप पर कलाकारों की प्रस्तुति ने ग्रामीण अंचल की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को जीवंत कर दिया। दर्शकों की भारी भीड़ देर रात तक कार्यक्रम का आनंद लेती रही।
नागपुरी गीतों में सामाजिक संदेश, लोकजीवन और परंपराओं की झलक साफ दिखाई दी, जिससे युवाओं में अपनी संस्कृति के प्रति जुड़ाव और गर्व का भाव देखने को मिला।
सांस्कृतिक विरासत पर जोर
मुख्य अतिथि मनीष कुमार हिंदुस्तान ने अपने संबोधन में कहा कि देव चट्टान जतरा मेला हमारी आदिवासी और क्षेत्रीय सांस्कृतिक पहचान का महत्वपूर्ण प्रतीक है। उन्होंने कहा कि—
मनीष कुमार हिंदुस्तान ने कहा: “ऐसे पारंपरिक मेलों के माध्यम से हमारी संस्कृति जीवित रहती है। इसे संरक्षित रखना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है।”
उन्होंने क्षेत्रीय विधायक भूषण बाड़ा द्वारा क्षेत्र में किए जा रहे विकास कार्यों और सांस्कृतिक आयोजनों को मिल रहे सहयोग की भी सराहना की। साथ ही लोगों से आपसी भाईचारे और सौहार्द बनाए रखने की अपील की।
आयोजन समिति की भूमिका
पूरे आयोजन को सफल बनाने में चट्टान पूजा समिति की अहम भूमिका रही। समिति के अध्यक्ष राहुल कुमार बड़ाइक ने बताया कि यह मेला केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि भविष्य में इस मेले को और भी भव्य रूप देने का प्रयास किया जाएगा।
वहीं समिति के कोषाध्यक्ष लालदेव लोहारा ने आयोजन में सहयोग करने वाले सभी ग्रामीणों, अतिथियों और कलाकारों के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों के सहयोग के बिना इस तरह का आयोजन संभव नहीं हो पाता।
सुरक्षा और व्यवस्था रही चाक-चौबंद
मेले के दौरान किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए पुलिस प्रशासन द्वारा कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। सुरक्षा व्यवस्था के चलते पूरा मेला शांतिपूर्ण और अनुशासित वातावरण में संपन्न हुआ। श्रद्धालुओं और दर्शकों ने भी प्रशासन और आयोजन समिति की व्यवस्था की सराहना की।
शांतिपूर्ण समापन
दो दिनों तक चले देव चट्टान जतरा पूजा सह मेला का समापन धार्मिक अनुष्ठान और सामूहिक सहभागिता के साथ शांतिपूर्ण ढंग से किया गया। आयोजन ने एक बार फिर यह साबित किया कि ग्रामीण अंचल की सांस्कृतिक परंपराएं आज भी जीवंत हैं और लोगों को एक सूत्र में बांधने का कार्य करती हैं।
न्यूज़ देखो: लोकसंस्कृति को सहेजने की मजबूत पहल
बंगरू में आयोजित देव चट्टान जतरा मेला यह दर्शाता है कि ग्रामीण समाज आज भी अपनी सांस्कृतिक जड़ों से गहराई से जुड़ा है। ऐसे आयोजन न केवल परंपराओं को जीवित रखते हैं, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक पहचान को भी मजबूत करते हैं। प्रशासन और समाज के सहयोग से इस तरह के आयोजनों को निरंतर प्रोत्साहन मिलना चाहिए। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
संस्कृति से जुड़ाव ही पहचान की असली ताकत
लोकपर्व और मेले हमारी पहचान हैं, इन्हें सहेजना हम सबकी जिम्मेदारी है।
यदि आप भी मानते हैं कि सांस्कृतिक आयोजनों को संरक्षण मिलना चाहिए, तो अपनी राय साझा करें। इस खबर को आगे बढ़ाएं, दूसरों तक पहुंचाएं और अपनी संस्कृति पर गर्व का संदेश फैलाएं।





