Gumla

करम नाच महोत्सव में उमड़ा जनसैलाब: डुमरी में 46 खोड़हा दलों ने दिखाया सांस्कृतिक रंग

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#गुमला #करमनाच : आर.सी. नवाडीह चर्च परिसर में आदिवासी संस्कृति की झलक, विधायक भूषण तिर्की मुख्य अतिथि बने
  • डुमरी प्रखंड के आर.सी. नवाडीह चर्च परिसर में करम नाच महोत्सव का आयोजन हुआ।
  • मुख्य अतिथि के रूप में गुमला विधायक भूषण तिर्की उपस्थित रहे।
  • कुल 46 नृत्य खोड़हा दलों ने शानदार प्रस्तुतियां दीं।
  • विशिष्ट अतिथियों में फादर पिंगल कुजूर, फादर ब्यातुष किंडो, प्रखंड प्रमुख जीवंती एक्का सहित कई लोग शामिल।
  • कार्यक्रम में महिलाओं, युवाओं और बुजुर्गों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
  • प्रस्तुतियों के बाद नृत्य दलों को पुरस्कार और सम्मान भी दिया गया।

गुमला जिले के डुमरी प्रखंड स्थित आर.सी. नवाडीह चर्च परिसर रविवार को करम नाच महोत्सव की धूम से गूंज उठा। आदिवासी संस्कृति और परंपरा को समर्पित इस भव्य आयोजन में हजारों लोग उमड़े। मुख्य अतिथि के रूप में गुमला विधायक भूषण तिर्की ने शिरकत की, जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में फादर पिंगल कुजूर, फादर ब्यातुष किंडो, प्रखंड प्रमुख जीवंती एक्का, मुखिया प्रदीप मिंज और चेतनलाल मिंज मौजूद रहे।

करम पर्व की महत्ता पर विधायक का संबोधन

मुख्य अतिथि विधायक भूषण तिर्की ने करम पर्व को आदिवासी समाज की अनमोल धरोहर बताते हुए कहा कि इसकी जड़ें सिंधु घाटी सभ्यता और रोहतासगढ़ से जुड़ी हैं।

विधायक भूषण तिर्की ने कहा: “करम पर्व भाईचारे, एकजुटता और प्रकृति संरक्षण का संदेश देता है। यह हमारी संस्कृति, भाषा और जीवन का अभिन्न हिस्सा है, जिसे नई पीढ़ी तक पहुंचाना सबकी जिम्मेदारी है।”

उन्होंने इस त्योहार को सिर्फ सांस्कृतिक उत्सव नहीं, बल्कि जीवनदर्शन और सामाजिक एकता का प्रतीक बताया।

विशिष्ट अतिथियों की राय

विशिष्ट अतिथियों ने भी करम पर्व की सराहना करते हुए कहा कि इसे केवल मनोरंजन तक सीमित न रखा जाए। उन्होंने कहा कि यह पर्व जनजातीय संस्कृति की पहचान है और समाज को जोड़ने वाली कड़ी है।

फादर पिंगल कुजूर ने कहा: “करम पर्व हमें परंपरा और प्रकृति से जोड़ता है। इसकी महत्ता को युवाओं तक पहुंचाना जरूरी है।”

शानदार प्रस्तुतियां और पुरस्कार वितरण

महोत्सव की सबसे खास बात रही 46 नृत्य खोड़हा दलों की प्रस्तुतियां। ढोल-नगाड़ों की थाप और पारंपरिक गीतों पर महिलाओं, युवाओं और बुजुर्गों ने जोश से करम नृत्य किया। उनकी रंगारंग प्रस्तुति ने पूरे माहौल को जीवंत बना दिया।

सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले नृत्य दलों को मंच पर सम्मानित भी किया गया। पुरस्कार वितरण के समय माहौल तालियों से गूंज उठा।

बड़ी संख्या में रही उपस्थिति

महोत्सव में सचिव शकील खान, सरदार रंजीत सिंह, मोहम्मद आरिफ, मोहम्मद लड्डन, मोहम्मद साजिद, संजय सिंह, प्रदीप सिंह, कृष्ण उरांव, मोहम्मद अनवर, रिचर्ड तिग्गा, फादर देवनीश एक्का, ब्रदर समीर एक्का, सिस्टर वेरनासिया, भींसेंट लकड़ा, सचिन एक्का, रंजीत कुजूर, जेम्स तिर्की, राजेश एक्का, विकास लकड़ा समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।

देर रात तक गूंजे ढोल-नगाड़े

करम नाच महोत्सव देर रात तक चलता रहा। पूरे नवाडीह क्षेत्र में ढोल-नगाड़ों की गूंज और पारंपरिक गीतों की मिठास छाई रही। उपस्थित लोगों ने इसे न सिर्फ सांस्कृतिक उत्सव बल्कि समाज को जोड़ने वाला पर्व बताया।

न्यूज़ देखो: परंपरा और संस्कृति की जीवंत मिसाल

करम नाच महोत्सव ने एक बार फिर साबित कर दिया कि झारखंड की सांस्कृतिक जड़ें कितनी मजबूत हैं। हजारों की भागीदारी और पारंपरिक प्रस्तुतियों ने इसे खास बना दिया। प्रशासन और समाज को चाहिए कि ऐसे आयोजनों को प्रोत्साहन दें ताकि आने वाली पीढ़ियां अपनी विरासत से जुड़ी रहें।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

संस्कृति की रक्षा, समाज की शक्ति

करम नाच महोत्सव इस बात का प्रतीक है कि परंपराएं सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि समाज की आत्मा हैं। आइए मिलकर इन्हें संरक्षित करें और अगली पीढ़ी तक पहुंचाएं।
अपनी राय कमेंट करें, इस खबर को साझा करें और संस्कृति संरक्षण के संदेश को आगे बढ़ाएं।

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Aditya Kumar

डुमरी, गुमला

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