#महुआडांड़ #धार्मिकआस्था : राधा-कृष्ण की भक्ति में डूबा प्रखंड, देर रात तक गूंजे भजन
- महुआडांड़ प्रखंड समेत ग्रामीण क्षेत्रों में जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया।
- सभी मंदिरों को सजावट और लाइटिंग से सजाया गया।
- संध्या से ही भजन-कीर्तन और भक्ति गीतों से वातावरण गूंज उठा।
- महिलाओं और बच्चों में त्योहार को लेकर खास उत्साह दिखा।
- रात्रि 12 बजे महाआरती का आयोजन कर जन्मोत्सव मनाया गया।
महुआडांड़ प्रखंड (लातेहार) में जन्माष्टमी का पर्व शनिवार को बड़े हर्षोल्लास और भक्ति भाव के साथ मनाया गया। ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर मुख्यालय तक भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव पूरे धूमधाम से आयोजित किया गया। इस अवसर पर प्रखंड अंतर्गत सभी मंदिरों को आकर्षक ढंग से सजाया गया था, जहां शाम होते ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी।
भक्ति गीतों से गूंजा प्रखंड
जन्मोत्सव की संध्या से ही प्रखंड का वातावरण भक्तिमय हो गया। नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की और श्री राधे राधे जैसे भक्ति गीतों से मंदिरों और गलियों में भक्ति का माहौल छा गया। जगह-जगह कीर्तन और भजन मंडलियों ने कार्यक्रम प्रस्तुत किए, जिन पर श्रद्धालु देर रात तक झूमते रहे।
महिलाओं और बच्चों की विशेष तैयारी
त्योहार को लेकर महिलाओं में खासा उत्साह देखा गया। सुबह से ही वे पूजा की तैयारियों में जुट गईं। घर-घर में गुजिया और अन्य विशेष पकवान बनाए गए। वहीं बच्चों को राधा और कृष्ण का रूप देकर मंदिरों तक ले जाया गया। संध्या होते ही महिलाएं पूजा की थाली लेकर अपने परिवार के साथ मंदिरों में पहुंचीं।
शिव मंदिर में विशेष आयोजन
स्थानीय शिव मंदिर में जन्मोत्सव का आयोजन विशेष रूप से किया गया। यहां रात 9 बजे से पूजन और भजन-कीर्तन कार्यक्रम शुरू हुआ। श्रद्धालुओं की भीड़ देर रात तक बनी रही। भक्ति गीतों पर लोग झूमते रहे और भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव में अपनी भागीदारी निभाई।
महाआरती का आयोजन
रात्रि 12 बजे जैसे ही भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया, महाआरती का आयोजन किया गया। मंदिर में मौजूद भक्तों ने इस अद्भुत क्षण का आनंद लिया। आरती के दौरान पूरे वातावरण में घंटियों और शंखनाद की गूंज सुनाई दी, जिसने श्रद्धालुओं को भक्ति रस में डुबो दिया।
न्यूज़ देखो: परंपरा और भक्ति का अद्भुत संगम
महुआडांड़ में आयोजित श्री कृष्ण जन्मोत्सव इस बात का प्रतीक है कि परंपराएं आज भी समाज को जोड़ती हैं और धार्मिक उत्सवों में मिलने वाली ऊर्जा हमें सामूहिकता और आस्था की शक्ति का एहसास कराती है। यह आयोजन केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण का भी प्रतीक है।
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उत्सव हमें एकजुट करता है
जन्माष्टमी जैसे त्योहार हमें यह सिखाते हैं कि सामूहिक भक्ति और आनंद से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। अब समय है कि हम सब इन परंपराओं को अगली पीढ़ी तक पहुंचाएं। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को दोस्तों के साथ शेयर करें ताकि यह संदेश और आगे तक पहुंच सके।