
#चैनपुर #सांस्कृतिक_जयंती : देवचरण भगत की 100वीं जयंती पर पारंपरिक खोड़हा नृत्य, अतिथियों का सम्मान और समाज की एकता का संदेश
- चैनपुर के देवचरण भगत समाधि स्थल पर 100वीं जयंती समारोह का भव्य आयोजन।
- लगभग 50 खोड़हा दलों द्वारा पारंपरिक खोड़हा नृत्य प्रतियोगिता का प्रदर्शन।
- समारोह में गीताश्री उरांव, शिवशंकर उरांव सहित कई विशिष्ट अतिथि हुए शामिल।
- सरोना झंडा पूजा परमेश्वर भगत द्वारा विधिविधान से सम्पन्न।
- उरांव समाज की एकता, संस्कृति और विरासत को सहेजने का संदेश गूंजा।
चैनपुर प्रखंड में स्थित देवचरण भगत समाधि स्थल के निकट आज ‘पुरखा पंचबल देवचरण भगत’ की 100वीं जयंती बड़ी धूमधाम और पारंपरिक उत्साह के साथ मनाई गई। गुमला और लोहरदगा जिले के विभिन्न गांवों से हजारों लोग इस ऐतिहासिक समारोह में शामिल हुए। मुख्य आकर्षण रहा—लगभग 50 खोड़हा नृत्य दलों द्वारा प्रस्तुत शानदार सांस्कृतिक प्रतियोगिता, जिसने पूरे समारोह को पारंपरिक रंग में रंग दिया।
समारोह में सरना धर्म के आस्था स्थल पर परमेश्वर भगत द्वारा सरना झंडा की पूजा विधिविधान से सम्पन्न की गई। जयंती कार्यक्रम के लिए ब्लॉक चौक पर मुख्य अतिथियों पूर्व शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव और पूर्व विधायक शिवशंकर उरांव का स्वागत पारंपरिक विधि और उरांव परंपरा के अनुरूप किया गया।
खोड़हा नृत्य प्रतियोगिता ने आकर्षित किया जनसमूह
इस कार्यक्रम में लगभग 50 खोड़हा दलों ने अपनी सांस्कृतिक पहचान का शानदार प्रदर्शन किया। रंग-बिरंगी पोशाक, ढोल-नगारों की धुन और समन्वित ताल पर थिरकते प्रतिभागियों ने सभी का मन मोह लिया।
लुरडीपा के बच्चों ने भी अपनी मनोरम संगीत प्रस्तुति से उपस्थित भीड़ का दिल जीत लिया।
अतिथियों का सम्मान और कैलेंडर का विमोचन
कार्यक्रम के दौरान मंच पर उपस्थित महत्वपूर्ण अतिथियों—बागी लकड़ा, बिंदेश्वर उरांव, जिला परिषद सदस्य मेरी लकड़ा, मुखिया शोभा देवी, शिव प्रकाश भगत, कैप्टन लोहरा, परमेश्वर भगत, और जगदीश भगत—का सम्मान किया गया।
इसके साथ ही उरांव समाज के शुभ विवाह मुहूर्त, त्योहारों और सांस्कृतिक तिथियों पर आधारित एक विशेष कैलेंडर का विमोचन भी किया गया।
पूर्व विधायक शिवशंकर उरांव का संदेश: “एकजुट रहना ही शक्ति”
पूर्व विधायक शिवशंकर उरांव ने अपने संबोधन में देवचरण भगत के योगदान को याद करते हुए कहा:
शिवशंकर उरांव ने कहा: “हम सभी उरांव समाज के लोगों को संगठित रहना है। हमारे पूर्वजों ने पूरी दुनिया को जीने का तरीका सिखाया। प्रकृति और धरती की पूजा करना हमारी पहचान है।”
उन्होंने यह भी जोर दिया कि सितारिशता की खोज देवचरण भगत ने की, जहाँ से उरांव समाज की उत्पत्ति मानी जाती है। उनके अनुसार, समाज को एकजुट रहकर अपनी सांस्कृतिक जड़ों को सुरक्षित रखना चाहिए।
गीताश्री उरांव ने याद दिलाई संस्कृति की शक्ति
पूर्व शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव ने ग्रामीणों को संबोधित करते हुए कहा:
गीताश्री उरांव ने कहा: “उरांव समाज की वजह से जल, जंगल और जमीन बची है। हमें अपनी सभ्यता और संस्कृति को बचाकर रखना है और हर जगह अपने परिचय पर गर्व करना है।”
उन्होंने समाज को तोड़ने की कोशिश करने वाली ताकतों से सतर्क रहने की अपील की।
समाज और संस्कृति पर अन्य प्रतिनिधियों की राय
समाज के वरिष्ठ सदस्य देवेंद्र उरांव ने उरांव समाज की पूजा पद्धति को पूर्णत: प्राकृतिक बताया।
वहीं जिला परिषद सदस्य मेरी लकड़ा ने भी समाज की एकता और परंपराओं के संरक्षण पर महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किए।
समारोह बना सांस्कृतिक एकता का मंच
पुरखा पंचबल देवचरण भगत की 100वीं जयंती न केवल सांस्कृतिक उत्सव रही, बल्कि उरांव समाज की एकता, विरासत और संघर्षों की याद दिलाने वाला एक बड़ा आयोजन बनकर उभरी। समारोह ने अगली पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने का प्रेरणादायक संदेश दिया।

न्यूज़ देखो: संस्कृति की रक्षा तभी जब हम साथ हों
यह समारोह इस बात का जीवंत प्रमाण है कि जब समुदाय एकजुट होता है, तभी उसकी संस्कृति और परंपराएँ जीवित रहती हैं। उरांव समाज ने अपनी पहचान और सम्मान की रक्षा के लिए जो जागरूकता दिखाई है, वह अन्य समुदायों के लिए भी प्रेरक उदाहरण है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
अपनी संस्कृति को संजोएँ—एकजुट रहें, आगे बढ़ें
हमारी संस्कृति केवल रस्मों का हिस्सा नहीं, बल्कि हमारी पहचान और अस्तित्व है।
इसे बचाने की जिम्मेदारी हम सबकी है—गांवों में, शहरों में, हर मंच पर।
आज की पीढ़ी अगर अपनी परंपरा को समझेगी, तभी कल समाज मजबूत होगा।
क्या आपको लगता है कि ऐसे सांस्कृतिक आयोजन हर प्रखंड में नियमित होने चाहिए?
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