
#रांची #HatiaDam : मूसलाधार बारिश से बढ़ा जलस्तर, घोटाले के आरोपों से गरमाया सदन
- रांची और आसपास में लगातार बारिश से हटिया डैम लबालब।
- डैम का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर।
- गेट मरम्मत पर तीन साल में 98 लाख खर्च, उठे सवाल।
- विधायक नवीन जायसवाल ने कहा – “बड़ा घोटाला हुआ, करें जांच।”
- मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने कहा – “सोमवार को दूंगा जवाब।”
राजधानी रांची और उसके आसपास हो रही लगातार बारिश ने हटिया डैम की स्थिति चिंताजनक बना दी है। डैम की क्षमता 38 फीट है और यह पूरी तरह से भर चुका है। अब अगर अगले कुछ दिनों में और बारिश हुई तो तटबंधों पर दबाव और बढ़ जाएगा। जलस्तर घटाने के प्रयास नाकाम रहे हैं, जिससे खतरा बरकरार है।
गेट मरम्मती में 98 लाख का खर्च, उठे घोटाले के आरोप
विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन ही इस मुद्दे ने राजनीतिक रंग ले लिया। भाजपा के मुख्य सचेतक और हटिया विधायक नवीन जायसवाल ने आरोप लगाया कि पिछले तीन वर्षों में डैम के गेट की मरम्मत और रखरखाव के नाम पर 98 लाख रुपये खर्च किए गए, फिर भी आपात स्थिति में गेट नहीं खुल पा रहा है। उन्होंने इसे बड़ा घोटाला बताते हुए उच्च स्तरीय जांच की मांग की।
नवीन जायसवाल ने कहा: “सरकार बताये कि 98 लाख रुपये खर्च होने के बावजूद गेट क्यों नहीं खुल रहा। दोषियों पर कार्रवाई हो।”
उन्होंने सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि हर विभाग में घपले-घोटाले चरम पर हैं और हेमंत सरकार को अविलंब जिम्मेदार अधिकारियों व संवेदकों पर कार्रवाई करनी चाहिए।
गढ़वा से उठी और बड़ी घोटाले की बात
इस मुद्दे पर गढ़वा के भाजपा विधायक सत्येंद्रनाथ तिवारी ने भी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि हटिया डैम का मामला तो छोटा घोटाला है।
सत्येंद्रनाथ तिवारी बोले: “गढ़वा में पूर्व मंत्री के समय हर घर नल-जल योजना में इससे भी बड़ा घोटाला हुआ है। सरकार का ध्यान सिर्फ ट्रांसफर-पोस्टिंग में है।”
मंत्री का पलटवार और स्पष्टीकरण
राज्य के पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने कहा कि हटिया डैम जल संसाधन विभाग के अधीन है और वर्तमान में वे इस विभाग के प्रभारी मंत्री हैं, इसलिए नैतिक जिम्मेदारी उनकी बनती है। उन्होंने कहा कि वे इस मामले पर सोमवार को सदन में जवाब देंगे।
मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने कहा: “डैम को चूहा नहीं खाया है। गेट में तकनीकी गड़बड़ी हो सकती है, सोमवार को विस्तार से बताऊंगा।”
बढ़ता जलस्तर, प्रशासन के सामने चुनौती
38 फीट क्षमता वाला हटिया डैम इस समय पूरी तरह से भरा हुआ है। खतरे की स्थिति यह है कि अगर बारिश का सिलसिला जारी रहा तो जलस्तर तटबंधों पर भारी दबाव डालेगा। फिलहाल प्रशासन और तकनीकी टीमें स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं।
न्यूज़ देखो: पारदर्शिता और आपदा प्रबंधन की सच्चाई
यह घटना बताती है कि भ्रष्टाचार और लापरवाही का सीधा असर आम जनता की सुरक्षा पर पड़ता है। जल संसाधन प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
सुरक्षित समाज के लिए जागरूकता जरूरी
डैम जैसी संवेदनशील परियोजनाओं में छोटी सी लापरवाही भी बड़ी तबाही में बदल सकती है। इसलिए प्रशासनिक जिम्मेदारी और जनसहयोग दोनों ही अनिवार्य हैं।
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