
#गिरिडीह #विकास_समीक्षा : उपायुक्त ने कंपनियों से कहा—CSR फंड का लाभ वंचित वर्गों तक पहुंचे, लापरवाही पर होगी कार्रवाई
- उपायुक्त रामनिवास यादव ने CSR मद से क्रियान्वित योजनाओं की समीक्षा बैठक की।
- बैठक में शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, पेयजल और पर्यावरण संरक्षण पर जोर दिया गया।
- डीसी ने कहा—CSR फंड का उपयोग समाज के वंचित वर्गों के विकास में हो।
- सभी कंपनियों को स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप योजनाएं चुनने के निर्देश दिए गए।
- लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी, सभी कार्य गुणवत्तापूर्ण और समय पर पूरे करने को कहा गया।
गिरिडीह जिला प्रशासन की ओर से गुरुवार को उपायुक्त रामनिवास यादव की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) के तहत जिले में संचालित विकास योजनाओं की समीक्षा की गई। बैठक में विभिन्न कंपनियों और औद्योगिक इकाइयों द्वारा किए जा रहे कार्यों की प्रगति रिपोर्ट पर विस्तार से चर्चा हुई।
वंचित वर्गों के विकास पर देना होगा प्राथमिकता
बैठक में उपायुक्त ने कहा कि CSR फंड का मूल उद्देश्य समाज के वंचित वर्गों को मुख्यधारा से जोड़ना है। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिया कि कंपनियों और औद्योगिक इकाइयों को अपनी CSR गतिविधियों का अधिकतम लाभ शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, पेयजल, पर्यावरण संरक्षण, महिला सशक्तिकरण और कौशल विकास जैसे जनहितकारी क्षेत्रों में सुनिश्चित करना चाहिए।
उपायुक्त रामनिवास यादव ने कहा: “CSR फंड जनता के विकास के लिए है, इसे केवल दिखावे या औपचारिकता के रूप में न लें। हर योजना का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचना चाहिए।”
गुणवत्तापूर्ण कार्य और समयबद्धता पर विशेष जोर
बैठक के दौरान डीसी ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि CSR योजनाओं के तहत किए जा रहे सभी कार्य गुणवत्तापूर्ण तरीके से और निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरे किए जाएं। उन्होंने कहा कि सभी चयनित योजनाओं की नियमित मॉनिटरिंग की जाए और निर्माणाधीन कार्यों को जल्द से जल्द पूरा किया जाए ताकि उनका निरीक्षण जिला स्तर पर किया जा सके।
साथ ही उपायुक्त ने संबंधित विभागों से योजनाओं की प्रगति रिपोर्ट समय-समय पर प्रस्तुत करने को कहा। उन्होंने चेतावनी दी कि CSR के तहत चल रहे किसी भी कार्य में लापरवाही या कोताही पाए जाने पर संबंधित अधिकारियों और कंपनी प्रतिनिधियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
स्थानीय जरूरतों के अनुसार योजनाओं का चयन
डीसी ने बैठक में उपस्थित कंपनियों के प्रतिनिधियों से कहा कि वे स्थानीय जरूरतों और प्राथमिकताओं को ध्यान में रखकर योजनाएं तैयार करें। उन्होंने कहा कि CSR परियोजनाएं तभी सफल मानी जाएंगी जब उनका सीधा प्रभाव स्थानीय लोगों के जीवन स्तर पर पड़े।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जिन क्षेत्रों में स्कूलों की स्थिति कमजोर है, वहां CSR फंड से विद्यालय भवन, शौचालय, पेयजल सुविधा जैसी योजनाओं को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इसी तरह स्वास्थ्य केंद्रों के सुदृढ़ीकरण और पर्यावरण संरक्षण पर भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
उपायुक्त ने कहा: “CSR फंड का उपयोग तभी सार्थक होगा जब इसका असर लोगों के जीवन में दिखे। विकास कार्यों में पारदर्शिता और संवेदनशीलता बरतना आवश्यक है।”
शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण पर विशेष फोकस
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि आने वाले महीनों में CSR फंड के तहत शिक्षा क्षेत्र में विद्यालयों के आधारभूत ढांचे को मजबूत किया जाएगा। इसके अलावा स्वास्थ्य क्षेत्र में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को सुदृढ़ करने, पोषण संबंधी योजनाओं को बढ़ावा देने और पर्यावरण संरक्षण के लिए विशेष अभियान चलाए जाएंगे।
डीसी ने सभी उपस्थित अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने को कहा कि हर योजना पारदर्शी, उपयोगी और स्थायी परिणाम देने वाली हो।
न्यूज़ देखो: CSR फंड—विकास का असली मापदंड
“न्यूज़ देखो” मानता है कि CSR फंड केवल कॉर्पोरेट जिम्मेदारी नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन का सशक्त माध्यम है। गिरिडीह में डीसी रामनिवास यादव द्वारा दिए गए निर्देश यह दर्शाते हैं कि अब प्रशासन विकास योजनाओं की गुणवत्ता और पारदर्शिता पर गंभीरता से ध्यान दे रहा है।
अगर यह दिशा कायम रही तो CSR फंड से शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण में ठोस बदलाव देखने को मिलेंगे।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
समाज के विकास में पारदर्शिता और भागीदारी जरूरी
समाज तभी आगे बढ़ता है जब प्रशासन, उद्योग और जनता—तीनों एक साथ जिम्मेदारी निभाएं।
अब समय है कि कंपनियां CSR फंड को केवल दान नहीं, बल्कि समाज में बदलाव का साधन मानें।
हर नागरिक का दायित्व है कि वह अपने क्षेत्र में चल रही योजनाओं की जानकारी रखे और उनके परिणामों पर नजर रखे।
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