
#पिपरा #नशामुक्तिअभियान : फुटबॉल टूर्नामेंट के माध्यम से पिपरा में नशा के खिलाफ जागरूकता — खिलाड़ियों को दिलाई गई नशा से दूर रहने की शपथ
- पिपरा प्रखंड में फुटबॉल टूर्नामेंट के दौरान चला नशा मुक्ति जागरूकता अभियान
- विभिन्न विद्यालयों से आए बच्चों को नशा के दुष्परिणामों की दी गई जानकारी
- बच्चों को नशा मुक्त जीवन जीने की दिलाई गई शपथ
- खेलों के सकारात्मक प्रभावों पर किया गया प्रकाश
- कार्यक्रम के अंत में खिलाड़ियों को बांटे गए पुरस्कार
फुटबॉल टूर्नामेंट के साथ नशा के खिलाफ संदेश
मेदिनीनगर (पलामू), 24 जून: पिपरा थाना अंतर्गत पिपरा प्रखंड के थाना ग्राउंड में आयोजित प्रखंड स्तरीय फुटबॉल टूर्नामेंट के दौरान नशा मुक्ति अभियान चलाया गया। इस अवसर पर प्रखंड के विभिन्न विद्यालयों से आए बच्चों और खिलाड़ियों को नशा के दुष्परिणामों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।
अधिकारियों और आयोजकों ने बच्चों को बताया कि नशा न केवल स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि यह उनके भविष्य के लिए भी घातक साबित हो सकता है। साथ ही यह भी बताया गया कि खेल और शारीरिक गतिविधियाँ व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनाती हैं और नशे से दूर रखने में सहायक होती हैं।
बच्चों को दिलाई गई नशा मुक्त जीवन की शपथ
कार्यक्रम में सभी बच्चों और प्रतिभागी खिलाड़ियों को नशा से दूर रहने की शपथ दिलाई गई। उन्होंने संकल्प लिया कि वे खुद भी नशे से दूर रहेंगे और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करेंगे। यह शपथ बच्चों में अनुशासन और जागरूकता की भावना को मजबूती देने वाला कदम रहा।
खेल भावना और सामाजिक चेतना का समन्वय
कार्यक्रम के अंत में प्रतिभागी खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन करते हुए पुरस्कार वितरण किया गया। आयोजकों ने कहा कि यह आयोजन खेल भावना को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ समाज को नशा मुक्त बनाने की दिशा में एक रचनात्मक प्रयास था।

न्यूज़ देखो: खेल के मैदान से समाज सुधार की पहल
पिपरा प्रखंड में फुटबॉल टूर्नामेंट के माध्यम से नशा मुक्ति का संदेश देना एक प्रशंसनीय और प्रेरणादायक पहल रही। जब बच्चे खुद अपने भविष्य को बेहतर बनाने की शपथ लेते हैं, तो समाज को नई दिशा मिलती है। न्यूज़ देखो ऐसे आयोजनों के ज़रिए जागरूकता के प्रयासों को उजागर करता रहेगा।
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जनजागरूकता से बनेगा नशा मुक्त समाज
नशा सिर्फ एक आदत नहीं, समाज के लिए एक गंभीर चुनौती है। ऐसे में जरूरी है कि हम खुद भी जागरूक बनें और अपने बच्चों को भी जागरूक करें। स्कूल, खेल और सामुदायिक आयोजनों के माध्यम से यह संदेश व्यापक रूप से फैलाया जा सकता है।
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