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राजनीति के श्रमिक-सिपाही का निधन: पूर्व मंत्री ददई दुबे नहीं रहे, विश्रामपुर में शोक की लहर

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#गढ़वा #ददई_दुबे : विश्रामपुर विधानसभा के जनप्रिय नेता चंद्रशेखर उर्फ ददई दुबे का दिल्ली में निधन — मजदूरों के मसीहा रहे नेता के निधन से पूरे क्षेत्र में पसरा मातम
  • पूर्व मंत्री चंद्रशेखर उर्फ ददई दुबे का दिल्ली में हुआ निधन
  • गंगा राम अस्पताल में इलाज के दौरान ली अंतिम सांस
  • मजदूरों और पिछड़ों के संघर्षशील नेता माने जाते थे दुबे
  • बिहार-झारखंड दोनों विधानसभाओं में निभाई सक्रिय भूमिका
  • उनके निधन से गढ़वा, विश्रामपुर समेत पूरे क्षेत्र में शोक का माहौल

दिल्ली के अस्पताल में ली अंतिम सांस, लंबे समय से चल रहे थे बीमार

झारखंड के वरिष्ठ नेता, पूर्व मंत्री और विश्रामपुर विधानसभा क्षेत्र के लोकप्रिय विधायक रहे चंद्रशेखर दुबे उर्फ ददई दुबे का गुरुवार देर शाम दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे और कुछ दिनों से दिल्ली में इलाजरत थे। निधन की खबर मिलते ही पूरे विश्रामपुर, गढ़वा और आसपास के क्षेत्रों में शोक की लहर दौड़ गई।

स्थानीय नेता अर्जुन तिवारी ने कहा: “ददई बाबू का जाना सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं, एक युग का अंत है। वे गरीबों के लिए लड़ने वाले नेता थे।”

संघर्षशील राजनीतिक जीवन, जनता के बीच गहरी पैठ

ददई दुबे को आम जनता ‘मजदूरों का मसीहा’ कहती थी। उनका राजनीतिक जीवन बेहद संघर्षपूर्ण रहा। वे बिहार विधानसभा, झारखंड विधानसभा और धनबाद लोकसभा क्षेत्र से सांसद के रूप में भी निर्वाचित हुए थे। मजदूरों, गरीबों और पिछड़े तबकों के हक में उन्होंने सदैव बुलंद आवाज उठाई।

उनका सहज, सरल और जमीनी व्यवहार उन्हें लोगों के बेहद करीब ले गया। चाहे विधानसभा हो या सड़क, उन्होंने लोगों की समस्याओं को हमेशा प्राथमिकता दी। उनके समर्थक उन्हें जननेता के रूप में याद करते हैं।

शोक में डूबा विश्रामपुर, समर्थकों का जुटना शुरू

ददई दुबे के निधन की खबर मिलते ही उनके पैतृक गांव और आवास पर समर्थकों और शुभचिंतकों का पहुंचना शुरू हो गया है। लोग उनके अंतिम दर्शन की तैयारी में जुटे हैं। स्थानीय युवाओं, सामाजिक संगठनों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने उनके योगदान को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी।

समाजसेवी सुभाष गुप्ता ने कहा: “वे दलितों, पिछड़ों और मजदूरों के अधिकारों के प्रतीक थे। उनका योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता।”

झारखंड की राजनीति को अपूरणीय क्षति

ददई दुबे के निधन से झारखंड की राजनीति को एक बड़ा धक्का लगा है। ऐसे समय में जब राजनीति में मूल्यों और सिद्धांतों की कमी महसूस हो रही है, उनकी अनुपस्थिति और भी पीड़ा देती है। उनकी लोकप्रियता किसी दल विशेष तक सीमित नहीं थी, वे हर वर्ग और हर विचारधारा के लोगों के लिए सम्मान के पात्र थे।

न्यूज़ देखो: श्रमिकों की राजनीति का सशक्त चेहरा अब नहीं रहा

न्यूज़ देखो ददई दुबे को झारखंड की श्रमिक राजनीति का सशक्त, सादा और संघर्षशील चेहरा मानता है। उन्होंने जो सामाजिक चेतना और जमीनी जुड़ाव की राजनीति की, वह आज की राजनीति के लिए एक उदाहरण है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

समाज के लिए प्रेरणा, नागरिकों के लिए संदेश

ददई दुबे जैसे नेताओं का जीवन हमें जनसेवा, संघर्ष और सादगी का महत्व सिखाता है। आइए हम सब मिलकर उनके विचारों को आगे बढ़ाएं, गरीबों और श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा में एकजुट हों।
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