
#Barwadih #Politics : झारखंड आंदोलन के नायक को सम्मान दिलाने के लिए उठी एकजुट आवाज—अब सरकार पर नजर
- रामचंद्र सिंह ने पीएम को पत्र लिखकर भारत रत्न देने की मांग की।
- स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी पहले ही कर चुके हैं यह मांग।
- शिबू सोरेन का योगदान—झारखंड आंदोलन से लेकर आदिवासी समाज तक।
- छह दशक लंबा संघर्ष, सामाजिक-राजनीतिक बदलाव का प्रतीक।
- राजनीतिक गलियारों में बढ़ी हलचल, केंद्र से सकारात्मक पहल की उम्मीद।
झारखंड की सियासत में एक बड़ा मुद्दा जोर पकड़ रहा है। मनिका विधानसभा के विधायक सह विधानसभा समिति के सभापति रामचंद्र सिंह ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर झामुमो संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय शिबू सोरेन को भारत रत्न देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह सम्मान न केवल उनके योगदान की मान्यता होगी, बल्कि झारखंड की अस्मिता को भी उचित पहचान दिलाएगा।
स्वास्थ्य मंत्री पहले कर चुके हैं यह मांग
इससे पहले राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी भी सार्वजनिक मंच से शिबू सोरेन को भारत रत्न देने की मांग कर चुके हैं। डॉ. अंसारी का कहना था कि गुरुजी झारखंड के लिए संघर्ष का पर्याय रहे हैं। उन्होंने राज्य गठन और आदिवासी समाज के हक की लड़ाई में जो बलिदान और नेतृत्व दिखाया, उसे सर्वोच्च सम्मान से ही यादगार बनाया जा सकता है।
क्यों उठ रही है मांग?
रामचंद्र सिंह ने अपने बयान में कहा कि झारखंड आंदोलन और अलग राज्य गठन में गुरुजी की भूमिका को भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने शोषित, वंचित, आदिवासी समुदाय के अधिकारों के लिए दशकों तक संघर्ष किया।
रामचंद्र सिंह ने कहा: “शिबू सोरेन ने सड़क से लेकर सदन तक 60 साल तक संघर्ष किया। यह भारत रत्न उनके योगदान का सच्चा सम्मान होगा।”
डॉ. इरफान अंसारी का बयान: “गुरुजी सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि झारखंड की आत्मा हैं। उन्हें भारत रत्न मिलना पूरे राज्य के लिए गर्व की बात होगी।”
शिबू सोरेन का योगदान
स्वर्गीय शिबू सोरेन, जिन्हें प्यार से गुरुजी कहा जाता है, ने झारखंड आंदोलन को संगठित किया, आदिवासी समाज को उनकी पहचान दिलाई और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए आंदोलन का नेतृत्व किया। उन्होंने किसानों, मजदूरों और वंचितों के लिए संघर्ष करते हुए राजनीति को जनसरोकार से जोड़े रखा। उनके नेतृत्व में ही झारखंड को अलग राज्य का दर्जा मिला।
क्या कहती है सियासत?
रामचंद्र सिंह और डॉ. इरफान अंसारी के बयानों के बाद झारखंड के राजनीतिक गलियारों में इस मुद्दे पर चर्चा तेज हो गई है। कई नेता इस मांग को सही ठहरा रहे हैं, जबकि कुछ इसे राजनीतिक रणनीति बता रहे हैं। सोशल मीडिया पर लोग इसे लेकर खुलकर राय दे रहे हैं।
न्यूज़ देखो: झारखंड की अस्मिता के सम्मान की पुकार
यह मांग केवल एक सम्मान की बात नहीं, बल्कि झारखंड की पहचान और संघर्ष की ऐतिहासिक मान्यता का मुद्दा है। भारत रत्न जैसे सर्वोच्च सम्मान से ही शिबू सोरेन के योगदान को सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सकती है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
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