#सतबरवा #पंचायतीराजसशक्तिकरण: राष्ट्रीय चेरो जनजातीय महासंघ ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपकर पंचायत प्रतिनिधियों को प्रभावी अधिकार देने की मांग की — कहा, निष्क्रिय समितियों के कारण विकास प्रभावित
- राष्ट्रीय चेरो जनजातीय महासंघ ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा
- पंचायत प्रतिनिधियों को प्रशासनिक और वित्तीय अधिकार देने की मांग
- 29 समितियों की निष्क्रियता से योजनाओं का क्रियान्वयन बाधित
- ग्रामसभा की भूमिका को अधिक प्रभावी बनाने की आवश्यकता
- पंचायती राज व्यवस्था के सशक्तिकरण से ग्रामीण विकास तेज होगा
झारखंड में पंचायत व्यवस्था पर उठे सवाल
सतबरवा (पलामू): झारखंड में पंचायती राज व्यवस्था को सशक्त बनाने की मांग एक बार फिर से ज़ोर पकड़ने लगी है। इस कड़ी में राष्ट्रीय चेरो जनजातीय महासंघ ने राज्य के मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन सौंपा है, जिसमें उन्होंने पंचायत प्रतिनिधियों को बिहार राज्य की तर्ज पर प्रभावी अधिकार दिए जाने की मांग की है।
25 वर्षों में नहीं मिला हक, 15 वर्षों से पदाधिकारी बेअसर
महासंघ के राष्ट्रीय संयोजक अवधेश सिंह चेरो ने पलामू उपायुक्त के माध्यम से भेजे गए ज्ञापन में कहा कि झारखंड राज्य गठन को 25 वर्ष पूरे हो चुके हैं, वहीं पंचायत चुनाव भी लगभग 15 साल पूर्व संपन्न हुए, फिर भी पंचायत प्रतिनिधियों को प्रशासनिक और वित्तीय स्तर पर कोई प्रभावी अधिकार नहीं मिल पाया है।
अवधेश सिंह चेरो ने कहा: “पंचायत प्रतिनिधियों को अधिकार नहीं मिलने से विकास की गति थमी है और जनता का भरोसा इस व्यवस्था से उठ रहा है।”
पंचायत अधिनियम की समितियां रह गईं कागजों तक
ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया है कि पंचायती राज अधिनियम में 29 समितियों का प्रावधान है, लेकिन व्यवहार में ये निष्क्रिय हैं। इन समितियों की निष्क्रियता के कारण विकास योजनाओं का क्रियान्वयन प्रभावित हो रहा है। इससे न केवल ग्रामीण जनता को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि उनके लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन भी हो रहा है।
अधिकार और भागीदारी से ही मजबूत होगा लोकतंत्र
महासंघ ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि जिला परिषद, पंचायत समिति सदस्य, मुखिया और वार्ड सदस्य जैसे जनप्रतिनिधियों को प्रभावी और ठोस अधिकार प्रदान किए जाएं ताकि ग्रामसभा और पंचायत की भूमिका मजबूत हो सके और ग्रामीण स्तर पर जनभागीदारी बढ़े।
सरकार से ठोस कदम की अपील
महासंघ ने ज्ञापन में यह मांग की है कि सरकार जल्द से जल्द इस दिशा में ठोस निर्णय ले ताकि पंचायतों को सक्षम और प्रभावी इकाई के रूप में विकसित किया जा सके। इससे झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में विकास योजनाओं का लाभ शीघ्रता से आमजन तक पहुँच सकेगा।
न्यूज़ देखो: पंचायत को अधिकार दो, विकास को रफ्तार दो
पंचायतें लोकतंत्र की नींव होती हैं, लेकिन जब उन पर केवल चुनावों की औपचारिकता थोप दी जाए और अधिकारों से वंचित रखा जाए, तो यह ग्रामीण विकास की आत्मा को कुचलने जैसा है। राष्ट्रीय चेरो जनजातीय महासंघ की मांग में वह सच्चाई है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। झारखंड सरकार को अब पंचायत प्रतिनिधियों को केवल प्रतिनिधि नहीं, बल्कि योजनाओं के क्रियान्वयनकर्ता के रूप में अधिकार संपन्न बनाना होगा।
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