#गिरिडीह #प्रवासीमजदूरनाइजर : महिलाओं का ऐलान – जब तक मजदूरों की वापसी नहीं, तब तक संघर्ष जारी रहेगा
- बगोदर के नाइजर में फंसे पांच मजदूरों को लेकर ऐपवा ने जताई चिंता
- केंद्र सरकार और सांसद अन्नपूर्णा देवी की चुप्पी पर सवाल
- 22 जून को सांसद आवास पर महिलाओं का ज्ञापन कार्यक्रम
- महिलाओं ने कहा – उजड़ते सिंदूर पर सरकार मौन क्यों?
- बैठक में महिलाओं ने चेताया – अब चुप नहीं रहेंगे
केंदुआ पंचायत में ऐपवा की बैठक, प्रवासी मजदूरों की वापसी पर चिंता
गिरिडीह जिले के बगोदर प्रखंड अंतर्गत केंदुआ पंचायत सचिवालय में रविवार को ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव वुमेन्स एसोसिएशन (ऐपवा) की बैठक आयोजित की गई। बैठक का विषय था – नाइजर में लापता पांच प्रवासी मजदूरों की सुरक्षित वापसी की मांग और सरकार की इस मुद्दे पर निष्क्रियता पर आक्रोश।
सांसद और सरकार की चुप्पी पर तीखा हमला
बैठक में ऐपवा नेत्री जयंती चौधरी ने बताया कि 22 जून को कोडरमा लोकसभा क्षेत्र की महिलाएं सांसद अन्नपूर्णा देवी के आवास पर जाकर ज्ञापन सौंपेंगी। उन्होंने केंद्र सरकार की मौन स्थिति पर नाराजगी जताते हुए कहा कि यह मानवीय संवेदनाओं के साथ क्रूर मज़ाक है।
“उजड़ते सिंदूर पर मौन क्यों हैं प्रधानमंत्री?”
राज्य कमेटी सदस्य कौशल्या दास ने कहा कि सरकार इस गंभीर अंतरराष्ट्रीय मामले में भी जिम्मेदारी से भाग रही है।
मीना दास ने कहा:
“जो सिंदूर की बात करते हैं, वे अब पांच मजदूरों की पत्नियों के उजड़ते सिंदूर पर मौन क्यों हैं?”
महिलाओं ने स्पष्ट किया कि जब तक सभी मजदूर सुरक्षित घर नहीं लौटते, आंदोलन जारी रहेगा।
चुप्पी नहीं, कार्रवाई चाहिए
बैठक में मौजूद महिलाओं ने सरकार को चेताया कि अब वे चुप नहीं बैठेंगी। नाइजर में फंसे गिरिडीह के मजदूरों को लेकर न तो विदेश मंत्रालय ने ठोस जानकारी दी है, न ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने परिवारों से संवाद किया है।
न्यूज़ देखो: प्रवासी संकट पर जिम्मेदारी तय होनी चाहिए
गिरिडीह के मजदूरों की अंतरराष्ट्रीय संकट में फंसी स्थिति इस बात का प्रमाण है कि प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षा अभी भी प्राथमिकता नहीं है। सरकार, सांसद और विदेश मंत्रालय की सक्रिय चुप्पी गहरी चिंता का विषय है।
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आवाज उठाएं, जब सवालों पर मौन हो सत्ता
जब सरकारें चुप हों, तब जनता की आवाज़ ही बदलाव का रास्ता बनती है। अगर आप भी इन प्रवासी मजदूरों के परिवारों के साथ हैं, इस खबर को साझा करें, समर्थन जताएं, और जवाबदेही की मांग करें।