
#मेदिनीनगर #सामाजिक_विरोध : महिलाओं ने ज्ञापन सौंपकर कहा – आस्था और संस्कारों के बीच नहीं चल सकती शराब की दुकान
- बेलवाटिका चौक की महिलाओं ने प्रशासन से शराब दुकान स्थानांतरण की मांग उठाई।
- उत्पाद अधीक्षक और उप विकास आयुक्त को ज्ञापन सौंपा गया।
- चौक पर स्थित स्कूल स्टॉपेज, मंदिर, नर्सिंग होम और पंडाल के पास दुकान से लोगों में आक्रोश।
- महिलाओं का कहना, दुर्गापूजा से पहले आस्था के साथ हो रहा खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं।
- दुकान का आवंटन स्टेशन रोड के लिए, फिर भी संचालन बेलवाटिका चौक पर हो रहा।
मेदिनीनगर के बेलवाटिका इलाके में शराब दुकान को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। शुक्रवार को इलाके की महिलाओं का एक प्रतिनिधिमंडल उत्पाद अधीक्षक और उप विकास आयुक्त से मिला और ज्ञापन सौंपकर दुकान को स्थानांतरित करने की मांग दोहराई। उनका कहना है कि बेलवाटिका चौक पूरी तरह रिहायशी क्षेत्र है और यहां पूजा-पंडाल, मंदिर, स्कूल स्टॉपेज और नर्सिंग होम जैसे महत्वपूर्ण स्थल मौजूद हैं। ऐसे में शराब दुकान का संचालन इस इलाके के सामाजिक और सांस्कृतिक माहौल को बिगाड़ रहा है।
दुर्गापूजा के मद्देनज़र बढ़ी चिंता
महिलाओं ने स्पष्ट कहा कि दुर्गापूजा का पर्व अब बेहद नजदीक है और चौक पर नवयुवक संघ बेलवाटिका का पंडाल स्थापित हो रहा है। पंडाल के ठीक सामने शराब दुकान का संचालन स्थानीय आस्था के साथ सीधा खिलवाड़ है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि समय रहते प्रशासन ने संज्ञान नहीं लिया तो माहौल बिगड़ सकता है।
धार्मिक स्थल और शिक्षा संस्थान प्रभावित
ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया कि चौक पर पवित्र कल्पतरू, प्रसिद्ध डॉक्टरों के नर्सिंग होम, मंदिर और स्कूलों के स्टॉपेज हैं। ऐसी जगह शराब दुकान का होना बच्चों की सुरक्षा और धार्मिक वातावरण दोनों के लिए हानिकारक है।
प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की अपेक्षा
महिलाओं ने प्रशासन को याद दिलाया कि इस दुकान का आवंटन स्टेशन रोड के लिए किया गया था, लेकिन इसे गलत तरीके से बेलवाटिका चौक पर चलाया जा रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि अब समय आ गया है कि इस गंभीर मुद्दे पर ठोस निर्णय लिया जाए।
न्यूज़ देखो: आस्था और व्यवस्था के बीच संतुलन जरूरी
बेलवाटिका चौक का यह मामला केवल एक दुकान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सवाल उठाता है कि क्या आस्था, शिक्षा और स्वास्थ्य के केंद्रों के बीच शराब का कारोबार चलना चाहिए। प्रशासन को इस दिशा में तुरंत और ठोस कदम उठाना होगा ताकि त्योहार का माहौल श्रद्धा और शांति से भरा रहे।
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आस्था की रक्षा सबकी जिम्मेदारी
यह समय केवल विरोध करने का नहीं बल्कि मिलकर बदलाव लाने का है। जब आस्था और संस्कृति खतरे में हों तो हर नागरिक को सजग रहना चाहिए। आइए, हम सब मिलकर अपनी भावनाओं और भविष्य की पीढ़ी की सुरक्षा के लिए आवाज उठाएँ। अपनी राय कमेंट करें और इस खबर को साझा करें।