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झारखंड आंदोलन के महानायकों को पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग, नागेन्द्र महतो ने शिक्षा सुधार पर भी उठाए मुद्दे

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#रांची #शिक्षा_संवाद : बगोदर विधायक नागेन्द्र महतो ने JAC बैठक में झारखंड आंदोलन और शिक्षा से जुड़ी महत्वपूर्ण समस्याओं पर चर्चा की
  • झारखंड अधिविद परिषद (JAC) में पाठ्यक्रम समिति की बैठक आयोजित।
  • बगोदर विधायक नागेन्द्र महतो ने बैठक में शामिल होकर महानायकों के योगदान को पाठ्यक्रम में शामिल करने का आग्रह किया।
  • बैठक में शिक्षा व्यवस्था और पाठ्यक्रम सुधार से जुड़े कई मुद्दों पर विस्तृत चर्चा हुई।
  • JAC के चेयरमैन नटवा हांसदा, सचिव जयंत कुमार मिश्रा सहित परिषद के सदस्य उपस्थित थे।
  • उद्देश्य नई पीढ़ी को झारखंड आंदोलन और संघर्ष के इतिहास से अवगत कराना।

झारखंड अधिविद परिषद, रांची में आयोजित पाठ्यक्रम समिति की बैठक में बगोदर विधायक नागेन्द्र महतो ने भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने झारखंड आंदोलन के महानायकों – स्व. बिनोद बिहारी महतो, स्व. शिबू सोरेन, ए. के. राय, स्व. निर्मल महतो, और स्व. जयपाल सिंह मुंडा – के योगदान को पाठ्यक्रम में शामिल करने का जोरदार आग्रह किया। उनका मानना है कि नई पीढ़ी को झारखंड के संघर्ष और आंदोलन के इतिहास से अवगत कराना आवश्यक है।

शिक्षा सुधार और पाठ्यक्रम पर विचार

बैठक में विधायक महतो ने शिक्षा व्यवस्था से जुड़ी चुनौतियों और पाठ्यक्रम में सुधार के उपायों पर भी विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि शिक्षा प्रणाली में सुधार और स्थानीय इतिहास की पहचान बच्चों को उनके सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्यों से जोड़ती है।

नागेन्द्र महतो ने कहा: “हमारी नई पीढ़ी को झारखंड के संघर्षों और महानायकों की कहानी जाननी चाहिए ताकि वे अपने इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर से प्रेरित हों।”

बैठक में उपस्थित JAC के चेयरमैन नटवा हांसदा और सचिव जयंत कुमार मिश्रा ने भी इस पहल का स्वागत किया और कहा कि पाठ्यक्रम में स्थानीय इतिहास और आंदोलनकारियों के योगदान को शामिल करना शिक्षा में नई दिशा देगा।

परिषद के सदस्य और वार्ता का महत्व

बैठक में परिषद के अन्य सदस्यगण भी उपस्थित रहे। उन्होंने शिक्षा सुधार और पाठ्यक्रम सुधार के लिए सुझाव प्रस्तुत किए। यह बैठक झारखंड के शिक्षा क्षेत्र में स्थानीय इतिहास और महानायकों के योगदान को महत्व देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

न्यूज़ देखो: शिक्षा और इतिहास का संगम

इस बैठक से यह स्पष्ट होता है कि झारखंड में शिक्षा केवल पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि स्थानीय इतिहास और संघर्षों से बच्चों को जोड़ने का प्रयास जरूरी है। यह पहल नई पीढ़ी को सांस्कृतिक और सामाजिक जागरूकता प्रदान करेगी।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

जागरूक शिक्षा के लिए कदम बढ़ाएं

नई पीढ़ी को अपने इतिहास और संघर्ष से जोड़ने के लिए शिक्षा में सुधार जरूरी है। इस संदेश को साझा करें, अपनी राय कमेंट में लिखें और अपने मित्रों के साथ इस विषय पर चर्चा को बढ़ावा दें।

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