
#गढ़वा #यूरियाखाद : सरकार द्वारा तय मूल्य पर ही बिक्री करने का सख्त निर्देश
- उपायुक्त दिनेश कुमार यादव ने थोक विक्रेताओं संग बैठक की।
- यूरिया खाद का अधिकतम खुदरा मूल्य 266 रुपये प्रति पैकेट निर्धारित।
- कालाबाजारी व अनियमितता पर रोक लगाने का सख्त निर्देश।
- दुकानदारों को स्टॉक और दर सूची प्रदर्शित करने का आदेश।
- उल्लंघन करने वालों की अनुज्ञप्ति रद्द की जाएगी।
धान की फसल में खाद डालने के समय यूरिया खाद की बढ़ती माँग को देखते हुए गढ़वा में इसकी कालाबाजारी रोकने के लिए प्रशासन सक्रिय हो गया है। उपायुक्त दिनेश कुमार यादव ने जिले के सभी यूरिया खाद के थोक विक्रेताओं के साथ बैठक कर स्पष्ट निर्देश दिए कि खाद का वितरण केवल सरकार द्वारा तय मूल्य पर ही किया जाए।
तय मूल्य से अधिक पर बिक्री गंभीर अपराध
उपायुक्त ने कहा कि यूरिया खाद का अधिकतम खुदरा मूल्य 266 रुपये प्रति पैकेट है, लेकिन कई दुकानदार इससे अधिक मूल्य पर बिक्री कर रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यह गंभीर अपराध है और ऐसी गतिविधियों पर अब कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
दुकानों पर दर सूची और स्टॉक प्रदर्शित करना अनिवार्य
बैठक में उपायुक्त ने सभी थोक विक्रेताओं को निर्देशित किया कि वे अपने दुकानों पर दर सूची और स्टॉक की जानकारी सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करें। इससे किसानों को पारदर्शी व्यवस्था का लाभ मिलेगा और कालाबाजारी की संभावना कम होगी।
कृषि पदाधिकारी और अधिकारियों को सतर्कता का आदेश
बैठक में उपायुक्त ने जिला कृषि पदाधिकारी खुशबू को निर्देश दिया कि वे लगातार नजर रखें और समय-समय पर औचक निरीक्षण करें। इसके अलावा संबंधित जाँच अधिकारियों को भी आदेश दिया गया कि खुदरा और थोक दोनों स्तर पर निगरानी रखी जाए और गड़बड़ी पाए जाने पर कठोर कार्रवाई की जाए।
बैठक में कई अधिकारी और विक्रेता रहे मौजूद
इस बैठक में अनुमंडल पदाधिकारी गढ़वा संजय कुमार समेत जिले के सभी थोक विक्रेता दुकानदार और संबंधित पदाधिकारी उपस्थित थे। बैठक में प्रशासन ने साफ किया कि किसानों के साथ किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
न्यूज़ देखो: किसानों के हित में सख्ती जरूरी
गढ़वा प्रशासन का यह कदम किसानों को राहत देने वाला है। किसानों की मेहनत और उत्पादन सीधे खाद की उपलब्धता पर निर्भर है, ऐसे में कालाबाजारी रोकने और पारदर्शी व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाना समय की मांग है।
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अब समय है किसानों को न्याय दिलाने का
किसान ही हमारे अन्नदाता हैं। उनके हक की रक्षा करना समाज और प्रशासन दोनों की जिम्मेदारी है। अब जरूरत है कि हम सब जागरूक होकर ऐसी कालाबाजारी की घटनाओं पर नजर रखें। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को शेयर करें ताकि किसान हितों की रक्षा सुनिश्चित हो सके।