
#सिमडेगा #स्वास्थ्यसमीक्षा : उपायुक्त ने की विभागीय कार्यों की गहन समीक्षा – एएनसी जांच, संस्थागत प्रसव और कुपोषण केंद्रों में सुधार के निर्देश।
- उपायुक्त कंचन सिंह की अध्यक्षता में हुई स्वास्थ्य विभाग की समीक्षात्मक बैठक।
- संस्थागत प्रसव में कमी पर नाराजगी, सुधार के लिए दिए कड़े निर्देश।
- गर्भवती महिलाओं की एएनसी जांच शत-प्रतिशत कराने का आदेश।
- मलेरिया और कुपोषण नियंत्रण पर विशेष ध्यान देने के निर्देश।
- उपकरणों और मशीनों के रखरखाव पर नियमित निरीक्षण का आदेश दिया गया।
सिमडेगा जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति का जायजा लेने के लिए उपायुक्त श्रीमती कंचन सिंह की अध्यक्षता में समाहरणालय सभागार में एक महत्वपूर्ण समीक्षात्मक बैठक आयोजित की गई। बैठक में जिले के सभी प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारी, सिविल सर्जन और अन्य स्वास्थ्य अधिकारी उपस्थित थे। उपायुक्त ने विभागीय योजनाओं की प्रगति, संस्थागत प्रसव की दर, कुपोषण उपचार केंद्रों की स्थिति और मलेरिया नियंत्रण जैसे विषयों पर विस्तृत चर्चा की।
स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार को लेकर निर्देश
बैठक के दौरान उपायुक्त ने स्पष्ट कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए सभी अधिकारी जिम्मेदारी से काम करें। उन्होंने कहा कि गर्भवती महिलाओं की एएनसी जांच (ANC Check-up) शत-प्रतिशत कराना अनिवार्य है, ताकि सुरक्षित मातृत्व सुनिश्चित हो सके।
उपायुक्त कंचन सिंह ने कहा: “संस्थागत प्रसव में कमी चिंताजनक है। प्रत्येक स्वास्थ्य केंद्र में प्रसव की उचित व्यवस्था सुनिश्चित की जाए ताकि किसी भी गर्भवती महिला को असुविधा न हो।”
उन्होंने नवजात शिशुओं को शत-प्रतिशत स्तनपान कराने की आवश्यकता पर भी बल दिया और कहा कि वास्तविक डेटा को समय पर और सटीक रूप से पोर्टल पर अपलोड किया जाए। साथ ही, इन आंकड़ों की तुलना NFHHH डेटा से करने के निर्देश दिए ताकि योजनाओं की प्रभावशीलता का मूल्यांकन किया जा सके।
कुपोषण केंद्र और मलेरिया नियंत्रण पर सख्त रुख
उपायुक्त ने ठेठईटांगर के कुपोषण उपचार केंद्र के कम बेड ऑक्युपेंसी रेट पर असंतोष जताया और कहा कि केंद्र का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित किया जाए ताकि ज़्यादा से ज़्यादा बच्चों को उपचार मिल सके।
उपायुक्त ने कहा: “कुपोषण से जूझ रहे बच्चों को समय पर उपचार देना हमारी प्राथमिकता है। किसी भी स्थिति में केंद्र खाली नहीं रहने चाहिए।”
इसके साथ ही बानो प्रखंड में बढ़ते मलेरिया मामलों को लेकर उपायुक्त ने गहरी चिंता जताई। उन्होंने निर्देश दिया कि आईआरएस (Indoor Residual Spray) का छिड़काव प्रभावी तरीके से किया जाए और अधिक से अधिक लोगों की मलेरिया स्क्रीनिंग सुनिश्चित की जाए। उन्होंने स्वास्थ्य कर्मियों से कहा कि वे क्षेत्र में जाकर जागरूकता अभियान चलाएं ताकि ग्रामीण स्वयं सतर्क रहें।
मशीनों और उपकरणों के रखरखाव पर निर्देश
बैठक में उपायुक्त ने यह भी कहा कि कई बार स्वास्थ्य सेवाएँ उपकरणों की खराबी के कारण बाधित होती हैं। इसे देखते हुए उन्होंने सभी संस्थानों को मशीनों और उपकरणों की नियमित जांच करने का निर्देश दिया। साथ ही, उन्होंने टीबी मरीजों के उपचार में सुधार लाने और संबंधित डेटा को समय पर पोर्टल पर अपलोड करने पर बल दिया।
अधिकारीयों को जिम्मेदारी के साथ कार्य करने की हिदायत
उपायुक्त ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग जनता के जीवन से सीधा जुड़ा हुआ है, इसलिए इसमें लापरवाही की कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने प्रत्येक अधिकारी को अपने-अपने क्षेत्र में जिम्मेदारीपूर्वक कार्य करने और समयबद्ध तरीके से रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। बैठक में मौजूद अधिकारियों ने सुधारात्मक कदम उठाने का आश्वासन दिया।

न्यूज़ देखो: स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की दिशा में सख्त कदम
सिमडेगा में उपायुक्त कंचन सिंह की यह बैठक प्रशासनिक संवेदनशीलता का उदाहरण है। उन्होंने स्वास्थ्य तंत्र की कमजोर कड़ियों पर स्पष्ट संकेत दिए और सुधार के लिए ठोस निर्देश जारी किए। यदि इनका पालन सख्ती से हुआ, तो जिले में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के साथ-साथ संक्रामक रोग नियंत्रण में भी सुधार देखने को मिलेगा।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
स्वस्थ समाज की दिशा में सशक्त कदम
स्वास्थ्य सेवाओं का सशक्त तंत्र ही किसी जिले की असली ताकत होता है। जब अधिकारी गंभीरता से काम करते हैं, तो जनता का भरोसा भी बढ़ता है। आइए, हम सब मिलकर स्वस्थ, जागरूक और जिम्मेदार समाज के निर्माण में अपना योगदान दें।
अपनी राय कमेंट करें, खबर को साझा करें और जागरूकता फैलाने में हिस्सा लें।




