
#गढ़वा #प्रशासनिक_लापरवाही : सीआईएसएफ जवान को प्रमाण पत्र के लिए 10 दिन तक काटने पड़े चक्कर, छुट्टी खत्म होने पर भी नहीं मिला समाधान
- भवनाथपुर अंचल कार्यालय की लापरवाही से परेशान हुआ मकरी गांव का जवान
- छुट्टी लेकर आए जवान छोटन यादव को नहीं मिला आश्रित प्रमाण पत्र
- अनुमंडल पदाधिकारी प्रभाकर मिर्धा ने की सीआई को फोन पर फटकार
- विधायक अनंत प्रताप देव के संज्ञान लेने पर हरकत में आया प्रशासन
- उपायुक्त शेखर जमुआर ने बताया झारसेवा पोर्टल पर सेवा उपलब्ध नहीं
- प्रमाण पत्र की तिथि को ही निर्गत करने का दिया गया निर्देश
सरकारी लापरवाही की चपेट में फंसा एक जिम्मेदार सिपाही
देश की सुरक्षा में तैनात सीआईएसएफ जवान छोटन कुमार यादव को अपने माता-पिता के इलाज हेतु आश्रित प्रमाण पत्र बनवाने के लिए भवनाथपुर अंचल कार्यालय में लगातार 10 दिनों तक चक्कर काटने पड़े। मकरी गांव निवासी छोटन यादव ने सभी आवश्यक दस्तावेजों के साथ आवेदन दिया, लेकिन प्रमाण पत्र जारी करने में टालमटोल और कर्मचारियों की उदासीनता ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दीं।
छुट्टी खत्म, टिकट कैंसिल, फिर भी प्रमाण पत्र नहीं
छोटन यादव ने बताया कि वह कंपनी से छुट्टी लेकर आए थे और बार-बार प्रमाण पत्र की मांग हो रही है।
“अब मेरी छुट्टी खत्म हो गई है, वापसी का टिकट भी कैंसिल करना पड़ा। प्रमाण पत्र नहीं मिलने से काम अटक गया है।” — छोटन कुमार यादव
जब अंचल कार्यालय ने उनकी समस्या की अनदेखी की, तो उन्होंने अनुमंडल कार्यालय पहुंचकर एसडीओ प्रभाकर मिर्धा से मुलाकात की और अपनी स्थिति बताई। एसडीओ ने तत्काल संज्ञान लिया और अंचल अधिकारी को कॉल किया, लेकिन सीओ ने कॉल रिसीव नहीं किया।
एसडीओ की सख्ती से टूटी चुप्पी, विधायक ने भी दिखाई सक्रियता
एसडीओ ने मामले की गंभीरता को समझते हुए भवनाथपुर अंचल के सीआई को फोन कर कड़ी फटकार लगाई और तुरंत प्रमाण पत्र निर्गत करने का निर्देश दिया। मीडिया में मामला आने के बाद भवनाथपुर विधायक अनंत प्रताप देव ने भी इसे गंभीरता से लेते हुए गढ़वा उपायुक्त शेखर जमुआर को निर्देशित किया।
उपायुक्त ने स्पष्ट किया तकनीकी कारण
उपायुक्त ने जवाब में बताया कि—
“आवेदक द्वारा मांगे गए पारिवारिक सूची/आश्रित प्रमाण पत्र की सेवा वर्तमान में झारसेवा पोर्टल पर उपलब्ध नहीं है। अनुमंडल पदाधिकारी बंशीधर नगर से मार्गदर्शन लेकर अंचल अधिकारी द्वारा आवेदन की तिथि को ही प्रमाण पत्र निर्गत कर दिया गया है।” — शेखर जमुआर, उपायुक्त गढ़वा
इस स्पष्टीकरण के अनुसार, तकनीकी बाधा और सही मार्गदर्शन की कमी के चलते प्रमाण पत्र समय पर नहीं बन पाया, लेकिन अब वह निर्गत कर दिया गया है।
बाहर दुश्मन से, अंदर सिस्टम से जंग लड़ रहा जवान
यह मामला सिर्फ एक प्रमाण पत्र के विलंब का नहीं है, बल्कि इस बात का प्रमाण है कि देश की सुरक्षा में तैनात जवानों को भी अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। छोटन कुमार यादव जैसे सैकड़ों जवान जो सरहद पर दुश्मनों से लड़ रहे हैं, वे जब घर आते हैं तो उन्हें प्रशासनिक उदासीनता और लापरवाही से भी लड़ना पड़ता है।
“मैंने देश के लिए बंदूक उठाई है, लेकिन घर आकर कागज़ों के लिए लड़ाई लड़नी पड़ रही है। सिस्टम से लड़ना दुश्मन से लड़ने से भी ज्यादा थकाने वाला है।” — छोटन कुमार यादव
ये स्थिति बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और चिंता जनक है कि जो जवान देश की रक्षा में खुद को समर्पित करते हैं, उन्हें भी सिस्टम के ढीले रवैये से जूझना पड़ता है।
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