
#महुआडांड #शिक्षा_संकट : सड़क बिजली पानी में सुधार के बावजूद स्कूलों में शिक्षक संकट गहराया जिससे बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित
- महुआडांड़ प्रखंड में सड़क बिजली पेयजल जैसी सुविधाओं में तेजी से सुधार।
- सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी शिक्षा व्यवस्था को प्रभावित कर रही है।
- कई स्कूलों में सिर्फ एक या दो शिक्षक, अनुपस्थित होने पर स्कूल बंद।
- बच्चों की बुनियादी पढ़ाई प्रभावित भविष्य पर गंभीर असर।
- ग्रामीणों और अभिभावकों ने रिक्त पदों की जल्द बहाली और अनुबंध शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति की मांग की।
- स्कूलों में नियमित निरीक्षण व्यवस्था लागू करने की जरूरत पर जोर।
महुआडांड़ प्रखंड में जहां एक ओर सड़क बिजली और पेयजल की व्यवस्था लगातार बेहतर होती दिख रही है, वहीं दूसरी ओर सरकारी स्कूलों की स्थिति चिंताजनक है। शिक्षा विभाग में शिक्षक कमी इतनी गंभीर हो चुकी है कि अधिकांश स्कूल केवल एक या दो शिक्षकों के भरोसे चल रहे हैं। शिक्षक अनुपस्थित हों तो स्कूल सीधे बंद हो जाता है और बच्चे बिना पढ़ाई वापस लौट जाते हैं। इससे बच्चों की नींव कमजोर हो रही है और शिक्षा का स्तर निरंतर गिर रहा है। ग्रामीणों और अभिभावकों का कहना है कि विकास तभी सार्थक होगा जब शिक्षा व्यवस्था मजबूत होगी और बच्चों को नियमित गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई मिल सके।
महुआडांड़ में शिक्षा व्यवस्था की जमीनी हकीकत
महुआडांड़ प्रखंड के दर्जनों स्कूलों की स्थिति लगभग एक जैसी है। कई स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या सौ से अधिक है, लेकिन शिक्षकों की संख्या दो से भी कम। एक शिक्षक को कई कक्षाओं का पाठ पढ़ाना पड़ता है, जिससे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना संभव नहीं हो पाता।
स्कूलों में विज्ञान गणित और अंग्रेजी जैसे महत्वपूर्ण विषय पूरी तरह प्रभावित हैं क्योंकि इन विषयों के प्रशिक्षित शिक्षकों की भारी कमी है। बच्चों की उपस्थिति तो ठीक रहती है लेकिन शिक्षक अनुपस्थिति होने पर सभी प्रयास व्यर्थ हो जाते हैं।
शिक्षक अनुपस्थिति से पढ़ाई ठप
स्थानीय लोगों ने बताया कि कई बार एकमात्र शिक्षक छुट्टी पर हों तो पूरा स्कूल बंद मिलता है। इससे बच्चों की पढ़ाई में निरंतरता बनाए रखना मुश्किल हो रहा है।
ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन भले ही विकास योजनाओं पर ध्यान दे रहा हो लेकिन शिक्षा जैसी मूलभूत व्यवस्था की उपेक्षा बच्चों के भविष्य पर भारी पड़ सकती है।
ग्रामीणों और अभिभावकों की मांग
स्थानीय अभिभावकों और ग्रामीणों ने स्पष्ट कहा कि जब तक शिक्षक की कमी दूर नहीं होगी तब तक शिक्षा सुधार संभव नहीं। उनका कहना है कि सरकार को रिक्त पदों पर तत्काल बहाली करनी चाहिए।
साथ ही अनुबंध पर कार्यरत शिक्षकों को स्थायी नियुक्ति देकर उनकी नौकरी सुरक्षित की जाए ताकि वे निश्चिंत होकर बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान दे सकें। उनकी मांग है कि स्कूलों में नियमित निरीक्षण व्यवस्था लागू की जाए जिससे शिक्षक अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करें और कक्षाएं बाधित न हों।
ग्रामीण नेताओं ने कहा: “बच्चों का भविष्य तभी सुरक्षित होगा जब स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक होंगे और नियमित कक्षाएं चलेंगी। वर्तमान स्थिति से बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।”
विकास और शिक्षा के बीच बढ़ता अंतर
प्रखंड में तेजी से सड़क निर्माण पेयजल योजनाएं और बिजली आपूर्ति में सुधार हुआ है। लेकिन शिक्षा की बुनियादी ढांचा और मानव संसाधन की कमी इस विकास की रफ्तार को अधूरा बना रही है।
स्थानीय लोग बार-बार यह मांग उठा रहे हैं कि शिक्षा विभाग को उतनी ही प्राथमिकता मिले जितनी अन्य योजनाओं को मिल रही है। यदि बच्चों को शिक्षा नहीं मिलेगी तो आने वाली पीढ़ी इस विकास से लाभ नहीं उठा पाएगी।
न्यूज़ देखो: शिक्षा सुधार के बिना विकास अधूरा
महुआडांड़ की यह स्थिति बताती है कि विकास तभी पूर्ण कहलाएगा जब शिक्षा व्यवस्था मजबूत हो। प्रशासन ने भले ही बुनियादी सुविधाओं में प्रगति की हो पर शिक्षा की अनदेखी से पूरा सिस्टम कमजोर पड़ सकता है। रिक्त पदों पर नियुक्ति न होना और शिक्षक अनुपस्थिति जैसी समस्याएं तत्काल समाधान की मांग करती हैं क्योंकि बच्चों का हर दिन बर्बाद हो रहा है।
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बेहतर शिक्षा से ही बनेगी मजबूत पीढ़ी
महुआडांड़ के लिए यह समय जागरूक होने का है कि विकास केवल सड़क और बिजली से नहीं बल्कि बच्चों की मजबूत शिक्षा से ही पूर्ण होता है। हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह शिक्षा सुधार की मांग को मजबूत आवाज दे और स्कूलों की स्थिति पर निगरानी बनाए रखे।
आइए मिलकर बच्चों के भविष्य को संवारने में कदम बढ़ाएं। अपनी राय कमेंट करें साझा करें और इस खबर को उन लोगों तक पहुंचाएं जो बदलाव का हिस्सा बन सकते हैं ताकि शिक्षा सुधार की यह आवाज और बुलंद हो सके।





