
#गढ़वा #श्रीमद्भागवत_कथा : विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के सहयोग से कृष्ण वाटिका में चल रही कथा — भजन-कीर्तन से गूंजा पूरा वातावरण
- कृषि विज्ञान केंद्र के सामने श्रीमद्भागवत कथा का भव्य आयोजन
- अरुण दुबे, बृजेश पांडे, रमाकांत उपाध्याय समेत मंडली ने गाए भक्ति रस से भरपूर गीत
- कथा में शिव विवाह प्रसंग और राधे-कृष्ण भजन ने बटोरी श्रद्धालुओं की सराहना
- शहर और ग्रामीण क्षेत्रों से भारी संख्या में भक्तों की उपस्थिति
- आरती और महाप्रसाद के साथ हुआ तीसरे दिन का समापन
श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन उमड़ा भक्ति सैलाब
गढ़वा नगर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के सामने कृष्ण वाटिका परिसर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में शुक्रवार को भक्ति का अद्भुत समागम देखने को मिला। विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के सहयोग से चल रही इस धार्मिक आयोजन में आज तीसरे दिन भी नगर व ग्रामीण क्षेत्र से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे।
कथा मंच से जब ‘राधे-राधे’ और ‘हर हर महादेव’ की गूंज उठी, तो पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया। कथा मंडली द्वारा प्रस्तुत शिव विवाह प्रसंग ने भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कथा मंडली ने बांधा भक्ति का संगम
इस आयोजन में प्रमुख कथा मंडली का संचालन मुख्य गायक अरुण दुबे ने किया। उनके साथ बृजेश कुमार पांडे, दुर्गा मंदिर के पुजारी सियाराम पांडे, रमाकांत उपाध्याय, प्रभु दुबे, अनिल तिवारी, पंकज मिश्रा, विजय तिवारी, जितेंद्र यादव समेत अन्य कलाकारों ने संगीत और भजन के माध्यम से कथा को जीवंत बना दिया।
मुख्य गायक अरुण दुबे ने कहा: “भगवान की भक्ति में डूबकर ही सच्चा आनंद मिलता है। कथा केवल कथा नहीं, आत्मा के जागरण का माध्यम है।”
भक्तों की सहभागिता से खिला आयोजन
श्यामानंद दुबे, दिलीप तिवारी, जितेंद्र यादव, रमाकांत उपाध्याय, सियाराम पांडे जैसे श्रद्धालु पूरे समय मौजूद रहे। आयोजन में आरती, महाप्रसाद और भजन-कीर्तन की व्यवस्था की गई थी। ‘बोल बम’, ‘जय श्री कृष्णा’ और ‘राधे-राधे’ के जयकारों से परिसर गूंज उठा।
श्रद्धालुओं ने आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह के धार्मिक आयोजनों से समाज में अध्यात्म और एकता का संदेश फैलता है।



न्यूज़ देखो: आस्था से जुड़ता गढ़वा का जनमानस
‘न्यूज़ देखो’ का मानना है कि गढ़वा जैसे नगर में जब इस प्रकार के धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों को जनसहयोग मिलता है, तो यह समाज के भीतर सकारात्मकता, भाईचारा और नैतिक मूल्यों को मज़बूत करता है। श्रीमद्भागवत कथा जैसे आयोजनों को प्रेरणा बनाकर अन्य क्षेत्रों में भी धार्मिक चेतना जागृत की जा सकती है।
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सकारात्मक सोच, सांस्कृतिक भागीदारी
धर्म और भक्ति जीवन को दिशा देते हैं। ऐसे आयोजनों में सहभागिता से न केवल आध्यात्मिक आनंद प्राप्त होता है, बल्कि समाज भी संस्कारों से समृद्ध होता है। कृपया इस लेख को साझा करें, कमेंट करें, और अपने मित्रों को भी भक्ति की इस यात्रा का हिस्सा बनाएं।