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धनबाद में पत्रकार के साथ बदसलूकी पर उबाल: राष्ट्रीय संगठन ने की कड़ी कार्रवाई की मांग

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#धनबाद #पत्रकारहमला #मीडिया_की_सुरक्षा — पत्रकारों की सुरक्षा पर फिर खड़े हुए गंभीर सवाल

  • धनबाद में पत्रकार से बदसलूकी और हमले की घटना से पत्रकार संगठनों में आक्रोश
  • ऑल इंडिया स्मॉल एंड मीडियम जर्नलिस्ट वैलफेयर एसोसिएशन ने घटना की निंदा की
  • राष्ट्रीय महासचिव प्रीतम सिंह भाटिया ने दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की
  • कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर अनुशासनहीनता का आरोप, सत्तारूढ़ दलों को घेरा
  • सरकार पर गंभीरता से कार्रवाई नहीं करने पर आंदोलन की चेतावनी

पत्रकारों पर हमले को बताया लोकतंत्र पर प्रहार

धनबाद में एक पत्रकार के साथ हुई बदसलूकी और मारपीट की घटना को लेकर राज्य भर में पत्रकारों के सुरक्षा अधिकारों को लेकर चिंता गहराती जा रही है।
ऑल इंडिया स्मॉल एंड मीडियम जर्नलिस्ट वैलफेयर एसोसिएशन के राष्ट्रीय महासचिव प्रीतम सिंह भाटिया ने घटना की तीव्र निंदा की है और राज्य सरकार से दोषियों के खिलाफ कठोर और निष्पक्ष कार्रवाई की मांग की है।

“यह न केवल चिंताजनक है, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा प्रहार है। पत्रकारों की आवाज को दबाने की साजिश अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”
प्रीतम सिंह भाटिया, राष्ट्रीय महासचिव

कांग्रेस कार्यकर्ताओं की भूमिका पर सवाल

बयान में सत्ताधारी गठबंधन की सहयोगी कांग्रेस पार्टी को भी आड़े हाथों लेते हुए भाटिया ने कहा कि पार्टी को अपने कार्यकर्ताओं की अनुशासनहीनता पर लगाम लगानी चाहिए और आवश्यक अनुशासनात्मक कदम उठाने चाहिए।
उन्होंने कहा कि पत्रकारों को डराने-धमकाने की कोशिश करने वाले किसी भी व्यक्ति या संगठन को कानून के तहत दंडित किया जाना चाहिए।

कार्रवाई नहीं तो आंदोलन

पत्रकार संगठन ने सरकार और प्रशासन को स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि इस मामले में तुरंत और गंभीर कार्रवाई नहीं की गई, तो पत्रकार समाज आंदोलन का रास्ता अपनाएगा।
संगठन ने सभी राजनीतिक दलों से अपील की कि वे लोकतंत्र के चौथे स्तंभ — पत्रकारिता — के सम्मान और सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दें।

“हम मूकदर्शक नहीं हैं और न रहेंगे। अगर सरकार ने चुप्पी साधी, तो पत्रकार समाज संघर्ष के लिए बाध्य होगा।”
प्रीतम सिंह भाटिया

न्यूज़ देखो: पत्रकारिता की रक्षा, लोकतंत्र की रक्षा

न्यूज़ देखो मानता है कि पत्रकारिता पर हमला, देश की लोकतांत्रिक आत्मा पर चोट है।
हर वह प्रयास जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने की कोशिश करता है, वो भारत के संविधान और जनता के अधिकारों के खिलाफ है।
इसलिए समय आ गया है कि सरकारें संवेदनशीलता और सजगता के साथ ऐसे मामलों में तत्काल और कठोर कदम उठाएं।

पत्रकार सुरक्षित होगा तभी समाज सुरक्षित रहेगा।
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