#धनबाद #निजीअस्पतालमौत — JLKM नेताओं की मध्यस्थता के बाद तय हुआ मुआवजा, शव लेकर शांत हुए परिजन
- इलाज के दौरान मरीज की मौत पर अस्पताल परिसर में तनावपूर्ण माहौल
- परिजनों ने डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए किया हंगामा
- झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (JLKM) के नेता पहुंचे मौके पर
- मुआवजे की मांग पर शव लेने से किया गया इनकार
- वार्ता के बाद मुआवजे की राशि तय कर मामला सुलझाया गया
इलाज के दौरान मौत के बाद अस्पताल में हंगामा
धनबाद शहर के एक निजी अस्पताल में शुक्रवार को इलाज के दौरान एक मरीज की मौत के बाद स्थिति तनावपूर्ण हो गई। मृतक के परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टरों पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया और शव ले जाने से इनकार करते हुए अस्पताल परिसर में जमकर हंगामा किया।
स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए मौके पर पहुंची झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (JLKM) के कई नेताओं ने परिजनों और अस्पताल प्रबंधन के बीच मध्यस्थता की। दोनों पक्षों के बीच काफी देर तक बातचीत चली, जिसके बाद मुआवजे की राशि तय हुई और परिजन शव लेकर रवाना हुए। इसके बाद मामला शांत हो पाया।
डॉक्टर ने दी सफाई, बताया आरोप निराधार
अस्पताल के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. निखिल ड्रोलिया ने स्पष्ट किया कि मृतक मरीज की स्थिति पहले से ही गंभीर थी और उसे ICU में भर्ती कर इलाज किया जा रहा था। मरीज को शुगर समेत कई अन्य स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएं थीं। उन्होंने परिजनों द्वारा लगाए गए लापरवाही के आरोपों को खारिज करते हुए कहा:
डॉ. निखिल ड्रोलिया ने कहा: “मरीज की जान बचाने का हरसंभव प्रयास किया गया। कोई भी चिकित्सक जानबूझकर किसी की जान नहीं लेना चाहता। आरोप पूरी तरह निराधार हैं।”
डॉ. ड्रोलिया ने यह भी चिंता जाहिर की कि हर मृत्यु पर मुआवजे की मांग की परंपरा निजी अस्पतालों को डराएगी, जिससे भविष्य में गंभीर मरीजों को भर्ती करने में संकोच हो सकता है।
JLKM नेताओं की मध्यस्थता से सुलझा विवाद
मामले को लेकर JLKM नेताओं ने परिजनों के साथ अस्पताल प्रबंधन की कई बार बैठकें कराईं। अंततः एक तय मुआवजे की राशि पर सहमति बनी और फिर परिजनों ने शव को लेकर अंतिम संस्कार की प्रक्रिया शुरू की।
हालांकि, घटना ने एक बार फिर से निजी अस्पतालों की पारदर्शिता, चिकित्सा प्रणाली की जवाबदेही और मरीज के परिजनों के अधिकारों की बहस को हवा दे दी है।
न्यूज़ देखो: स्वास्थ्य व्यवस्था पर फिर उठा भरोसे का सवाल
धनबाद के निजी अस्पताल में हुई मौत और उसके बाद का हंगामा, झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था में पारदर्शिता और संवेदनशीलता की कमी को उजागर करता है। मरीज की मौत के बाद मुआवजा देकर मामला सुलझाना कोई स्थायी समाधान नहीं हो सकता। न्यूज़ देखो मानता है कि प्रशासन को इस तरह की घटनाओं की निष्पक्ष जांच करानी चाहिए ताकि न तो डॉक्टरों को डर हो और न मरीजों के परिजनों को न्याय से वंचित रहना पड़े।
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नागरिक सजग बनें, स्वास्थ्य व्यवस्था में जवाबदेही तय करें
हर नागरिक का अधिकार है कि वह इलाज के दौरान पारदर्शिता और उचित सुविधा की मांग करे। हमें सजग रहना होगा कि स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही को नजरअंदाज न किया जाए और आवश्यकता पड़ने पर कानूनी उपायों का सहारा लिया जाए। अपनी राय नीचे कमेंट करें और इस खबर को उन लोगों से साझा करें जो स्वास्थ्य और जवाबदेही से जुड़े विषयों में रुचि रखते हैं।