
#बगोदर #शहादत : वीर जवान की बलिदानगाथा, गांव में उमड़ा जनसैलाब
- धरमपुर निवासी संजय मुर्मू सीआईएसएफ में तैनात थे।
- कश्मीर के किश्तवाड़ में आई प्राकृतिक आपदा में ड्यूटी के दौरान शहीद।
- सिर्फ चार साल पहले नौकरी जॉइन की थी, हाल ही में हुआ था विवाह।
- बगोदर विधायक नागेन्द्र महतो ने गांव जाकर परिजनों से मुलाकात की।
- शहादत को बताया पूरे राज्य की क्षति और गौरव का विषय।
धरमपुर गांव का यह समाचार पूरे बगोदर क्षेत्र और झारखंड के लिए गहरे शोक का कारण बन गया है। महज चार साल पहले सीआईएसएफ में भर्ती हुए और हाल ही में विवाह बंधन में बंधे जवान संजय मुर्मू ने देश की सेवा करते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। कश्मीर के किश्तवाड़ में आई प्राकृतिक आपदा के दौरान उनकी शहादत की खबर फैलते ही गांव से लेकर पूरे जिले में मातम छा गया।
शहादत की खबर से गांव में पसरा सन्नाटा
धरमपुर गांव में संजय के घर पर शोकाकुल परिजनों और ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी। हर कोई इस वीर जवान की अकाल मृत्यु से स्तब्ध था। उनकी मां और पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है। घर के आंगन से लेकर पूरे गांव में केवल एक ही स्वर गूंज रहा था—धरमपुर ने अपना वीर सपूत खो दिया।
विधायक नागेन्द्र महतो ने दी श्रद्धांजलि
बगोदर विधायक नागेन्द्र महतो खुद धरमपुर पहुंचे और शहीद के परिवार से मुलाकात की। उन्होंने शोकाकुल परिजनों को ढांढस बंधाते हुए हर संभव मदद का भरोसा दिलाया।
नागेन्द्र महतो: “यह केवल धरमपुर गांव की नहीं, पूरे जिले और राज्य की अपूरणीय क्षति है। संजय मुर्मू की शहादत हम सभी के लिए गर्व और प्रेरणा का विषय है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें और परिवार को इस कठिन घड़ी में शक्ति प्रदान करें।”
नवविवाहिता पत्नी और बूढ़ी मां की करुण पुकार
संजय मुर्मू की शादी कुछ ही समय पहले हुई थी। उनकी पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है। वहीं मां का दर्द शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। परिवारजन कहते हैं कि भले ही संजय अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका बलिदान गांव और पूरे देश के लिए अमर हो गया है।
धरमपुर का गौरव और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा
गांव के बुजुर्गों का कहना है कि संजय ने अपनी जिंदगी छोटी जरूर जी, लेकिन उनकी शहादत ने धरमपुर को हमेशा के लिए अमर कर दिया। आने वाली पीढ़ियां उन्हें याद करेंगी और देश सेवा की प्रेरणा लेंगी।
न्यूज़ देखो: बलिदान से उपजा संकल्प
संजय मुर्मू की शहादत केवल धरमपुर या गिरिडीह जिले की नहीं, पूरे झारखंड की शान है। यह बलिदान हमें याद दिलाता है कि हमारी सुरक्षा के लिए जवान किस हद तक जाते हैं। समाज का कर्तव्य है कि शहीदों के परिवार को सिर्फ आर्थिक ही नहीं, बल्कि भावनात्मक और सामाजिक सहयोग भी दिया जाए।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
शहादत को सलाम एकता और जिम्मेदारी का आह्वान
अब समय है कि हम सब मिलकर शहीद संजय मुर्मू जैसे वीरों की याद को जीवित रखें। हमें सजग नागरिक बनकर देश के प्रति अपने कर्तव्यों को निभाना होगा। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को अधिक से अधिक शेयर करें ताकि हर कोई इस वीर सपूत की शहादत से प्रेरणा ले सके।