
#दुमका #डायरिया_प्रकोप : एक महिला की मौत के बाद दो और मरीजों की हालत गंभीर होने से पूरे क्षेत्र में दहशत।
- बांसपहाड़ी गांव में डायरिया का प्रकोप तेज, एक महिला की पहले ही मौत।
- रविवार देर रात किशोरी प्रिंशिला सोरेन और धनमुनी हांसदा की तबीयत बिगड़ी।
- दोनों को रात में बेहोशी और उल्टी–दस्त के बाद फूलो-झानो मेडिकल कॉलेज में किया गया भर्ती।
- ग्रामीणों के अनुसार एम्बुलेंस सुबह 6 बजे पहुंची, सूचना रात में देने के बावजूद।
- स्वास्थ्य विभाग ने गांव में कैंप लगाकर ओआरएस व दवा वितरण शुरू किया।
- अब तक 6 से अधिक लोग प्रभावित, खतरा बढ़ता दिख रहा है।
गोपीकांदर प्रखंड के बांसपहाड़ी गांव में डायरिया का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। शुक्रवार को एक महिला की मौत के बाद रविवार देर रात दो और लोगों की हालत गंभीर हो गई। गांव की किशोरी प्रिंशिला सोरेन बेहोश अवस्था में मिली, जबकि धनमुनी हांसदा की स्थिति भी बेहद नाजुक बताई गई। परिजनों ने तुरंत प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को सूचना दी, लेकिन ग्रामीणों के मुताबिक एम्बुलेंस देर रात सूचना देने के बावजूद सुबह तक पहुंची, जिससे आक्रोश भी देखने को मिला। दोनों मरीजों को दुमका फूलो-झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल लाया गया, जहां उनका इलाज जारी है।
डायरिया फैलने के बढ़ते कारण और ग्रामीणों की चिंता
बांसपहाड़ी गांव के लोगों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से कई ग्रामीण उल्टी-दस्त और निर्जलीकरण की शिकायत कर रहे थे, लेकिन हालात तब गंभीर हो गए जब एक महिला की मौत हुई और दो और मरीज गंभीर स्थिति में मिले। कई घरों में साफ पानी की कमी है और गांव में स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था लंबे समय से उपेक्षित रही है। इस कारण संक्रमण तेजी से फैलने की आशंका है। ग्रामीणों का कहना है कि स्थानीय स्रोतों का पानी दूषित प्रतीत हो रहा है, जिससे अधिकांश लोग बीमार पड़ रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने लगाए कैंप, दवाओं और ओआरएस का वितरण
बढ़ते संक्रमण को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने सोमवार सुबह गांव में त्वरित कैंप लगाया। चिकित्सा टीम ने प्रभावित लोगों की जांच की और घर-घर जाकर ओआरएस के पैकेट तथा आवश्यक दवाएँ वितरित कीं। इसके साथ ही ग्रामीणों को उबला पानी पीने, साफ-सफाई रखने और संक्रमण फैलने से बचने के तरीके बताए गए। स्वास्थ्य कर्मियों ने कहा कि लगातार निगरानी की आवश्यकता है, क्योंकि स्थिति सामान्य से कहीं अधिक गंभीर दिखाई दे रही है।
एम्बुलेंस की देरी पर सवाल, ग्रामीणों में आक्रोश
ग्रामीणों के अनुसार रात में जब स्थिति बिगड़ी, वे कई बार फोन करते रहे लेकिन एम्बुलेंस सुबह के करीब छह बजे पहुंची। इस देरी को लेकर लोग नाराज हैं। कई परिजनों ने कहा कि समय पर एम्बुलेंस मिल जाती तो स्थिति और बेहतर होती। प्रशासन ने इस मुद्दे की जांच कराने की बात कही है, ताकि भविष्य में ऐसी देरी न हो।

न्यूज़ देखो: स्वास्थ्य संकट टालने के लिए त्वरित कार्रवाई जरूरी
गोपीकांदर के बांसपहाड़ी गांव की स्थिति ग्रामीण स्वास्थ्य ढांचे की वास्तविक चुनौतियों को सामने लाती है। डायरिया जैसी रोकथाम योग्य बीमारी का इतना तेज फैलना प्रशासनिक तत्परता पर सवाल उठाता है। यह आवश्यक है कि पेयजल की गुणवत्ता की जांच, क्लोरीनेशन और गांव में निरंतर मेडिकल टीम की तैनाती की जाए।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
स्वास्थ्य सुरक्षा सामूहिक जिम्मेदारी — जागरूक रहें, सुरक्षित रहें
बीमारी का बढ़ता प्रकोप हमें चेतावनी देता है कि साफ पानी, स्वच्छता और समय पर चिकित्सा सहायता कितनी महत्वपूर्ण है। गांवों में संक्रमण रोकना सिर्फ स्वास्थ्य विभाग का नहीं, बल्कि पूरे समुदाय का सामूहिक प्रयास है। अब समय है कि हम सभी साफ पानी का उपयोग करने, उबलाकर पीने और बीमारी के लक्षण दिखने पर तुरंत अस्पताल जाने की आदत को अपनाएँ। अपनी राय और सुझाव साझा करें ताकि इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके और अधिक लोग जागरूक बन सकें।
अंत में कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न —
क्या स्थानीय स्वास्थ्य कर्मी और एम्बुलेंस सेवाएं समय पर प्रतिक्रिया सुनिश्चित कर रही हैं?
क्या चिकित्सा टीम गांव में लगातार मॉनिटरिंग कर रही है?
क्या प्रशासन स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था और जलस्रोतों की जांच तुरंत करेगा?
क्या लापरवाही रोकने के लिए ज़रूरी कदम उठाए जाएंगे ताकि प्रभावितों की संख्या और न बढ़े?
इन सवालों पर गंभीरता से कार्रवाई ही बड़े स्वास्थ्य संकट को रोक सकती है।





