
#रांची #हड़ताल : 14 महीने से भुगतान बकाया, नगर निगम के खिलाफ ट्रैक्टर संचालक उतरे आंदोलन पर
- रांची नगर निगम क्षेत्र से कचरा उठाने वाले 176 ट्रैक्टरों का संचालन ठप।
- 14 महीने से भुगतान नहीं होने पर ट्रैक्टर संचालकों ने दी हड़ताल की सूचना।
- नगर निगम कर्मियों पर अभद्र व्यवहार और धक्का-मुक्की का आरोप।
- बच्चों की पढ़ाई प्रभावित और आर्थिक संकट से जूझ रहे ट्रैक्टर मालिक।
- जब तक पूरा बकाया नहीं चुकाया जाएगा, कचरा उठाव पूरी तरह बंद।
राजधानी रांची की सड़कों पर अब कूड़े-कचरे का ढेर लगना तय है, क्योंकि शनिवार से नगर निगम के लिए कचरा उठाने वाले ट्रैक्टर संचालकों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान कर दिया है। पिछले 14 महीने से भुगतान नहीं मिलने और नगर निगम कर्मियों पर अभद्र व्यवहार का आरोप लगाते हुए ट्रैक्टर संचालकों ने कूड़ा उठाव पूरी तरह रोकने का निर्णय लिया है।
14 महीने से बकाया, सुनवाई नहीं
ट्रैक्टर संचालकों का कहना है कि उन्हें 72 घंटे के भीतर भुगतान करने का नियम है, लेकिन 14 महीने से न तो पैसा मिला है और न ही उनकी शिकायतों पर ध्यान दिया गया। जब उन्होंने बकाया भुगतान की मांग की तो नगर निगम के किराए के कर्मियों ने उनके साथ धक्का-मुक्की और अपमानजनक व्यवहार किया। इसको लेकर संचालकों ने कोतवाली थाना में शिकायत भी दर्ज कराई, मगर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
176 ट्रैक्टरों का कामकाज ठप
रांची नगर निगम क्षेत्र में कुल 176 ट्रैक्टर कचरा उठाने का काम करते हैं। हर ट्रैक्टर के एवज में 20,000 रुपये प्रतिमाह भुगतान का प्रावधान है। मगर लंबे समय से भुगतान रुका हुआ है। संचालकों ने सामूहिक हस्ताक्षर के साथ हड़ताल की सूचना नगर निगम और स्वच्छता कॉरपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड को दे दी है।
कोरोना काल में भी किया काम
ट्रैक्टर संचालक राजेश साहू ने कहा, “हमने कोरोना महामारी जैसे कठिन समय में भी बिना रुके काम किया। इसके बावजूद हमारी मांगों को अनसुना किया जा रहा है। अब स्थिति यह है कि हमारे बच्चों की पढ़ाई तक प्रभावित हो गई है।”
पूरा बकाया चुकाए बिना काम नहीं
एक अन्य ट्रैक्टर संचालक छोटन साहू ने कहा, “जब तक पूरा बकाया भुगतान नहीं होगा, तब तक कचरा उठाने का काम बिल्कुल नहीं किया जाएगा। हमारी मजबूरी है कि बिना भुगतान हम और काम नहीं कर सकते।”
न्यूज़ देखो: रांची की सफाई व्यवस्था पर संकट
रांची की सफाई व्यवस्था अब बड़े संकट में है। ट्रैक्टर संचालकों की हड़ताल से सड़कों पर कूड़े का ढेर बढ़ेगा, जिससे स्वास्थ्य संबंधी खतरे और शहर की छवि पर नकारात्मक असर पड़ना तय है। अब सवाल यह है कि नगर निगम कब तक स्थिति को संभालेगा और श्रमिकों की जायज मांगों पर समाधान निकालेगा।
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अब वक्त है समाधान निकालने का
यह स्थिति बताती है कि श्रमिकों के बकाया भुगतान जैसे मुद्दों को नज़रअंदाज़ करना कितना महंगा पड़ सकता है। अब समय है कि प्रशासन संवेदनशीलता दिखाए और ट्रैक्टर संचालकों की समस्याओं का त्वरित समाधान करे। अपनी राय कमेंट करें और इस खबर को शेयर करें ताकि जिम्मेदार लोग जल्द कार्रवाई करें।