
#पलामू #प्रशासनिकनिर्देश : जांच में देरी रोकने के लिए डीआईजी ने लिखा उपायुक्तों को पत्र
- डीआईजी नौशाद आलम ने पलामू, गढ़वा और लातेहार जिलों के उपायुक्तों को भेजा पत्र।
- पोस्टमार्टम और इंजरी रिपोर्ट समय पर उपलब्ध कराने का दिया निर्देश।
- रिपोर्ट में देरी से चार्जशीट दाखिल करने में हो रही है कठिनाई।
- अनावश्यक मामलों को रांची रेफर करने पर जताई आपत्ति।
- उपायुक्तों को सिविल सर्जन को सख्त निर्देश देने की अपील।
मेदिनीनगर, 27 अगस्त। पलामू प्रक्षेत्र के डीआईजी नौशाद आलम ने पलामू, गढ़वा और लातेहार जिलों के उपायुक्तों को पत्र लिखकर निर्देश जारी किया है कि पोस्टमार्टम और इंजरी (चोट-जांच) रिपोर्ट समय पर संबंधित थानों को उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट समय पर नहीं मिलने से कई आपराधिक मामलों की जांच समयसीमा में पूरी नहीं हो पा रही है।
जांच की समयसीमा पर पड़ रहा असर
डीआईजी आलम ने पत्र में उल्लेख किया है कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) के अनुसार गंभीर अपराधों की जांच 90 दिनों में और अन्य मामलों की 60 दिनों में पूरी की जानी चाहिए। लेकिन रिपोर्ट की देरी के कारण चार्जशीट दाखिल करने में अड़चन आ रही है, जिससे न्यायिक प्रक्रिया प्रभावित हो रही है।
अनावश्यक रेफरल पर नाराजगी
उन्होंने यह भी कहा कि कई बार ऐसे मामलों को भी अनावश्यक रूप से रांची रेफर कर दिया जाता है, जिन्हें जिला अस्पतालों में ही निपटाना संभव है। इससे समय और संसाधनों की बर्बादी होती है और पीड़ित परिवारों को भी अतिरिक्त परेशानी का सामना करना पड़ता है।
उपायुक्तों को दिए स्पष्ट निर्देश
डीआईजी ने उपायुक्तों से आग्रह किया है कि वे अपने-अपने जिलों के सिविल सर्जन को स्पष्ट निर्देश दें। सभी रिपोर्ट तय समयसीमा में थानों को उपलब्ध कराई जाएं और केवल वही मामले रांची भेजे जाएं जिनमें वास्तव में रेफरल की आवश्यकता हो।
जनता को शीघ्र न्याय दिलाने पर जोर
डीआईजी नौशाद आलम ने कहा कि यह कदम जनता को शीघ्र न्याय दिलाने और न्यायिक प्रक्रिया को समय पर पूरा करने के लिए आवश्यक है। समय पर रिपोर्ट उपलब्ध होने से जांच की गति तेज होगी और अपराध पीड़ितों को राहत मिलेगी।
न्यूज़ देखो: न्यायिक प्रक्रिया में तेजी की पहल
डीआईजी का यह निर्देश न्यायिक व्यवस्था को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक अहम कदम है। समय पर रिपोर्ट मिलने से न केवल जांच समयसीमा में पूरी होगी बल्कि पीड़ित परिवारों का भरोसा और न्यायपालिका पर विश्वास भी मजबूत होगा।
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अब समय है जवाबदेही तय करने का
प्रशासन और चिकित्सा विभाग को चाहिए कि वे जनता के हितों को सर्वोपरि रखते हुए हर रिपोर्ट समय पर उपलब्ध कराएं। अब समय है कि हम सब न्यायिक प्रक्रिया की पारदर्शिता और समयबद्धता सुनिश्चित करने में योगदान दें। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को शेयर करें ताकि अधिक से अधिक लोग जागरूक हो सकें।