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रक्षाबंधन पर डीआईजी नौशाद आलम का संदेश: समाज में बदलाव की ओर प्रेरित करने वाला पर्व

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#मेदिनीनगर #रक्षाबंधन : हर महिला को बहन का सम्मान देना ही असली पर्व का सार
  • डीआईजी नौशाद आलम ने रक्षाबंधन पर सभी को शुभकामनाएं दीं।
  • संदेश दिया कि हर महिला को बहन जैसा सम्मान देना असली रक्षाबंधन है।
  • श्रावण माह को आत्मसंयम, सेवा और समर्पण का प्रतीक बताया।
  • समाज में महिलाओं की सुरक्षा और इज्जत को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की अपील।
  • हर दिन महिलाओं के प्रति समान सोच रखने का आग्रह किया।

रक्षाबंधन के पावन अवसर पर पलामू प्रक्षेत्र के डीआईजी श्री नौशाद आलम ने न केवल शुभकामनाएं दीं, बल्कि एक महत्वपूर्ण सामाजिक संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि पर्व का सच्चा अर्थ तभी पूरा होता है जब हर महिला को अपनी सगी बहन जैसा मान-सम्मान दिया जाए। यह सोच न सिर्फ रिश्तों को मजबूत करेगी, बल्कि समाज में महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों में भी कमी लाएगी।

रक्षाबंधन का गहरा अर्थ

डीआईजी श्री नौशाद आलम ने स्पष्ट किया कि राखी केवल एक धागा नहीं, बल्कि यह हमारी सोच, संस्कार और आपसी विश्वास का प्रतीक है। उनके अनुसार, सच्चा रक्षाबंधन तब ही संभव है जब हर व्यक्ति अपने आसपास की महिलाओं को सुरक्षा, सम्मान और विश्वास का वातावरण प्रदान करे।

डीआईजी नौशाद आलम ने कहा: “राखी सिर्फ एक धागा नहीं, यह हमारी सोच और संस्कार का प्रतीक है। अपनी सगी बहन की तरह हर बेटी, हर बहन, हर महिला की रक्षा और इज्जत करना ही असली रक्षाबंधन है।”

हर दिन अपनानी होगी समान सोच

श्री आलम ने यह भी कहा कि सिर्फ एक दिन की रस्में निभाना पर्याप्त नहीं है। यह सोच और आचरण हर दिन अपनाना चाहिए कि हर महिला हमारी बहन के समान है, चाहे वह घर में हो, कार्यस्थल पर हो या समाज में कहीं भी। यही भावना समाज में वास्तविक परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त करेगी।

डीआईजी नौशाद आलम ने कहा: “यही सोच अगर हर पुरुष अपना ले, तो महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों में अवश्य कमी आएगी।”

श्रावण माह के आदर्श और रक्षाबंधन

डीआईजी आलम ने श्रावण माह को आत्मसंयम, सेवा और समर्पण का प्रतीक बताते हुए कहा कि रक्षाबंधन का पर्व इन आदर्शों को और भी गहराई से सिखाता है। उन्होंने पूरे राज्यवासियों से भाईचारे और शांति के साथ यह पर्व मनाने का आह्वान किया।

न्यूज़ देखो: रिश्तों से परे सुरक्षा का संकल्प

डीआईजी नौशाद आलम का यह संदेश रक्षाबंधन के पारंपरिक दायरे को व्यापक बनाता है। जब यह सोच समाज में फैल जाएगी कि हर महिला हमारी बहन है, तब सुरक्षा और सम्मान अपने आप मजबूत होंगे। यह दृष्टिकोण एक सुरक्षित और संवेदनशील समाज की नींव रख सकता है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

बदलाव की शुरुआत हमसे

अब समय है कि हम सब इस सोच को अपनाकर बदलाव में योगदान दें। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को दोस्तों व परिवार के साथ शेयर करें, ताकि यह सकारात्मक संदेश दूर-दूर तक पहुंचे।

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