
#गुमला #डिजिटल_क्रांति : डुमरी प्रखंड के युवाओं ने यूट्यूब और सोशल मीडिया के जरिए बदली अपनी किस्मत — गांव की मिट्टी से उठी नई डिजिटल पहचान
- डुमरी प्रखंड के युवा यूट्यूब और इंस्टाग्राम के जरिए आत्मनिर्भरता की राह पर।
- खेती, लोककला, हस्तशिल्प और जलप्रपातों की सुंदरता को बना रहे हैं कंटेंट का केंद्र।
- बेरोजगारी से जूझते युवाओं ने अब डिजिटल प्लेटफॉर्म को बनाया नया रोजगार माध्यम।
- धीमा इंटरनेट और बिजली कटौती जैसी बाधाओं के बावजूद उत्साह बरकरार।
- युवाओं की मांग — डिजिटल प्रशिक्षण, वाई-फाई जोन और सस्ते उपकरणों की सुविधा मिले।
झारखंड के पश्चिमी अंचल के गुमला जिले के डुमरी प्रखंड में अब एक नई सुबह जन्म ले चुकी है — यह है डिजिटल आत्मनिर्भरता की सुबह। जहां कभी बेरोजगारी और पलायन का साया मंडराता था, वहां अब यूट्यूब और सोशल मीडिया नई रोशनी लेकर आए हैं। गांव की गलियों में अब कैमरे की चमक और मोबाइल लाइट की झिलमिलाहट दिखती है।
मिट्टी से उठी डिजिटल क्रांति
डुमरी के युवा अब कैमरे को हथियार बनाकर अपनी पहचान गढ़ रहे हैं। कोई खेती-किसानी पर वीडियो बना रहा है, तो कोई झरनों, लोकनृत्य और पारंपरिक गीतों को डिजिटल दुनिया तक पहुंचा रहा है। शाम होते ही गांवों में शूटिंग का माहौल बन जाता है — युवा अपने फोन पर एडिटिंग करते हैं, स्क्रिप्ट लिखते हैं और अगला वीडियो अपलोड करने की तैयारी में जुट जाते हैं।
युवा कंटेंट क्रिएटर अपनी बोली, अपने गीत, और अपनी संस्कृति को ग्लोबल मंच पर ला रहे हैं। उनके कंटेंट में झारखंडी व्यंजन, लोककला, हस्तशिल्प, और प्राकृतिक सुंदरता का संगम होता है। यही वजह है कि अब डुमरी के चैनलों और पेजों पर देश-विदेश से व्यूअरशिप लगातार बढ़ रही है।
रोजगार का नया रास्ता
पहले जहां नौकरी की तलाश में युवा रांची या दिल्ली जैसे शहरों की ओर पलायन करते थे, वहीं अब वे अपने गांव में रहकर ही रोजगार सृजित कर रहे हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से इन युवाओं को एडवर्टाइजमेंट, स्पॉन्सरशिप और एफिलिएट मार्केटिंग जैसे नए अवसर मिल रहे हैं।
कई युवा बताते हैं कि उन्होंने वीडियो एडिटिंग और स्क्रिप्ट राइटिंग ऑनलाइन सीखकर अब दूसरों को सिखाने तक का काम शुरू कर दिया है।
डुमरी की यह सफलता की कहानी यह साबित करती है कि यदि रचनात्मकता और तकनीक मिल जाए, तो छोटे गांव भी डिजिटल मानचित्र पर चमक सकते हैं।
चुनौतियों के बीच भी नहीं टूटी उम्मीद
हालांकि, इस डिजिटल क्रांति के रास्ते में कई चुनौतियाँ भी हैं। डुमरी में अब भी धीमा इंटरनेट, अनियमित बिजली आपूर्ति और महंगे उपकरणों की समस्या बनी हुई है।
एक स्थानीय युवा निर्माता जसवंत कुमार ने कहा, “अगर सुविधा मिले, तो डुमरी भी किसी मेट्रो शहर से कम नहीं।”
उनकी मांग है कि सरकार या निजी संस्थान डिजिटल प्रशिक्षण केंद्र, वाई-फाई जोन, और सस्ते उपकरणों की योजनाएँ शुरू करें, ताकि इस प्रयास को और बल मिल सके।
सरकार और समाज से उम्मीदें
डुमरी के युवा यह संदेश दे रहे हैं कि आज के समय में “डिजिटल साक्षरता ही नई आज़ादी है।”
अगर सरकार इस दिशा में कदम बढ़ाती है, तो झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों से भी क्रिएटिव इंडस्ट्री के नए सितारे उभर सकते हैं।
न्यूज़ देखो: गांवों से उठ रही डिजिटल भारत की आवाज़
डुमरी का उदाहरण बताता है कि बदलाव की ताकत तकनीक में नहीं, बल्कि लोगों की सोच में छिपी है। बेरोजगारी के अंधेरे में यह युवाओं की मेहनत और रचनात्मकता ही है जिसने नई रोशनी जलाई है। अगर ऐसी पहलें अन्य जिलों में भी प्रोत्साहित हों, तो झारखंड ग्रामीण नवाचार का गढ़ बन सकता है।
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डिजिटल डुमरी, सशक्त झारखंड
अब समय है कि हम सब मिलकर इस बदलाव को आगे बढ़ाएं। अपने गांव, अपनी कहानियां और अपनी प्रतिभा को दुनिया तक पहुंचाएं।
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