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धान की सीधी बुआई से घटेगी जल खपत और बढ़ेगा उत्पादन, कृषि वैज्ञानिकों ने दी तकनीकी जानकारी

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#गढ़वा #कृषि_नवाचार – खेती को जलवायु अनुकूल बनाने के लिए किसानों को सिखाई जा रही आधुनिक तकनीक, भूजल संकट के समाधान की ओर एक महत्वपूर्ण कदम

  • गढ़वा में कृषि विज्ञान केन्द्र की पहल से किसानों को धान की सीधी बुआई की जानकारी दी गई
  • पारंपरिक खेती की तुलना में एक तिहाई पानी की बचत संभव
  • भूजल संकट के बीच सीधी बुआई पर्यावरण संरक्षण में कारगर उपाय
  • कृषि विशेषज्ञों ने जीरो टिलेज मशीन और उन्नत किस्मों के प्रयोग पर दिया जोर
  • मीथेन गैस उत्सर्जन में कमी से पर्यावरण को मिलेगा लाभ
  • किसानों को प्रशिक्षण लेकर तकनीक अपनाने की अपील

खेतों की बदलती ज़रूरतें और नई तकनीक की भूमिका

गढ़वा जिले में इस वर्ष धान की खेती की तैयारियाँ जोर-शोर से शुरू हो चुकी हैं। लेकिन भूजल का गिरता स्तर किसानों के लिए गंभीर चुनौती बन चुका है। मोटर पंपों से सिंचाई मुश्किल होती जा रही है। इसी को देखते हुए राष्ट्रीय नवाचार परियोजना (NICRA) के अंतर्गत कृषि विज्ञान केन्द्र, गढ़वा द्वारा ‘धान की सीधी बुआई’ (Direct Seeded Rice) को जलवायु अनुकूल तकनीक के रूप में प्रचारित किया जा रहा है।

कृषि विशेषज्ञ श्री नवलेश कुमार ने बताया कि यह तकनीक एक किलो धान के उत्पादन में लगभग एक-तिहाई पानी की बचत करती है। इससे न केवल पानी की खपत कम होती है, बल्कि श्रम, ईंधन और लागत में भी गंभीर कमी आती है

पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सकारात्मक पहल

पारंपरिक रोपाई वाली खेती में धान के खेतों से निकलने वाली मीथेन गैस पर्यावरण के लिए अत्यंत हानिकारक है। सीधी बुआई विधि में जलभराव की स्थिति नहीं बनती, जिससे मीथेन उत्सर्जन में काफी कमी आती है। यह तकनीक न केवल खेती को पर्यावरण के अनुकूल बनाती है, बल्कि जल स्रोतों के संरक्षण में भी मददगार है।

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, बलुई दोमट और हल्की ऊँची भूमि, जहां वर्षा जल एकत्र न हो, धान की सीधी बुआई के लिए उपयुक्त मानी जाती है

दो तकनीकी विधियाँ और खरपतवार नियंत्रण उपाय

वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राजीव कुमार के अनुसार धान की सीधी बुआई दो तरीकों से की जा सकती है:

  1. सूखे खेत में जीरो टिलेज मशीन से बुआई कर अगले दिन सिंचाई करें।
  2. नमी और भरभूरी मिट्टी वाले खेतों में मशीन से बुआई करें, जहां तुरंत सिंचाई की आवश्यकता न हो।

खरपतवार नियंत्रण के लिए सुखी बुआई वाले खेतों में पेंडिमैथिलीन (3 लीटर प्रति हेक्टेयर) के साथ नैनो यूरिया (1.25 लीटर प्रति हेक्टेयर) का छिड़काव करने की सलाह दी गई है।

उन्नत किस्में जो सीधी बुआई के लिए उपयुक्त हैं

कृषि विशेषज्ञों ने बताया कि धान की सीधी बुआई के लिए कुछ उन्नत किस्में जैसे IR64 DRT-1, स्वर्ण शक्ति और सहभागी धान को उपयुक्त माना गया है। इन किस्मों से बेहतर उत्पादन प्राप्त हो सकता है और खेती की सततता सुनिश्चित की जा सकती है।

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Radhika Netralay Garhwa
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