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पर्यावरण पर डिसकशन “कॉफी विद एसडीएम”: इस बार दानरो नदी संरक्षण को समर्पित

#गढ़वा #कॉफी_विद_एसडीएम : दानरो किनारे बसे गांवों के पर्यावरण प्रेमियों को एसडीएम ने दिया खास न्योता

  • 11 जून को होगा दानरो थीम पर विशेष “कॉफी विद एसडीएम” कार्यक्रम
  • सदर अनुमंडल क्षेत्र की लगभग पूरी दानरो नदी पर होगा संवाद
  • 30 से अधिक गांवों से पर्यावरण प्रेमी समाजसेवियों को बुलाया गया
  • “दानरो महोत्सव” की रूपरेखा पर होगा सामूहिक विमर्श
  • एसडीएम ने भागीदारी को बताया स्वैच्छिक लेकिन ज़िम्मेदार

11 जून को पर्यावरण के नाम ‘कॉफी विद एसडीएम’

गढ़वा सदर अनुमंडल पदाधिकारी संजय कुमार द्वारा चलाया जा रहा साप्ताहिक संवाद कार्यक्रम “कॉफी विद एसडीएम” इस बार दानरो नदी के संरक्षण के लिए समर्पित होगा।
बुधवार 11 जून को सुबह 11 बजे होने वाले इस विशेष आयोजन में दानरो तट पर बसे लगभग 30 गांवों के सक्रिय समाजसेवियों को आमंत्रित किया गया है।

दानरो नदी का बहाव और ज़िम्मेदारी

एसडीएम ने जानकारी दी कि दानरो नदी का पूरा प्रवाह क्षेत्र सदर अनुमंडल क्षेत्र में आता है। यह नदी पनघटवा डैम (डंडई प्रखंड) से निकलकर बेलचंपा में कोयल नदी में मिलती है, और बीच में यह डंडई, मेराल व गढ़वा सदर प्रखंड के कई गांवों से होकर गुजरती है।
इसलिए इसका संरक्षण स्थानीय समुदायों की सामूहिक ज़िम्मेदारी है।

संजय कुमार ने कहा: “यह नदी सिर्फ एक जलधारा नहीं, बल्कि इन गांवों की जीवनरेखा है। यदि हम इसे नहीं बचाएंगे, तो आने वाली पीढ़ियों को इसका लाभ नहीं मिल पाएगा।”

किन गांवों के लोगों को बुलाया गया है?

इस कार्यक्रम में जिन गांवों से प्रतिनिधियों को बुलाया गया है, उनमें शामिल हैं:
बुल्का (बैरिया दामर), डंडई, झकरा, कदैलिया, कजरमारा, देवगाना, दतवनिया, कजरत, झोतर, खुटैलिया, तिसरटैटुका, बघौता, कोरवाडीह, नवाडीह, झलुवा, छतरपुर, कल्याणपुर, करमडीह, सहीजना, तेनार, भरटिया, गढ़ौता, मधेया, महुपी, फरटिया, खजूरी, बसाहा, बेलचंपा सहित अन्य।

“दानरो महोत्सव” पर होगी चर्चा

एसडीएम ने बताया कि इस कॉफी संवाद के दौरान दानरो संरक्षण के लिए साल भर चलने वाले कार्यक्रम ‘दानरो महोत्सव’ की रूपरेखा पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा।
यह कार्यक्रम केवल समस्या सुनने का नहीं बल्कि सकारात्मक पर्यावरणीय पहल को जनभागीदारी से मूर्त रूप देने का प्रयास है।

न्यूज़ देखो: सिर्फ नदी नहीं, जीवन धारा है दानरो

“कॉफी विद एसडीएम” जैसे प्रयास सिर्फ संवाद के मंच नहीं, वास्तविक बदलाव के बीज हैं। दानरो जैसे स्थानीय संसाधनों का संरक्षण स्थानीय नागरिकों की सहभागिता से ही संभव है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

भागीदारी से ही बचेगा पर्यावरण

प्राकृतिक धरोहरों को बचाने की जिम्मेदारी सिर्फ सरकार की नहीं, हर नागरिक की है।
आइए, हम सब मिलकर दानरो को बचाएं, आने वाली पीढ़ियों के लिए।

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