
#पलामू #अनुसेवक_आंदोलन : सुप्रीम कोर्ट आदेश से बर्खास्त 251 अनुसेवकों ने समायोजन की मांग को लेकर रैली व हवन किया।
पलामू में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बर्खास्त किए गए 251 अनुसेवकों ने बुधवार को अनोखे तरीके से विरोध प्रदर्शन किया। समायोजन की मांग को लेकर निकाली गई रैली समाहरणालय परिसर पहुंची, जहां मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के फोटो को साक्षी मानकर हवन किया गया। अनुसेवकों का कहना है कि बर्खास्तगी से पूर्व उन्हें न तो नोटिस दिया गया और न ही पक्ष रखने का अवसर मिला। यह आंदोलन राज्य सरकार के लिए सामाजिक और प्रशासनिक रूप से महत्वपूर्ण मुद्दा बनता जा रहा है।
- सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पलामू में 251 अनुसेवक बर्खास्त।
- समायोजन की मांग को लेकर समाहरणालय तक रैली और हवन।
- मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के फोटो को साक्षी मानकर किया गया अनुष्ठान।
- बर्खास्तगी से पहले नोटिस या स्पष्टीकरण नहीं देने का आरोप।
- आंदोलन में पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी भी हुए शामिल।
पलामू जिले में बर्खास्त किए गए अनुसेवकों का आंदोलन लगातार उग्र होता जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में जिले के 251 अनुसेवकों को सेवा से हटाए जाने के बाद सभी अनुसेवक एकजुट होकर न्याय की मांग कर रहे हैं। बुधवार को अनुसेवकों ने रैली निकालकर अपनी पीड़ा सार्वजनिक रूप से सामने रखी। यह रैली शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए समाहरणालय परिसर तक पहुंची, जहां आंदोलनकारियों ने एक अनोखा और भावनात्मक विरोध प्रदर्शन किया।
मुख्यमंत्री को साक्षी मानकर किया गया हवन
समाहरणालय परिसर के समीप बर्खास्त अनुसेवकों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का फोटो स्थापित कर उन्हें साक्षी मानते हुए हवन किया। अनुसेवकों का कहना था कि वे सरकार से न्याय की अंतिम उम्मीद लगाए बैठे हैं और इसी विश्वास के साथ यह धार्मिक अनुष्ठान किया गया। हवन के दौरान अनुसेवकों ने सरकार से अपनी सेवा बहाली और समायोजन की मांग को दोहराया।
बिना गलती के बर्खास्तगी का आरोप
आंदोलनरत अनुसेवकों का आरोप है कि बर्खास्तगी से पूर्व उन्हें किसी भी प्रकार का नोटिस, स्पष्टीकरण या सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया। उनका कहना है कि न तो उनके दस्तावेजों में कोई त्रुटि है और न ही सेवा काल के दौरान उन्होंने किसी प्रकार की गलती की है। इसके बावजूद एक झटके में उन्हें बेरोजगार कर दिया गया, जिससे उनके परिवारों के सामने आजीविका का गंभीर संकट खड़ा हो गया है।
पांच सूत्री मांगों के साथ आंदोलन
बर्खास्त अनुसेवकों ने अपने आंदोलन के माध्यम से सरकार के समक्ष पांच सूत्री मांगें रखी हैं। इनमें प्रमुख मांगें हैं—
- दैनिक भोगी वरीयता के आधार पर समायोजन।
- पूर्व विज्ञापन में आठवीं पास न्यूनतम योग्यता निर्धारित थी, जबकि नए विज्ञापन में इसका उल्लेख नहीं।
- 50 वर्ष से अधिक आयु वाले अनुसेवकों को उम्र सीमा में राहत।
- नई बहाली प्रक्रिया में सभी बर्खास्त अनुसेवकों का समायोजन।
- बिना गलती के हटाए गए कर्मियों को न्यायोचित समाधान।
अनुसेवकों का कहना है कि वर्षों तक सेवा देने के बावजूद उन्हें इस तरह हटाया जाना अन्यायपूर्ण है।
आंदोलनकारियों की चेतावनी
आंदोलन में शामिल विवेक कुमार शुक्ला, राजेश प्रसाद और कृष्ण कुमार पासवान ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यदि सरकार ने उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं किया, तो वे भिक्षाटन करते हुए रांची तक पैदल मार्च करेंगे। उन्होंने कहा कि यह संघर्ष केवल नौकरी का नहीं, बल्कि आत्मसम्मान और परिवार के भविष्य का सवाल है।
पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी का समर्थन
इस आंदोलन को उस समय और बल मिला, जब पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी स्वयं आंदोलन स्थल पर पहुंचे और अनुसेवकों का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि अनुसेवकों की मांगें पूरी तरह जायज हैं और सरकार को मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए समाधान निकालना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि वे आंदोलन के हर चरण में अनुसेवकों के साथ खड़े रहेंगे।
न्यूज़ देखो: प्रशासन और सरकार के लिए बड़ी चुनौती
बर्खास्त अनुसेवकों का यह आंदोलन केवल रोजगार का मुद्दा नहीं, बल्कि प्रशासनिक प्रक्रिया की पारदर्शिता और संवेदनशीलता से भी जुड़ा है। सरकार के लिए यह आवश्यक हो गया है कि वह कानूनी दायरे में रहकर मानवीय समाधान खोजे। अब निगाहें इस पर टिकी हैं कि सरकार इस सामाजिक संकट का समाधान कैसे करती है।
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न्याय की उम्मीद में खड़े अनुसेवक
बरसों की सेवा के बाद बेरोजगारी का दंश झेल रहे अनुसेवकों की आवाज को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
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