
#मेदिनीनगर #माटीकला_योजना : परंपरागत शिल्पकारों को आधुनिक तकनीकी साधन उपलब्ध कराने के लिए विद्युत चाक का वितरण
- उपाध्यक्ष सह जिला दंडाधिकारी समीरा एस ने समाहरणालय परिसर में 5 लाभुकों को विद्युत चाक वितरण किया।
- योजना के तहत कुल 40 चयनित लाभुकों को 90 प्रतिशत अनुदान पर अत्याधुनिक विद्युत चाक उपलब्ध कराया जाएगा।
- माटीकला योजना का उद्देश्य शिल्पकारों को आधुनिक तकनीकी साधन देकर उत्पादन क्षमता बढ़ाना और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना है।
- सतबरवा की महिला लाह-चूड़ी शिल्पकार ने उपायुक्त को अपने अनूठे हस्तनिर्मित चूड़ी भेंट की।
- जिला उद्यमी समन्वयक चंद्रकांत पांडेय ने कहा कि योजना से शिल्पकारों को सशक्त, सम्मानजनक और तकनीकी रूप से समर्थ आजीविका का अवसर मिलेगा।
मेदिनीनगर में माटीकला योजना के अंतर्गत गुरुवार को समाहरणालय परिसर में विद्युत चाक वितरण कार्यक्रम आयोजित किया गया। उपाध्यक्ष सह जिला दंडाधिकारी समीरा एस ने इस अवसर पर कहा कि यह वितरण केवल 5 लाभुकों के लिए सांकेतिक रूप से किया गया है। कुल 40 चयनित लाभुकों को 90 प्रतिशत अनुदान पर अत्याधुनिक विद्युत चाक उपलब्ध कराया जाएगा। इससे शिल्पकारों की उत्पादन क्षमता में वृद्धि और तकनीकी सशक्तिकरण सुनिश्चित होगा।
योजना का उद्देश्य और महत्व
माटीकला योजना का मूल उद्देश्य परंपरागत माटी शिल्पकारों को आधुनिक तकनीकी साधन प्रदान करना है, ताकि वे अपनी उत्पादकता बढ़ा सकें और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकें। विद्युत चाक से शिल्पकारों का परिश्रम कम होगा और वे बाजार की मांग के अनुरूप उत्पाद बेहतर ढंग से तैयार कर सकेंगे।
उपायुक्त समीरा एस ने कहा: “विद्युत चाक उपलब्ध होने से शिल्पकारों को आत्मनिर्भर बनने में सहूलियत मिलेगी। हमारी कोशिश है कि तकनीकी मदद से वे अपने परंपरागत शिल्प में नवाचार और गुणवत्ता बढ़ा सकें।”
शिल्पकारों की प्रतिक्रिया और प्रस्तुति
इस अवसर पर सतबरवा से आई महिला लाह-चूड़ी शिल्पकार ने उपायुक्त को अपने अनूठे हस्तनिर्मित चूड़ी भेंट की। उपायुक्त ने इसकी विशेषता और अलौकिकता पर प्रसन्नता जाहिर की और इसे रांची के मोरहाबादी में प्रस्तावित जेसोवा मेले में बिक्री के लिए प्रोत्साहित किया। इस पहल से शिल्पकारों को अपनी कारीगरी के लिए व्यापारिक अवसर मिलेंगे।
जिला उद्यमी समन्वयक चंद्रकांत पांडेय ने कहा: “माटीकला योजना शिल्पकारों को न केवल तकनीकी रूप से सशक्त बना रही है, बल्कि उन्हें सम्मानजनक आजीविका का अवसर भी प्रदान कर रही है। विद्युत चाक के माध्यम से उत्पादन क्षमता बढ़ेगी और शिल्पकार आधुनिक तकनीक से जुड़ेंगे।”
योजना का व्यापक असर और सहभागिता
कार्यक्रम में उपरोक्त के अलावा सतबरवा, पाटन, नवाबाजार, चैनपुर, रामगढ़, लेस्लीगंज एवं पड़वा प्रखंड समन्वयक उपस्थित थे। इस अवसर ने शिल्पकारों, प्रशासनिक अधिकारियों और प्रखंड समन्वयकों के बीच संपर्क और सहयोग को मजबूत किया। यह पहल स्थानीय शिल्पकारों के आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।



न्यूज़ देखो: माटीकला योजना से शिल्पकारों में आत्मनिर्भरता की नई उम्मीदें
इस कार्यक्रम से यह स्पष्ट होता है कि प्रशासनिक पहल और तकनीकी सहायता मिलकर शिल्पकारों को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बना सकती है। विद्युत चाक वितरण से परंपरागत कारीगरों की उत्पादकता बढ़ेगी और उनके उत्पादन में गुणवत्ता सुनिश्चित होगी।
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शिल्पकारों को सशक्त बनाने में आपका योगदान
स्थानीय शिल्पकारों की कारीगरी और उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए हमें भी सहयोग करना होगा। आप अपने आस-पास के शिल्पकारों को पहचानें, उनके उत्पादों को बढ़ावा दें और उन्हें तकनीकी सहायता उपलब्ध कराने वाले कार्यक्रमों में भागीदारी करें। अपनी राय कमेंट में दें, इस खबर को शेयर करें और शिल्पकारों की सशक्तिकरण यात्रा में साथ दें।