
#गढ़वा #डॉक्टर्स_डे_2025 : 1 जुलाई को राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस पर परमेश्वरी मेडिकल सेंटर में डॉक्टरों और स्टाफ ने किया विशेष आयोजन — डॉक्टरों की भूमिका और सेवा को दी गई विशेष मान्यता
- अस्पताल में केक काटकर डॉक्टर दिवस का उत्सव मनाया गया
- डॉ. ज्वाला प्रसाद सिंह ने राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस के महत्व को किया रेखांकित
- थीम रही: “पर्दे के पीछे — उपचार करने वालों को कौन ठीक करता है?”
- डॉ. निशांत सिंह और डॉ. नीतू सिंह ने साझा किए अपने विचार
- डॉ. बिधान चंद्र रॉय की स्मृति में हर वर्ष 1 जुलाई को मनाया जाता है यह दिन
डॉक्टरों के समर्पण को सलाम, अस्पताल परिसर में हुआ प्रेरणादायी आयोजन
गढ़वा के परमेश्वरी मेडिकल सेंटर में 1 जुलाई 2025 को राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस पर एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर अस्पताल के सभी डॉक्टरों और पारा मेडिकल स्टाफ ने मिलकर केक काटा और इस दिन को सेवा और समर्पण के प्रतीक के रूप में मनाया।
डॉक्टरों की सेवा का सम्मान, थीम ने जगाई भावनात्मक चेतना
अस्पताल के संस्थापक डॉ. ज्वाला प्रसाद सिंह ने इस अवसर पर कहा कि डॉक्टर दिवस उन सभी चिकित्सा पेशेवरों को सम्मान देने का दिन है जो हर परिस्थिति में मानवता की सेवा में जुटे रहते हैं। उन्होंने बताया कि इस वर्ष की थीम “पर्दे के पीछे: उपचार करने वालों को कौन ठीक करता है?” इस बात पर जोर देती है कि जो लोग हमारी देखभाल करते हैं, उन्हें भी देखभाल और मानसिक समर्थन की आवश्यकता होती है।
डॉ. ज्वाला प्रसाद सिंह ने कहा: “यह दिन न केवल एक उत्सव है, बल्कि हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि डॉक्टर भी इंसान हैं जिन्हें भावनात्मक, मानसिक और सामाजिक सुरक्षा की जरूरत होती है।”
डॉक्टरों के योगदान को समाज में मान्यता देने का दिन
लैप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. निशांत सिंह ने कहा कि डॉक्टर दिन-रात अपनी जान की परवाह किए बिना दूसरों की भलाई में लगे रहते हैं। उन्होंने इस वर्ष की थीम को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया, जो चिकित्सा पेशेवरों की अपनी भलाई के प्रति समाज का ध्यान केंद्रित करती है।
स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. नीतू सिंह ने कहा कि यह दिन केवल महामारी या आपदा की स्थिति में नहीं, बल्कि हर रोज डॉक्टरों द्वारा निभाई जा रही भूमिका की सार्वजनिक स्वीकृति का प्रतीक है।
डॉ. बिधान चंद्र रॉय की स्मृति में मनाया जाता है यह दिन
डॉ. ज्वाला प्रसाद सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस की शुरुआत वर्ष 1991 में भारत सरकार द्वारा की गई थी, जो पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री और भारत रत्न डॉ. बिधान चंद्र रॉय की स्मृति में मनाया जाता है। डॉ. रॉय का जन्म और निधन दोनों 1 जुलाई को ही हुआ था। उन्होंने आईएमए और एमसीआई जैसे संस्थानों की स्थापना कर भारत की चिकित्सा प्रणाली को मजबूत किया।
समाज से जुड़कर मना डॉक्टर दिवस, लोगों में दिखा उत्साह
कार्यक्रम में शामिल सभी डॉक्टरों, स्टाफ और समुदाय के लोगों ने डॉक्टरों की अद्वितीय भूमिका और सेवा भावना को लेकर अपने अनुभव साझा किए। सोशल मीडिया पर भी मरीजों और समाज के लोगों ने डॉक्टरों के लिए सम्मान और आभार व्यक्त करते हुए अपनी कहानियां साझा कीं।
न्यूज़ देखो: जो हमें बचाते हैं, उन्हें भी चाहिए सम्मान और देखभाल
राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस केवल एक तारीख नहीं, बल्कि एक चेतावनी और अवसर है कि हम डॉक्टरों की सेवा, समर्पण और मानसिक दबाव को भी समझें। गढ़वा जैसे क्षेत्र में जहां संसाधन सीमित हैं, वहां भी डॉक्टर अपनी पूरी निष्ठा से जनता की सेवा कर रहे हैं। न्यूज़ देखो डॉक्टरों को नमन करता है और प्रशासन से अपील करता है कि उनके लिए सुरक्षित और सम्मानजनक कार्य वातावरण सुनिश्चित किया जाए।
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सम्मान और संवेदना से बनता है सशक्त समाज
समाज को चाहिए कि डॉक्टरों की सेवा को केवल आपातकाल में नहीं, बल्कि हर दिन स्वीकार करे और उन्हें उचित सम्मान दे। हर नागरिक को यह समझने की जरूरत है कि स्वास्थ्य सेवा देने वालों का मनोबल हमारी छोटी-छोटी सराहनाओं से भी ऊंचा उठ सकता है।
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