
#जरमुंडी #चिकित्सकीय_सफलता : पंडाल निर्माण हादसे में गंभीर रूप से घायल युवक की नाक डॉक्टरों ने जोड़ी।
दुमका जिले के जरमुंडी प्रखंड में एक गंभीर हादसे के बाद मानवीय संवेदना और चिकित्सकीय दक्षता का अनूठा उदाहरण देखने को मिला। पंडाल निर्माण के दौरान 25 फीट ऊंचाई से गिरने से 22 वर्षीय युवक की नाक का आधा हिस्सा कटकर अलग हो गया था। ग्रामीणों की तत्परता और डॉक्टरों की त्वरित कार्रवाई से कटे हुए नाक के हिस्से को सफलतापूर्वक जोड़ा गया। यह घटना न केवल चिकित्सा विज्ञान की सफलता है, बल्कि आपात स्थितियों में सामूहिक प्रयास की भी मिसाल है।
- घटना स्थल: जरमुंडी प्रखंड, दुमका जिला।
- घायल युवक: ललित मंडल (22 वर्ष)।
- हादसा: 25 फीट ऊंचाई से गिरने के कारण नाक का हिस्सा अलग।
- उपचार: करीब 16 टांकों से नाक का कट हिस्सा जोड़ा गया।
- डॉक्टरों की टीम: डॉ. गुफरान, आनंद रजक, भूपेंद्र सिंह और फार्मासिस्ट भूषण कापरी।
दुमका जिले के जरमुंडी क्षेत्र में घटी यह घटना जितनी भयावह थी, उतनी ही प्रेरणादायक भी बन गई। 22 वर्षीय युवक ललित मंडल पंडाल निर्माण के कार्य में लगा हुआ था। इसी दौरान अचानक संतुलन बिगड़ने से वह लगभग 25 फीट की ऊंचाई से नीचे गिर पड़ा। गिरने के दौरान किसी नुकीली वस्तु से टकराने के कारण उसकी नाक का आधा हिस्सा पूरी तरह कटकर अलग हो गया।
हादसे के बाद अफरा-तफरी, लेकिन नहीं टूटा हौसला
घटना के तुरंत बाद मौके पर अफरा-तफरी मच गई। ललित मंडल लहूलुहान हालत में पड़ा था और अत्यधिक रक्तस्राव हो रहा था। परिजनों और ग्रामीणों को सबसे बड़ी चिंता यह थी कि कटे हुए नाक के हिस्से का क्या होगा, क्योंकि अगर वह हिस्सा समय पर नहीं मिलता तो नाक को जोड़ना असंभव हो सकता था।
इसी बीच सामाजिक कार्यकर्ता निरंजन मंडल ने सूझबूझ दिखाते हुए ग्रामीणों के साथ मिलकर कटे हुए नाक के हिस्से की तलाश शुरू कराई। लगभग दो घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद पंडाल स्थल के आसपास से नाक का कटा हुआ हिस्सा बरामद किया गया।
समय के खिलाफ दौड़ और अस्पताल तक पहुंच
कटे हुए नाक के हिस्से को सुरक्षित रखते हुए घायल युवक को तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया। यह समय के खिलाफ दौड़ थी, क्योंकि चिकित्सकीय भाषा में ऐसे मामलों में हर मिनट कीमती होता है। अस्पताल पहुंचते ही डॉक्टरों ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए बिना देरी इलाज शुरू कर दिया।
डॉक्टरों की टीम ने दिखाई तत्परता
उपचार में डॉ. गुफरान, डॉ. आनंद रजक, डॉ. भूपेंद्र सिंह और फार्मासिस्ट भूषण कापरी की अहम भूमिका रही। डॉक्टरों ने पहले युवक की स्थिति को स्थिर किया, अत्यधिक रक्तस्राव को नियंत्रित किया और फिर कटे हुए नाक के हिस्से को जोड़ने की प्रक्रिया शुरू की।
डॉक्टरों के अनुसार, यदि कटे हुए हिस्से को समय पर और सही तापमान में लाया जाए तो उसे जोड़ा जा सकता है। ग्रामीणों की समझदारी और डॉक्टरों की विशेषज्ञता ने यहां निर्णायक भूमिका निभाई।
16 टांकों से जुड़ी नाक, सफल ऑपरेशन
करीब 16 टांकों की मदद से डॉक्टरों ने नाक के कटे हुए हिस्से को सावधानीपूर्वक उसके मूल स्थान पर जोड़ा। यह प्रक्रिया बेहद सूक्ष्म और चुनौतीपूर्ण थी, क्योंकि नाक का हिस्सा न केवल सौंदर्य बल्कि श्वसन के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
लगातार निगरानी और तीन चरणों में जांच के बाद डॉक्टरों ने परिजनों को बताया कि ऑपरेशन सफल रहा है और नाक का हिस्सा शरीर के साथ प्रतिक्रिया कर रहा है, जो सकारात्मक संकेत है।
तीसरी जांच रिपोर्ट के बाद मिली राहत
इलाज के बाद डॉक्टरों ने नियमित अंतराल पर जांच की। तीसरी जांच रिपोर्ट में यह स्पष्ट हो गया कि नाक का जोड़ा गया हिस्सा सुरक्षित है और उसमें संक्रमण का कोई लक्षण नहीं है। इसके बाद परिजनों को राहत की सांस मिली और उन्होंने डॉक्टरों व ग्रामीणों का आभार जताया।
ग्रामीणों और समाज की सराहनीय भूमिका
इस पूरे घटनाक्रम में केवल डॉक्टर ही नहीं, बल्कि ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ता निरंजन मंडल की भूमिका भी बेहद सराहनीय रही। यदि नाक का कटा हिस्सा समय पर नहीं मिलता, तो यह सफलता संभव नहीं होती।
ग्रामीणों ने कहा कि यह घटना बताती है कि संकट के समय एकजुटता और समझदारी से बड़े से बड़ा संकट भी टाला जा सकता है।
न्यूज़ देखो: इंसानियत और चिकित्सा का अद्भुत मेल
जरमुंडी की यह घटना बताती है कि आधुनिक चिकित्सा और मानवीय संवेदना मिलकर असंभव को भी संभव बना सकती है। डॉक्टरों की तत्परता और ग्रामीणों की सक्रियता ने एक युवक के जीवन की गुणवत्ता बचा ली। ऐसे उदाहरण स्वास्थ्य व्यवस्था पर भरोसा मजबूत करते हैं। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
संकट में साथ, यही समाज की ताकत
यह घटना हमें सिखाती है कि आपदा के समय धैर्य और सहयोग कितना महत्वपूर्ण होता है।
डॉक्टरों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और ग्रामीणों के प्रयास को साझा करें और प्रेरणा लें।
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