#गढ़वा #रक्तदानकीमिसाल : सेवा, संवेदना और समर्पण के संगम से टीम दौलत ने गढ़वा को बनाया इंसानियत की प्रेरक भूमि
- 57 वर्षीय दया शंकर गुप्ता ने किया AB+ रक्तदान, बनीं उम्र की सीमाओं से परे सेवा की मिसाल।
- B+ रक्तदान कर शशि रंजन ने संकट में फंसी महिला को दिलाया जीवनदान।
- थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे को उपेन्द्र कुशवाहा ने समय पर रक्त देकर दिखाई संवेदनशीलता।
- टीम दौलत ने दया शंकर गुप्ता को अंग वस्त्र से सम्मानित कर जताया आभार।
- गढ़वा में अब जरूरतमंद को सिर्फ एक कॉल पर मिल रही है रक्त की मदद।
उम्र नहीं, सेवा का जज़्बा मायने रखता है: 57 की उम्र में दया शंकर गुप्ता का रक्तदान
गढ़वा में सेवा, समर्पण और इंसानियत की मिसाल बने लायंस क्लब ऑफ गढ़वा सिटी के सदस्य और टीम दौलत के मुख्य सलाहकार दया शंकर गुप्ता। उन्होंने सोमवार को 57 साल की उम्र में AB+ रक्तदान कर यह स्पष्ट कर दिया कि सेवा की कोई उम्र नहीं होती।
टीम दौलत ने उन्हें इस प्रेरणादायक योगदान के लिए अंग वस्त्र भेंटकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में उनकी निःस्वार्थ भावना को सराहा गया, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए रक्तदान और सेवा का आदर्श उदाहरण बन सकता है।
टीम दौलत के संयोजक दौलत सोनी ने कहा: “दया शंकर जी जैसे वरिष्ठ नागरिक जब खुद आगे बढ़कर रक्तदान करते हैं, तो वह पूरी युवा पीढ़ी को सेवा के प्रति प्रेरित करते हैं।”
जीवन बचाने की दौड़ में तत्पर शशि रंजन का योगदान
इसी दिन सोनपुरवा निवासी शशि रंजन ने एक गंभीर रूप से बीमार महिला के लिए B+ रक्तदान किया। मरीज की हालत नाजुक थी और रक्त की तत्काल आवश्यकता थी। परिवारवाले जब उम्मीद खो चुके थे, तब शशि जी की तत्परता और संवेदनशीलता ने नया जीवन दिया।
शशि रंजन ने कहा: “जब मुझे बताया गया कि महिला की हालत गंभीर है, तो मैं बिना किसी देरी के अस्पताल पहुंचा। यही असली सेवा है।”
शशि जी का यह कदम न केवल एक व्यक्ति को जीवनदान देने वाला रहा, बल्कि यह संदेश भी देता है कि रक्तदान मानवता का सबसे सीधा और प्रभावी रूप है।
मासूम की मुस्कान बचाने का प्रयास: थैलेसीमिया पीड़ित को मिला समय पर रक्त
टीम दौलत के सक्रिय सदस्य उपेन्द्र कुशवाहा ने एक थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे के लिए रक्तदान किया, जो समय-समय पर खून पर निर्भर होता है। इस मासूम की ज़िंदगी में बार-बार आने वाले संकट को समय पर रक्त देकर टाला गया।
उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा: “जब बच्चे की मां ने कहा कि आप हमारे लिए देवदूत हैं, तो आंखें नम हो गईं। उस मासूम की मुस्कान ही मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा है।”
थैलेसीमिया जैसे रोग से जूझते बच्चों को नियमित रक्त की आवश्यकता होती है, और टीम दौलत जैसे संगठनों के प्रयास उन्हें नई उम्मीद और बेहतर जीवन की ओर ले जाते हैं।
एक कॉल, एक सेवा — टीम दौलत का भरोसेमंद नेटवर्क
गढ़वा जिले में टीम दौलत ने एक ऐसा नेटवर्क तैयार किया है, जहां किसी भी जरूरतमंद को सिर्फ एक कॉल या मैसेज करना होता है, और कुछ ही समय में रक्तदाता पहुंच जाते हैं। सेवा भाव, तत्परता और समर्पण इस टीम की पहचान बन चुकी है।
टीम में शामिल सभी सदस्य किसी धर्म, जाति या उम्र की परवाह किए बिना मानवीय सेवा में लगे हुए हैं। आज जब कई स्थानों पर रक्त की कमी जानलेवा बन जाती है, वहां गढ़वा में टीम दौलत जैसे संगठन लोगों की जान बचाने में मूक नायक की भूमिका निभा रहे हैं।
टीम दौलत के मीडिया प्रभारी विवेक सिन्हा ने कहा: “हमारा उद्देश्य सिर्फ रक्तदान तक सीमित नहीं, बल्कि सेवा संस्कृति को जन-जन तक पहुँचाना है। हर सदस्य एक परिवार की तरह कार्य करता है।”
सम्मान, सराहना और नई प्रेरणा
टीम दौलत ने इस मौके पर दया शंकर गुप्ता जैसे समर्पित रक्तदाता को अंगवस्त्र ओढ़ा कर सम्मानित किया और समाज को यह संदेश दिया कि हर व्यक्ति में सेवा की शक्ति छिपी होती है, बस उसे जागृत करने की आवश्यकता है।
समारोह में कई गणमान्य लोग, सामाजिक कार्यकर्ता और स्वयंसेवी उपस्थित थे, जिन्होंने इन रक्तदाताओं की भावना को सलाम किया और गढ़वा को सेवा का पथप्रदर्शक बताया।



न्यूज़ देखो: जब सेवा बनती है समाज की साँस
दया शंकर गुप्ता से लेकर उपेन्द्र कुशवाहा तक — इन सभी की कहानियाँ दिखाती हैं कि जब समाज में संवेदना और सक्रिय नागरिकता का मेल होता है, तब हर संकट छोटा पड़ जाता है। न्यूज़ देखो ऐसी मिसालों को सामने लाकर समाज को प्रेरणा और दिशा देने का कार्य करता रहेगा।
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