
#पलामू #फूडप्वाइजन : लापरवाही पर सवाल, शिक्षा विभाग खामोश
- पलामू जिले के तरहसी कस्तूरबा विद्यालय में फूड प्वाइजन का मामला।
- एक दर्जन से अधिक छात्राएं बीमार, चार की हालत गंभीर।
- गंभीर छात्राओं को एमएमसीएच मेदिनीनगर रेफर किया गया।
- अन्य छात्राओं का तरहसी पीएचसी में इलाज जारी।
- शिक्षा विभाग के अधिकारी खामोश, लापरवाही पर उठे सवाल।
पलामू जिले के तरहसी प्रखंड स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में सोमवार को बड़ा हादसा सामने आया। विद्यालय में पढ़ने वाली कई छात्राएं अचानक बीमार हो गईं। शुरुआती जांच में यह मामला फूड प्वाइजनिंग का निकला है। बीमार हुई छात्राओं की संख्या एक दर्जन से अधिक बताई जा रही है, जबकि चार छात्राओं की हालत गंभीर बनी हुई है।
गंभीर छात्राओं को मेदिनीनगर रेफर
तरहसी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के दौरान जब चार छात्राओं की स्थिति बिगड़ने लगी तो उन्हें बेहतर इलाज के लिए मेदिनीनगर के एमएमसीएच अस्पताल रेफर कर दिया गया। वहीं, बाकी छात्राओं का इलाज तरहसी पीएचसी में ही जारी है। इस घटना से छात्राओं और अभिभावकों में भय और आक्रोश का माहौल है।
बड़ी लापरवाही और विभाग की चुप्पी
इतनी गंभीर घटना के बावजूद शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचे हैं। विभागीय चुप्पी ने सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि विद्यालय में परोसे जाने वाले भोजन की गुणवत्ता पर पहले भी सवाल उठते रहे हैं, लेकिन प्रशासन और विभाग ने कभी सख्ती नहीं दिखाई।
विद्यालय प्रबंधन की भूमिका संदिग्ध
सूत्रों के अनुसार, विद्यालय में भोजन की गुणवत्ता को लेकर कई बार शिकायतें हुईं, लेकिन उन्हें गंभीरता से नहीं लिया गया। यह भी आशंका जताई जा रही है कि भोजन में स्वच्छता और मानकों का पालन नहीं किया गया। फिलहाल छात्राओं के खाने के सैंपल जांच के लिए भेजे जाने की तैयारी है।
अभिभावकों में गुस्सा
छात्राओं के बीमार पड़ने की खबर फैलते ही बड़ी संख्या में परिजन अस्पताल पहुंचे। उन्होंने विद्यालय प्रबंधन और शिक्षा विभाग की लापरवाही पर कड़ी नाराजगी जताई। उनका कहना है कि यदि समय पर ठोस कदम नहीं उठाए गए तो वे आंदोलन करेंगे।
न्यूज़ देखो: बेटियों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल
यह घटना साबित करती है कि बालिकाओं के लिए बनाए गए आवासीय विद्यालयों में मूलभूत सुविधाओं और सुरक्षा की स्थिति चिंताजनक है। गुणवत्ताहीन भोजन और प्रशासनिक लापरवाही छात्राओं की जान पर भारी पड़ रही है। शिक्षा विभाग का मौन रवैया स्थिति को और गंभीर बना रहा है।
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अब समय है जवाबदेही तय करने का
छात्राओं के स्वास्थ्य और भविष्य के साथ खिलवाड़ अस्वीकार्य है। प्रशासन और शिक्षा विभाग को तुरंत जिम्मेदारों पर कार्रवाई करनी चाहिए। अब समय है कि हम सब मिलकर इन बेटियों की सुरक्षा और अधिकारों के लिए आवाज उठाएं। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को शेयर करें ताकि जागरूकता फैले।