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डॉ इरफान अंसारी ने आफताब की मौत पर किया सियासी संग्राम तेज, हिंदू टाइगर फोर्स पर उठे सवाल और बाबूलाल मरांडी पर आरोप

#रामगढ़ #हत्याकांड : डॉ. इरफान अंसारी का बड़ा हमला, हिंदू टाइगर फोर्स पर प्रतिबंध और बाबूलाल मरांडी पर आरोप

रामगढ़ में आफताब अंसारी की मौत सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक तनाव का बड़ा कारण बन गई है। आरोप है कि बजरंग दल और हिंदू टाइगर फोर्स जैसे संगठनों के दबाव में पुलिस ने आफताब को हिरासत में लिया, जिसके बाद उसकी मौत हो गई। अब यह मामला कानून, संविधान और मानवाधिकार पर गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है।

हत्याकांड पर मंत्री का सीधा हमला

झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने इस घटना को संगठित साजिश बताया और भाजपा पर सीधा निशाना साधा। उन्होंने सवाल किया कि क्या अब झारखंड में कानून नहीं बल्कि कट्टर संगठनों का राज चलेगा।

डॉ. इरफान अंसारी ने कहा: “क्या अब झारखंड में कानून नहीं, बजरंग दल चलेगा? क्या भाजपा नेताओं के इशारे पर निर्दोषों को थानों में पीट-पीटकर मार दिया जाएगा?”

बाबूलाल मरांडी पर गंभीर आरोप

डॉ. अंसारी ने भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी को इस मामले का मास्टरमाइंड बताते हुए कहा कि उनके भड़काऊ ट्वीट और बयान ने पुलिस और माहौल दोनों पर दबाव बनाया।

डॉ. इरफान अंसारी का आरोप: “यह हत्या पुलिस कस्टडी में नहीं, भाजपा की विचारधारा में हुई है। बाबूलाल मरांडी के भड़काऊ ट्वीट ने जहर फैलाया और अंत में आफताब की जान ले ली।”

हिंदू टाइगर फोर्स पर प्रतिबंध की मांग

डॉ. अंसारी ने हिंदू टाइगर फोर्स को खतरनाक संगठन बताते हुए इसे तुरंत बैन करने की मांग की। उन्होंने कहा कि इसके संस्थापकों पर हत्या का मामला दर्ज होना चाहिए।

डॉ. अंसारी ने कहा: “बजरंग दल की तर्ज पर कौन चला रहा है हिंदू टाइगर फोर्स? क्या यह आतंकवादी संगठन है? इसके संस्थापकों पर धारा 302 के तहत कार्रवाई होनी चाहिए।”

सरकार की भूमिका और जांच

डॉ. अंसारी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को घटना की पूरी जानकारी दी है और उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। उन्होंने साफ किया कि चाहे कोई पुलिस अधिकारी हो या किसी संगठन से जुड़ा हो, गुनहगारों को बख्शा नहीं जाएगा।

डॉ. अंसारी का वादा: “जो भी इस साज़िश का हिस्सा है, वह सलाखों के पीछे होगा—यही मेरा वादा है।”

न्यूज़ देखो: इंसाफ और संविधान की बड़ी परीक्षा

रामगढ़ का यह मामला सिर्फ एक युवक की मौत नहीं, बल्कि कानून और लोकतंत्र के लिए चुनौती है। जब संगठनों के दबाव में पुलिस कार्रवाई के आरोप लगते हैं, तो यह शासन व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। सरकार को पारदर्शी जांच के जरिए न सिर्फ न्याय देना होगा, बल्कि यह संदेश भी देना होगा कि कानून से ऊपर कोई नहीं। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

अब आवाज उठाने का समय

यह सिर्फ आफताब का मामला नहीं, बल्कि इंसाफ और इंसानियत का सवाल है। हमें ऐसी घटनाओं पर सजग रहना होगा और प्रशासन को जवाबदेह बनाना होगा। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को शेयर करें ताकि सच्चाई ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे।

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