
#आदिवासीसमाज #झारखंडराजनीति – मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को बताया “विकास पुत्र”, आदिवासी समाज से बंद वापस लेने की विनम्र अपील
- आदिवासी संगठनों द्वारा घोषित बंद को डॉ. इरफान ने बताया अनुचित
- मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को बताया सबका नेता, सबके हितैषी
- पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास से की गई तुलना में हेमंत को बेहतर विकल्प बताया
- राज्य में आदिवासी समाज का बढ़ा सम्मान और आत्मविश्वास
- जनता से अपील – किसी बहकावे में न आएं, विकास की राह पर चलें
आदिवासी समाज से भावनात्मक अनुरोध
झारखंड कांग्रेस विधायक डॉ. इरफान अंसारी ने आदिवासी समाज से अपील की है कि आदिवासी संगठनों द्वारा घोषित आगामी बंद को वापस लिया जाए। उन्होंने कहा कि यह राज्य आदिवासियों का है, और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जैसा नेतृत्व ही समाज के विकास की दिशा तय कर सकता है।
“हेमंत सोरेन ही हैं असली विकल्प”
डॉ. अंसारी ने कहा कि अगर कोई पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास और वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कार्यशैली की तुलना करता है, तो हेमंत जी की सर्वसमावेशी नीतियां स्पष्ट रूप से सामने आती हैं। वे केवल नेता नहीं, “विकास पुत्र” हैं।
“मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सभी वर्गों, धर्मों और समुदायों को साथ लेकर चलने का काम किया है। उनके नेतृत्व में आज आदिवासी समाज का सम्मान बढ़ा है और झारखंड नई ऊंचाइयों की ओर अग्रसर है।”
— डॉ. इरफान अंसारी
विश्वास, विकास और भागीदारी की अपील
उन्होंने कहा कि आज झारखंड में जो प्रगति हो रही है, वह मुख्यमंत्री के सशक्त नेतृत्व का ही परिणाम है। हर वर्ग को साथ लेकर राज्य को आगे बढ़ाया जा रहा है, और यही वजह है कि मुख्यमंत्री पर सभी धर्मों और समुदायों का भरोसा मजबूत हुआ है।
डॉ. अंसारी ने समाज से अपील की:
“किसी भी राजनीतिक बहकावे में न आएं। राज्य और समाज के हित में निर्णय लें। विकास की इस यात्रा में सबका साथ, सबका विश्वास और सबका प्रयास बेहद ज़रूरी है।”
न्यूज़ देखो: लोकतांत्रिक अपीलों और संवाद से ही बढ़ेगा विश्वास
राजनीतिक असहमति के बीच संवाद और विश्वास ही लोकतंत्र की असली शक्ति है। डॉ. अंसारी की यह अपील इसी विश्वास को गहरा करती है कि झारखंड का भविष्य समावेशी विकास और स्थिर नेतृत्व में ही सुरक्षित है। न्यूज़ देखो हमेशा रहेगा जनता की भावना और सच्चाई के साथ।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
लोकतांत्रिक रास्ता चुनें, बंद नहीं संवाद ज़रूरी
आवश्यक है कि जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए सामाजिक और राजनीतिक संगठन सकारात्मक संवाद की राह अपनाएं। विकास की प्रक्रिया में हर वर्ग की भागीदारी ही झारखंड को नई दिशा दे सकती है।