#झारखंड #इरफानअंसारी : भाषा को लेकर भाजपा पर बोला हमला — “टॉर्चर ने बांग्ला सिखा दिया, अब बिहार में भी भाजपा की पोल खोलूंगा”
- डॉ. इरफान अंसारी ने भाजपा की नफरत की राजनीति पर किया प्रहार
- झारखंड में बांग्ला भाषियों को ‘बांग्लादेशी’ कहने को बताया अस्मिता पर हमला
- बोले: भाजपा ने इतना टॉर्चर किया कि बांग्ला सीख गया
- बिहार चुनाव को लेकर भाजपा को दी खुली चेतावनी
- कहा: झारखंड जीत लिया, अब भाजपा की ‘दाल’ बिहार में नहीं गलने दूंगा
झारखंड की अस्मिता को बताया गया निशाना
झारखंड के वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ. इरफान अंसारी ने एक बार फिर भाजपा पर तीखा हमला किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव के दौरान भाजपा ने झारखंड में बांग्ला बोलने वाले लोगों को ‘बांग्लादेशी’ कहकर उनकी अस्मिता पर हमला किया, जिससे एक संप्रभु झारखंडी नागरिक की गरिमा को ठेस पहुंची।
डॉ. इरफान अंसारी ने कहा:
“भाजपा ने चुनाव में इतना टॉर्चर किया कि बांग्ला बोलना सीख गया। जिन्हें बांग्ला नहीं आती थी, भाजपा की नफरत ने उन्हें बांग्ला सिखा दिया।”
भाषा को अपराध बताने पर जताई नाराज़गी
डॉ. अंसारी ने जोर देकर कहा कि भाषा हमारी पहचान और संस्कृति होती है, न कि अपराध। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि अब बिहार में भी चुनाव हैं, और वहां भी लाखों लोग बांग्ला बोलते हैं — देखना कहीं भाजपा उन्हें ‘पाकिस्तानी’ न कह दे।
उन्होंने कहा कि भाजपा भाषा के आधार पर लोगों को बांटने और अपमानित करने की राजनीति कर रही है, जो अब ज्यादा दिन नहीं चलेगी।
अब बिहार में भाजपा को घेरने की तैयारी
इरफान अंसारी ने अपने बयान में साफ कहा कि झारखंड में भाजपा को हरा चुके हैं और अब बंगाल के बाद बिहार की बारी है। उन्होंने जनता से अपील की कि भाजपा की “नफरत की राजनीति” को हराने के लिए एकजुट हों।
“भाषा नहीं झुकेगी, झारखंड नहीं रुकेगा।”
यह नारा उन्होंने भाषाई सम्मान और क्षेत्रीय अस्मिता के पक्ष में देते हुए भाजपा को सख्त संदेश देने के लिए इस्तेमाल किया।
न्यूज़ देखो: जब भाषा बनी सम्मान का सवाल
डॉ. इरफान अंसारी का यह बयान बताता है कि झारखंड की राजनीति अब सिर्फ सत्ता की नहीं, बल्कि अस्मिता और भाषा की लड़ाई भी बन चुकी है। जब किसी को उसकी मातृभाषा के लिए अपमानित किया जाता है, तो यह केवल व्यक्ति नहीं, पूरी संस्कृति पर हमला होता है। ‘न्यूज़ देखो’ मानता है कि भाषा के आधार पर विभाजन नहीं, बल्कि एकता और सम्मान की राजनीति होनी चाहिए।
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नागरिकों को चाहिए मुद्दों पर आधारित राजनीति
देश और राज्यों की राजनीति को भाषा, जाति या धर्म की नफरत से निकालकर रोज़गार, शिक्षा, स्वास्थ्य और सम्मान जैसे मुद्दों पर केंद्रित करना होगा। नागरिकों को चाहिए कि वे ऐसी आवाज़ों को बढ़ावा दें जो संविधान, विविधता और एकता की बात करें।
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