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बारिश की कामना संग गूंजे नगाड़े, बलसेरा गांव में ईंद मेला का उल्लास

#सिमडेगा #संस्कृति_उत्सव : बलसेरा गांव में अश्विन पूर्णिमा पर ईंद्रदेव की पूजा और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से गूंजा गांव, लोक परंपरा और एकता का संदेश।

बानो (सिमडेगा)। ठेठईटांगर प्रखंड के कोरोमियां पंचायत अंतर्गत बलसेरा गांव में परंपरा, आस्था और लोक संस्कृति का संगम देखने को मिला। अश्विन पूर्णिमा की पंचमी तिथि को आयोजित ईंद मेला में पूरे गांव ने मिलकर ईंद्रदेव की पूजा की और अच्छी बारिश व भरपूर फसल की कामना की। पूजा के उपरांत रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने ग्रामीण वातावरण को उल्लास और संगीत से भर दिया।

सांस्कृतिक कार्यक्रमों में झूमे ग्रामीण

मेला का उद्घाटन दीप प्रज्वलित कर जिला परिषद सदस्य अजय एक्का, मुखिया रेणुका सोरेंग और समाजसेवी दीपक लकड़ा ने किया। मंच से अजय एक्का ने कहा कि “ईंद मेला हमारी परंपरा और प्रकृति के प्रति सम्मान का प्रतीक है। लोग प्रकृति से जुड़कर अच्छी बारिश और उपजाऊ भूमि की प्रार्थना करते हैं। यही हमारी संस्कृति की पहचान है।”

इस मौके पर नागपुरी कलाकारों द्वारा प्रस्तुत पारंपरिक गीत, आधुनिक संगीत और नृत्य ने उपस्थित जनसमूह को झूमने पर मजबूर कर दिया। चंदन दास, रतन बड़ाईक, और महेश तिर्की ने अपनी गायकी से समां बांध दिया, जबकि केशो देवी, सुहाना देवी, सुकांति कुमारी और प्रति बारला की प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

संगीत और परंपरा का मेल

संगीत की लहरों में चमरू महली एंड ग्रुप, लिटिल स्टार म्यूजिकल ग्रुप सिमडेगा, और अपना साउंड सुनील बड़ाईक की टीम ने वाद्ययंत्रों के मधुर सुरों से रात्रि को रंगीन बना दिया।
समिति के अध्यक्ष हराचंद सिंह ने कहा, “ईंद मेला हमारी संस्कृति और परंपरा का प्रतीक है, इसे सहेजना और अगली पीढ़ी तक पहुंचाना हमारा कर्तव्य है।
वहीं मुख्य संरक्षक अशोक कुमार बड़ाईक ने कहा, “ऐसे आयोजनों से समुदायों में आपसी मेलजोल और भाईचारा मजबूत होता है।

उपाध्यक्ष ईश्वर सिंह ने लोगों से अपील की कि “मेला शांति और सौहार्द के माहौल में सम्पन्न हो, सभी दर्शक परिवार सहित कार्यक्रमों का आनंद लें।

आयोजन समिति की महत्वपूर्ण भूमिका

कार्यक्रम संचालन कालो खलखो और अशोक बड़ाईक ने किया। मीडिया प्रभारी भरत सिंह के मार्गदर्शन में विधि-व्यवस्था की जिम्मेदारी निभाई गई।
कार्यक्रम को सफल बनाने में समिति के पदाधिकारियों — अध्यक्ष हराचंद सिंह, उपाध्यक्ष ईश्वर सिंह, सचिव बसंत बड़ाईक, उप सचिव मदन सिंह, कोषाध्यक्ष दिनेश ईंदवार, संरक्षक अशोक कुमार बड़ाईक एवं सह संरक्षक महेन्द्र बड़ाईक — के साथ-साथ सैकड़ों वॉलेंटियर्स और ग्रामीणों का योगदान सराहनीय रहा।

कार्यकर्ताओं में भोला शंकर दास, तेजवीर सिंह, किशोर ईंदवार, कन्हैया बड़ाईक, गोविंदा बड़ाईक, रामप्रताप बड़ाईक, सीताराम सिंह, कुलदीप सिंह, उमाचंद ग्वाला, रविन्द्र दास, नवरत्न सिंह, सुखदेव बड़ाईक, अंशु ईंदवार, भानू प्रताप सिंह, धन सिंह, शंकर इंदवार, रघुनंदन पातर, खीरू सिंह, और दिगंबर दास सहित कई का उल्लेखनीय सहयोग रहा।

न्यूज़ देखो: संस्कृति की धरोहर बना बलसेरा का ईंद मेला

ईंद मेला सिर्फ पूजा या मनोरंजन का आयोजन नहीं, बल्कि झारखंड की लोकआस्था और सामुदायिक एकता का जीवंत प्रतीक बन चुका है। बलसेरा जैसे गांव आज भी इस परंपरा को जीवित रखकर आने वाली पीढ़ियों को अपनी जड़ों से जोड़ने का काम कर रहे हैं।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

संस्कृति से जुड़ें, परंपरा को आगे बढ़ाएं

ईंद मेला जैसे आयोजन हमें यह सिखाते हैं कि संस्कृति केवल अतीत नहीं, बल्कि भविष्य की पहचान भी है।
जब गांव के लोग एक साथ आते हैं, तो परंपरा, संगीत और समाज में नई ऊर्जा जन्म लेती है।
आइए, हम भी अपनी संस्कृति और लोक उत्सवों से जुड़ें, इन्हें साझा करें, और नई पीढ़ी को इसकी खूबसूरती से परिचित कराएं।
अपनी राय कमेंट करें और इस खबर को शेयर करें ताकि झारखंडी परंपराओं की यह खुशबू हर कोने तक पहुंचे।

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