
#लातेहार #पुल_ध्वस्त : बरवाडीह के कुटमू शिव नाला पर पुल ध्वस्त होने के बाद प्रशासन ने अब तक नहीं की वैकल्पिक आवागमन की व्यवस्था — स्कूल जाने वाले बच्चे, बुजुर्ग और ग्रामीण बेहद परेशान
- 28 जून की बारिश में कुटमू शिव नाला पुल पूरी तरह ध्वस्त हो गया
- अब तक नहीं बनाई गई कोई वैकल्पिक सड़क या अस्थायी पुलिया
- कुटमू-सरईडीह मार्ग पूरी तरह बंद, हजारों की रोजाना आवाजाही बाधित
- स्कूल जाने वाले छात्र-छात्राएं सबसे अधिक हो रहे प्रभावित
- करीब 20 हजार की आबादी को आवागमन में हो रही भारी परेशानी
कुटमू-सरईडीह मार्ग पर बड़ा अवरोध बना टूटा पुल
बरवाडीह प्रखंड क्षेत्र के कुटमू शिव नाला पर बना पुल 28 जून की रात आई भीषण बारिश में पूरी तरह ध्वस्त हो गया। यह पुल कुटमू से सरईडीह को जोड़ने वाला मुख्य मार्ग था, जिससे प्रति दिन हजारों लोग गुजरते थे। स्कूल जाने वाले बच्चे, ग्रामीण किसान, मजदूर और व्यापारी वर्ग इस रास्ते पर आश्रित थे।
भारी बारिश में हुआ था पुल का क्षय
मॉनसूनी बारिश ने इस पुल की नींव को कमजोर कर दिया था। 28 जून को हुई मूसलधार वर्षा के बाद नाले में अत्यधिक जलप्रवाह के कारण पुल ढह गया, जिससे आवागमन पूरी तरह बाधित हो गया। यह घटना बीते कई दिनों से प्रशासन की जानकारी में है, बावजूद इसके अब तक कोई वैकल्पिक मार्ग या अस्थायी पुलिया तैयार नहीं की गई है।
वैकल्पिक व्यवस्था के अभाव में जनजीवन प्रभावित
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि ध्वस्त पुल के कारण लोगों को कई किलोमीटर घूमकर वैकल्पिक रास्तों से गुजरना पड़ रहा है, जिससे समय, पैसा और श्रम तीनों की बर्बादी हो रही है। सबसे ज्यादा स्कूल और कॉलेज जाने वाले छात्रों को परेशानी हो रही है। बुजुर्गों और बीमार व्यक्तियों को स्वास्थ्य केंद्र पहुंचना तक मुश्किल हो गया है।
स्थानीय ग्रामीण बबलू यादव ने कहा: “पुल टूटने के बाद से हम बहुत परेशान हैं। बच्चों को स्कूल छोड़ने जाना मुश्किल हो गया है और बाजार पहुंचने में घंटों लग रहे हैं। प्रशासन को तुरंत अस्थायी पुल बनवाना चाहिए।”
प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल
ग्रामीणों ने प्रशासन से तत्काल वैकल्पिक व्यवस्था या अस्थायी पुल निर्माण की मांग की है। लेकिन घटना के 10 दिन बीत जाने के बावजूद अब तक कोई पहल नहीं की गई है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के पास कई बार शिकायत दर्ज कराई गई, लेकिन जमीनी स्तर पर काम शुरू नहीं हुआ।
समाजसेवी रंजीत सिंह ने कहा: “20 हजार की आबादी की अनदेखी करना दुर्भाग्यपूर्ण है। पुल को लेकर न तो विभाग जागरूक दिख रहा है और न ही जनप्रतिनिधि।”
न्यूज़ देखो: बुनियादी जरूरतें भी अगर मांग बन जाएं…
कुटमू शिव नाला पुल जैसी संरचनाएं केवल कंक्रीट की नहीं होतीं, बल्कि लोगों के जीवन, शिक्षा और रोजगार की धड़कन होती हैं। जब प्रशासन 10 दिन तक एक वैकल्पिक रास्ता भी तैयार न कर पाए, तो यह प्रशासनिक संवेदनशीलता पर गंभीर सवाल उठाता है। न्यूज़ देखो मांग करता है कि जिला प्रशासन तत्काल एक कार्य योजना बनाकर आवागमन बहाल करे।
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आवाज उठाएं ताकि आवाजाही हो
पुल टूटना प्राकृतिक आपदा हो सकती है, लेकिन उसके बाद समाधान न निकलना मानवजनित विफलता है। आइए, इस खबर को साझा करें, ताकि कुटमू की 20 हजार की आबादी को राहत मिल सके और आने-जाने के रास्ते दोबारा खुले।