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बजरंगी भाइयों की डिजिटल सतर्कता से लापता बच्चा मिला सकुशल — संकट में समाज की नई शक्ति बनी टीम

#गढ़वा #पलामू #सामाजिकजागरूकता : “अपने बजरंगी भाई” ग्रुप की फुर्ती से बचा मासूम — डिजिटल युग में सेवा का अनोखा उदाहरण

WhatsApp ग्रुप बना जीवनरक्षक

गढ़वा जिले के डंडा टोला थरिया निवासी सनी कुमार चौधरी, पिता सकेन्द्र चौधरी, 14 जुलाई की शाम से अचानक लापता हो गया। परिजनों ने विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के संयुक्त व्हाट्सएप ग्रुप “अपने बजरंगी भाई” में आधार कार्ड के फोटो से साथ बच्चे की जानकारी साझा की। जैसे ही मैसेज आया, पूरे विभाग के सदस्य सक्रिय हो गए

बुढ़ापरास से मिली राहत की खबर

सूचना मिलते ही ग्रुप में तेज़ संवाद शुरू हुआ। बुढ़ापरास क्षेत्र से संदेश आया कि एक बच्चा वहां अकेला देखा गया है। स्थानीय बजरंगी भाइयों ने तुरंत मौके पर फोटो लेकर ग्रुप में पहचान की पुष्टि की और बच्चे को अपनी देखरेख में ले लिया।

संयोजन और सेवा की मिसाल

कमलेश कुमार चौधरी, पप्पू चौधरी, अखिलेश चौधरी, रवींद्र चौधरी और अजीत चौधरी सहित कई स्थानीय बजरंगी कार्यकर्ताओं ने मिलकर बच्चे की सुरक्षा सुनिश्चित की और उसे रंका थाना परिसर में परिजनों को सौंप दिया

इस दौरान बजरंग दल पलामू के पदाधिकारी हिमांशु पांडेय पूरी घटना पर नजर रखे हुए थे और निर्देश देते रहे कि बच्चे की सुपुर्दगी की पुष्टि ग्रुप में की जाए। वहीं प्रेम कुमार गुप्ता (बंदू बाजार) और रंका प्रमुख हेमंत लकड़ा ने पूरे समन्वय को नेतृत्व प्रदान किया।

परिजनों ने भावुक होकर कहा: “आप सभी बजरंगी भाइयों को दिल से धन्यवाद। समय रहते जो सहयोग मिला, वह ज़िंदगी भर नहीं भूलेंगे।”

समाज के सजग प्रहरी बने बजरंगी भाई

यह घटना सिर्फ एक बच्चे को ढूंढ निकालने की नहीं, बल्कि समाज में तकनीक के ज़रिए सक्रिय जागरूकता और जिम्मेदारी की मिसाल है। जब सरकारी व्यवस्था देर से हरकत में आती है, ऐसे में स्वयंसेवी संगठन ही संकट मोचक साबित होते हैं।

न्यूज़ देखो: डिजिटल सेवा और सामाजिक चेतना की नई पहचान

गढ़वा, पलामू और लातेहार के बजरंगी भाइयों ने यह साबित कर दिया कि जिम्मेदार संगठन, जब डिजिटल ताकत से जुड़ते हैं, तो समाज को हर संकट से उबारने में सक्षम हो जाते हैं। “अपने बजरंगी भाई” जैसा समूह अब मॉडल बन सकता है उन सभी संगठनों के लिए, जो समाजसेवा को आधुनिक उपकरणों से जोड़ना चाहते हैं।

हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

सजग नागरिक, संगठित समाज

यह घटना हमें बताती है कि तकनीक और सेवा भावना जब साथ हों, तो हर आपदा में अवसर बनता है। अगर आप भी किसी सामाजिक संगठन का हिस्सा हैं, तो उसे WhatsApp, Telegram या सोशल मीडिया के ज़रिए सक्रिय और मानवतावादी बनाइए। इस खबर को साझा कीजिए — शायद अगली बार किसी और मासूम की जिंदगी इसी चेतना से बचाई जा सके।

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