#गुमला #डुमरीबारिशजलजमाव : बरसात में सड़क-नाली का फर्क मिटा, स्थानीय लोग बोले — हर साल यही होता है, लेकिन प्रशासन नहीं चेता
- डुमरी बस्ती की मुख्य सड़क पूरी तरह जलमग्न
- नाली व्यवस्था ध्वस्त, घंटों तक पानी नहीं निकलता
- बच्चे, बुजुर्ग, स्कूली छात्र-छात्राएं प्रभावित
- व्यवसाय भी ठप, दुकानों में ग्राहक नहीं पहुंच पा रहे
- स्थानीय लोगों ने जलनिकासी और नाली निर्माण की मांग की
सड़क बनी तालाब, नहीं दिखती कोई सरकारी तैयारी
गुमला जिले के डुमरी प्रखंड स्थित डुमरी बस्ती में लगातार हो रही बारिश के कारण मुख्य सड़क पर भारी जलजमाव हो गया है। सड़क पूरी तरह से पानी में डूब गई है और सड़क व नाली के बीच का फर्क तक नहीं किया जा सकता। इससे आमजन का जीवन बुरी तरह प्रभावित हो गया है।
हर साल आती है मुसीबत, पर नहीं होती कार्रवाई
स्थानीय निवासी चयन कुमार ने बताया कि बारिश के समय हर साल यही हाल होता है, लेकिन प्रशासन कभी भी स्थायी समाधान की दिशा में नहीं सोचता। नालियों की सफाई और जलनिकासी की व्यवस्था न होने के कारण बारिश का पानी घंटों तक जमा रहता है, जिससे लोगों को रोजमर्रा के कार्यों में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
चयन कुमार (स्थानीय निवासी):
“हमने कई बार शिकायत की, लेकिन आज तक सिर्फ आश्वासन मिला। सड़क पर चलना मुश्किल हो गया है।”
बच्चे-बुजुर्ग सबसे ज़्यादा परेशान
बारिश के मौसम में स्कूल जाने वाले बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं को सबसे अधिक परेशानी होती है। जलजमाव के कारण कई बार फिसलने और गिरने की घटनाएं भी सामने आती हैं। स्कूली बच्चों को जूते-कपड़े खराब करके स्कूल जाना पड़ता है, जिससे उनकी पढ़ाई पर भी असर पड़ता है।
दुकानदारों के व्यवसाय पर भी पड़ा असर
डुमरी बस्ती के दुकानदारों का कारोबार भी प्रभावित हुआ है। दुकानों के सामने पानी जमा होने से ग्राहक नहीं आ पा रहे हैं। व्यवसायियों ने कहा कि वे रोज नुकसान झेल रहे हैं, लेकिन अब तक कोई जनप्रतिनिधि या अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा।
नागरिकों की मांग — हो स्थायी समाधान
स्थानीय लोगों ने प्रशासन से जल्द से जल्द नाली निर्माण और जलनिकासी की समुचित व्यवस्था करने की मांग की है। लोगों का कहना है कि अगर समय रहते कार्रवाई नहीं की गई, तो आने वाले दिनों में स्थिति और खराब हो सकती है और यह समस्या जनस्वास्थ्य पर भी गंभीर असर डाल सकती है।

न्यूज़ देखो: जब जलजमाव खुद बन जाए सवाल
डुमरी बस्ती की तस्वीर इस बात का आईना है कि हमारी बुनियादी शहरी योजनाएं कितनी कमजोर हैं। न तो मानसून से पहले की तैयारी होती है, न ही जलनिकासी जैसी आवश्यक मूलभूत सुविधाओं पर ध्यान दिया जाता है। प्रशासनिक उदासीनता का खामियाजा नागरिकों को भुगतना पड़ता है, और यह हर साल दोहराया जाता है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
समाधान की शुरुआत सवालों से होती है
बदलाव तभी संभव है जब लोग आवाज़ उठाएं, सवाल करें और अपने हक की मांग करें। यह जरूरी है कि प्रशासन को जिम्मेदारी का एहसास दिलाया जाए। आप क्या सोचते हैं — क्या अब भी इंतजार करना चाहिए?
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